पानीपत: हरियाणा के जिला पानीपत में ड्राइविंग अवैध लर्निंग लाइसेंस बनाने का पर्दाफाश हुआ. बताया जा रहा है कि पानीपत लघु सचिवालय स्थित सरल केंद्र में अवैध लर्निंग लाइसेंस बनाए जा रहे थे. खबर यह भी है कि यहां के कर्मचारियों ने मिलकर USA में बैठे एक युवक का लर्निंग लाइसेंस बना दिया. जांच में इस मामले का खुलासा हुआ है. खुलासा होने के बाद तीन कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं. जिसमें एसडीएम ने लाइसेंस क्लर्क, महिला और कंप्यूटर ऑपरेटर समेत कुल 3 कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी है.
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इस मामले में पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी लाइसेंस क्लर्क ललित कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर अंकित और महिला कंप्यूटर ऑपरेटर समेत लाइसेंस बनाने वाले दो सगे भाई अमित व साहिल निवासी गांव नारा के खिलाफ केस दर्ज किया है.
ये है पूरा मामला: 25 जुलाई को सीएम फ्लाइंग टीम ने पानीपत एसडीएम कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था. टीम ने जब जांच की तो अक्टूबर, 2022 में जो लड़का विदेश जा चुका है, उसके नाम का लर्निंग लाइसेंस जारी हो गया था. टीम ने इस मामले में थाना शहर में रिपोर्ट दर्ज करवा दी है. जांच में पाया कि नारा निवासी अमित का लर्निंग लाइसेंस 30 मई 2023 को जारी किया गया था.
इस लर्निंग लाइसेंस की मूल फाइल लाइसेंस क्लर्क के रिकॉर्ड में नहीं मिली. यह लाइसेंस 15 मई 2023 को ऑनलाइन अप्लाई किया गया था. ई-दिशा केंद्र से 23 मई 2023 को डेबिट कार्ड के माध्यम से 650 रुपये लाइसेंस फीस जमा की गई थी. जो फीस कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा ली गई थी. लेकिन उक्त लाइसेंस के संबंध में IDTR (ड्राइवर प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान) से ट्रेनिंग या फीस के संबंध में रिकॉर्ड को दर्ज नहीं किया गया था.
अवैध लाइसेंस बनाने की साजिश: दरअसल, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए दलालों की भूमिका अहम होती है. एक लाइसेंस बनवाने के लिए दलाल आवेदनकर्ता से 5800 से लेकर 6 हजार रुपये तक की वसूली करता है. जिसके बाद आवेदनकर्ता को सिर्फ टेस्ट देने के लिए आना पड़ता है. पहला स्टॉल टेस्ट होता है, जहां ट्रैफिक नियमों से जुड़ी जानकारी के बारे में कंप्यूटर पर ही सवालों के जवाब देने होते हैं.
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इन सवालों के जवाब में दलाल कि यहां बड़ी भूमिका होती है. दलाल लाइसेंस की फाइल पर पेंसिल से एक अपना कोड बनाकर लाते हैं. कोड देखकर ऑपरेटर उसे फाइल को पास कर देता है. टेस्ट देने के लिए लगे कंप्यूटर पर सवाल का जवाब देने के लिए आवेदनकर्ता बिना माउस हिलाए अपने सवालों के सही जवाब दे देता है. क्योंकि सामने बैठा ऑपरेटर भी इस टेस्ट को हैंडल कर सकता है.
ऑपरेटर कोड वर्ड देखते ही आवेदनकर्ता का टेस्ट पास करवा देता है. बस यही कोड देवीलाल पार्क में ड्राइविंग टेस्ट देते समय भी चलता है. शाम को दलाल द्वारा दिन भर कराई गई फाइलों का कमीशन क्लर्क तक पहुंचता है और क्लर्क माध्यम से सभी ऑपरेटर तक उनका हिस्सा पहुंच जाता है.
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