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पानीपत: इंसानियत की मिसाल, 20 हजार डेड बॉडी को मुर्दाघर पहुंचा चुका है ललवा

ललवा रेल से कटी हुई लावारिस लाश को उठा कर पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर तक पहुंचाता है. एक साधारण ऑटो चालक जो मुश्किल से अपने परिवार का पेट पालता है, लेकिन किसी भी वक्त उसे इस काम के लिए बुलाया जाता है तो वो वक्त की परवाह किए बगैर ऑटो लेकर चल पड़ता है.

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Published : Jul 6, 2019, 11:03 PM IST

जिन लाशों को देख लोगों को घिन्न आ जाती है! वैसे 20 हजार डेड बॉडी को मुर्दाघर पहुंचा चुका है ललवा

पानीपत: इंसानियत की मिसाल पेश करने वाले लोगों की इस दुनिया में कमी नहीं, कोई भूखे को खाना देता है. कोई मरीज का इलाज करता है तो कोई गरीब को शिक्षा, लेकिन आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो हमेशा ऊपर वाले को कोसते रहते हैं कि उन्हें उसने कुछ नहीं दिया. वो गरीब हैं खुद के लिए गुजर-बसर भारी पड़ रहा है तो दूसरों का क्या भला करें. ऐसा ही सोचने वाले लोगों के लिए पानीपत का ललवा एक शानदार जवाब है. गरीबी को झेलते हुए भी ललवा वो काम करता है जो इंसानियत के लिए गजब मिसाल है.

देखिए रिपोर्ट

एक आम इंसान किसी मृत व्यक्ति को ही देख ले तो सहम जाता है. दिमाग ने ना जाने कैसे ख्याल आते हैं. ऐसा स्वभाविक भी है मौत का खौफ किसी भी परेशान कर सकता है. जरा सोचिए किसी दुर्घटना में वो मौत हुई हो तो और भी भयानक स्थिति होती है. देश में रेल से मरने वालों की खबरें अब आम हो गई है.

कोई दुर्घटना में जान गवां देता है कोई अपनी जीवनलीला समाप्त करने ट्रैक पर पहुंच जाता है. ऐसे में मर गय शख्स के बॉडी की क्या दशा होती है कल्पना करना भी बेहद दर्दनाक होता है, लेकिन ललवा में इन शवों को देखकर इंसानियत जाग उठती है.

'अधिकारी फोन करते हैं, ललवा लाश उठाकर चल पड़ता है'
ललवा उन टूकड़े हुए कटे हुए लावारिस लाश को उठा कर पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर तक पहुंचाता है. एक सधारण ऑटो चालक है. जो मुश्किल से अपने परिवार का पेट पालता है, लेकिन किसी भी वक्त उसे इस काम के लिए बुलाया जाता है तो वो वक्त की परवाह किए बगैर ऑटो लेकर चल पड़ता है. बस अधिकारी फोन करते हैं और ललवा हाजिर हो जाता है. वो 16 साल की उम्र से ही लवारिस लाशों को उठा कर अस्पताल पहुंचाता है. जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाती उनका अंतिम संस्कार करता है.

ललवा को ये काम करते हुए 20 साल हो गए हैं. पानीपत जिले में घरौंडा से लेकर समालखा, इसराना, मतलोड़ा तक ललवा को मृत शरीर को उठाने के लिए बुलाया जाता है. शुक्रवार देर रात को भी ललवा ने घरोंडा जाकर रेलवे स्टेशन से एक मृत व्यक्ति शरीर को उठा कर अस्पताल पहुंचाया. लोगों का कहना है कि उसके कर्मों की फल उसके बच्चों को मिलने वाली है आज उसके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ लिख रहे हैं.

क्या कहना है ललवा की पत्नी का
वहीं ललवा की पत्नी का कहना है कि, ''बच्चे तो डरते हैं देर रात को जब वो जाते हैं, लेकिन मुझे अच्छा लगता है कि मेरे पति काम कर रहे हैं. मैंने कभी उन्हें इस काम को मना करने के लिए नहीं रोका.''

वहीं पुलिस अधिकारी सुरेंद्र सिंह का भी कहना है कि, ''पिछले 20 सालों से काम कर रहा है और जिस धर्म के कार्य में लगा हुआ है. निश्चित रूप से उसका उसके कर्मों का फल उसके परिवार को मिलेगा. मृत व्यक्ति की हालत कैसी भी हो ललवा उसे कपड़े में डालता है और उसको लेकर पानीपत के सिविल हॉस्पिटल चल पड़ता है. पहले उसे कुछ कमाई नहीं होती थी, लेकिन अब पुलिस भी उस के इस काम की एवज में 200 और 300 रूपये देती है जिससे उसके आने जाने का खर्चा चलता है.

पानीपत: इंसानियत की मिसाल पेश करने वाले लोगों की इस दुनिया में कमी नहीं, कोई भूखे को खाना देता है. कोई मरीज का इलाज करता है तो कोई गरीब को शिक्षा, लेकिन आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो हमेशा ऊपर वाले को कोसते रहते हैं कि उन्हें उसने कुछ नहीं दिया. वो गरीब हैं खुद के लिए गुजर-बसर भारी पड़ रहा है तो दूसरों का क्या भला करें. ऐसा ही सोचने वाले लोगों के लिए पानीपत का ललवा एक शानदार जवाब है. गरीबी को झेलते हुए भी ललवा वो काम करता है जो इंसानियत के लिए गजब मिसाल है.

देखिए रिपोर्ट

एक आम इंसान किसी मृत व्यक्ति को ही देख ले तो सहम जाता है. दिमाग ने ना जाने कैसे ख्याल आते हैं. ऐसा स्वभाविक भी है मौत का खौफ किसी भी परेशान कर सकता है. जरा सोचिए किसी दुर्घटना में वो मौत हुई हो तो और भी भयानक स्थिति होती है. देश में रेल से मरने वालों की खबरें अब आम हो गई है.

कोई दुर्घटना में जान गवां देता है कोई अपनी जीवनलीला समाप्त करने ट्रैक पर पहुंच जाता है. ऐसे में मर गय शख्स के बॉडी की क्या दशा होती है कल्पना करना भी बेहद दर्दनाक होता है, लेकिन ललवा में इन शवों को देखकर इंसानियत जाग उठती है.

'अधिकारी फोन करते हैं, ललवा लाश उठाकर चल पड़ता है'
ललवा उन टूकड़े हुए कटे हुए लावारिस लाश को उठा कर पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर तक पहुंचाता है. एक सधारण ऑटो चालक है. जो मुश्किल से अपने परिवार का पेट पालता है, लेकिन किसी भी वक्त उसे इस काम के लिए बुलाया जाता है तो वो वक्त की परवाह किए बगैर ऑटो लेकर चल पड़ता है. बस अधिकारी फोन करते हैं और ललवा हाजिर हो जाता है. वो 16 साल की उम्र से ही लवारिस लाशों को उठा कर अस्पताल पहुंचाता है. जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाती उनका अंतिम संस्कार करता है.

ललवा को ये काम करते हुए 20 साल हो गए हैं. पानीपत जिले में घरौंडा से लेकर समालखा, इसराना, मतलोड़ा तक ललवा को मृत शरीर को उठाने के लिए बुलाया जाता है. शुक्रवार देर रात को भी ललवा ने घरोंडा जाकर रेलवे स्टेशन से एक मृत व्यक्ति शरीर को उठा कर अस्पताल पहुंचाया. लोगों का कहना है कि उसके कर्मों की फल उसके बच्चों को मिलने वाली है आज उसके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ लिख रहे हैं.

क्या कहना है ललवा की पत्नी का
वहीं ललवा की पत्नी का कहना है कि, ''बच्चे तो डरते हैं देर रात को जब वो जाते हैं, लेकिन मुझे अच्छा लगता है कि मेरे पति काम कर रहे हैं. मैंने कभी उन्हें इस काम को मना करने के लिए नहीं रोका.''

वहीं पुलिस अधिकारी सुरेंद्र सिंह का भी कहना है कि, ''पिछले 20 सालों से काम कर रहा है और जिस धर्म के कार्य में लगा हुआ है. निश्चित रूप से उसका उसके कर्मों का फल उसके परिवार को मिलेगा. मृत व्यक्ति की हालत कैसी भी हो ललवा उसे कपड़े में डालता है और उसको लेकर पानीपत के सिविल हॉस्पिटल चल पड़ता है. पहले उसे कुछ कमाई नहीं होती थी, लेकिन अब पुलिस भी उस के इस काम की एवज में 200 और 300 रूपये देती है जिससे उसके आने जाने का खर्चा चलता है.

Intro:
एंकर - कहते हैं इसी जन्म में इंसान के कर्म उसका भाग्य निर्धारित करते हैं और उनके कर्मों का फल उनके बच्चों को मिलता है कुछ ऐसे ही कर्म पानीपत के ललवा कर अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित कर रहे हैं और निश्चित रूप से उनके कर्मों का फल उनके परिवार और बच्चों को मिलने वाला है ललवा पिछले 20 सालों से रेलवे स्टेशन पर मृत आदमियों की लाशों को उठाकर उन्हें पानीपत के सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाता है आज पानीपत जिले में घरौंडा से लेकर समालखा इसराना मतलोड़ा तक ललवा को मृत शरीर को उठाने के लिए बुलाते हैं अभी कल देर रात को भी रख घरोंडा जाकर रेलवे स्टेशन से एक मृत व्यक्ति को लेकर आया बस अधिकारी फोन करते हैं और ललवा हाजिर अपना ऑटो और चल पड़ता है उस मृत व्यक्ति को लेने

Body:वीओ -नलवा 15 साल की उम्र में दरभंगा से पानीपत आया आज 45 वर्ष का हो चुका है पानीपत आते ही सबसे पहले उसने वेल्डिंग का काम शुरू किया 5 महीने काम करने के बाद उसने ऑटो लिया और सवारिया ले जाकर अपने घर के खर्चे चलाने लगा कि कुछ समय बाद पानीपत स्टेशन पर आया तो यहां से उसने 16 साल की उम्र में ही रेल से कटकर मरने वाले हर उस इंसान को पानीपत के सिविल हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम के लिए ले जाने लगा आज पानीपत जिले में ललवा के अलावा कोई भी रेल से कटे हुए या मरे हुए या बुरी हालत में इंसान को अगर कोई लेकर जाता है तो ललवा को बुलाते हैं और वह हाजिर हो जाता है चाहे रात के 12:00 बजे हो चाहे 1:00 बजे वह कभी परवाह नहीं करता उसे इस काम में खुशी मिलती है आनंद मिलता है
वीओ - लोगों का कहना है कि उसके कर्मों की फल उसके बच्चों को मिलने वाली है आज उसके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ लिख रहे हैं
वीओ -उसके पत्नी का कहना है कि बच्चे तो डरते हैं देर रात को जब जाता है लेकिन मुझे अच्छा लगता है कि मेरे पति काम कर रहे हैं मैंने कभी उन्हें इस काम को मना करने के लिए नहीं रोका
वीओ -पुलिस अधिकारी सुरेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले 20 सालों से काम कर रहा है और जिस धर्म के कार्य में लगा हुआ है निश्चित रूप से उसका उसके कर्मों का फल उसके परिवार को मिलेगा मृत व्यक्ति की हालत कैसी भी हो ललवा उसे कपड़े में डालता है और फिर चल पड़ता है उसको लेकर पानीपत के सिविल हॉस्पिटल

वीओ - आज लगभग 20000 मृत शरीर को पानीपत के सिविल हॉस्पिटल में लेे जा चुका हूं जब वह कार्य करता है उसके चेहरे पर शिकन मात्र नहीं होती ऐसे नेक दिल इंसान इस धरती पर कम ही मिलते हैं पुलिस भी उस के इस काम की एवज में
200 व 300 रूपये देती है जिससे उसके आने जाने का खर्चा चलता है हम ऐसे इंसान को सलाम करते हैं मरे हुए व्यक्तियों को जिसे कोई हाथ भी नही लगता है दूर भागते है लेकिन ललवा यह नेक कार्य कर मृत शरीर को मुक्ति दिलाता है जिसका उससे कोई रिश्ता नहीं है मृत आदमियों की दुआएं इस इंसान को लगेगी


Conclusion:
walkthrew -Anil kumar with lalwa

1-बाइट -सामना- पत्नी
2-बाइट -अशोक कुमार कैंटीन मालिक
3-बाइट सुरेंद्र कुमार एएसआई
4-बाइट-- ऑटो चालक
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