सिरसा: राजस्थान के बाद अब हरियाणा व पंजाब में टिड्डी दल को लेकर हाई अलर्ट है. हरी वनस्पति को चट कर जाने वाली इस चटोरी सेना के आक्रमण को नाकाम करने के लिए राजस्थान के बाद अब हरियाणा और पंजाब में भी शासन-प्रशासन सक्रिय हो गया है.
हरियाणा में इस बार करीब 6 लाख 60 हजार हेक्टेयर में, पंजाब में करीब पौने 3 लाख हेक्टेयर में तो राजस्थान में करीब पौने 4 लाख हेक्टेयर में नरमे की काश्त की गई है. इसके अलावा, हरियाणा का सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, पंजाब का अबोहर, फिरोजपुर, राजस्थान का गंगानगर व हनुमानगढ़ सीट्रस यानी किन्नू के बागों की बेल्ट के रूप में जाना जाता है.
तीनों राज्यों में भारी नुकसान पहुंचा सकता है टिड्डी दल
सिरसा, फतेहाबाद व हिसार में करीब 20 हजार हैक्टेयर में तो अबोहर व फिरोजपुर में 25 हजार हैक्टेयर में किन्नू के बाग हैं. इस समय तीनों ही राज्यों में नरमे की फसल के अलावा कुछ क्षेत्र में चारा, सब्जियां हैं. इन तीनों ही राज्यों में पेड़ों की संख्या भी कम है. ऐसे में टिड्डी दल अगर इन इलाकों में प्रवेश करता है तो नरमे की फसल के अलावा सब्जियों व बागों को नुकसान पहुंचा सकता है.
दरअसल, टिड्डी दल के आक्रमण को लेकर देश में स्थापित टिड्डी चेतावनी संगठन की मानें तो टिड्डी दल 1812 से आक्रामण कर रहा है. आमतौर पर ये सर्दियों में दस्तक देता है. इस बार मौसम के परिवर्तनशील रहने के चलते इसने गर्मी में दस्तक दे दी है. ये दक्षिण अफ्रीका, अफगानिस्तान व पाकिस्तान से होकर भारत में प्रवेश करता है.
राजस्थान में खासा नुकसान पहुंचाने के बाद अब टिड्डी दल हरियाणा के नजदीक पहुंच गया है. राजस्थान के साथ लगते सिरसा जिले से टिड्डी दल अब कुछ किलोमीटर की दूरी पर है. हालांकि, हवा के रुख के हिसाब से टिड्डी दल अपने मुवमैंट करता है.
टिड्डी दल के खाने की क्षमता 10 हाथी से भी ज्यादा है
टिड्डी चेतावनी संगठन की मानें तो ऐतिहासिक रूप से रेगिस्तानी टिड्डी हमेशा से ही मानव कल्याण की दृष्टि से बड़ा खतरा रही है. प्राचीन ग्रंथों बाइबल और पवित्र कुरान में रेगिस्तानी टिड्डी को मनुष्यों के लिए अभिशाप के रूप में माना गया है. टिड्डी द्वारा की गई क्षति और नुकसान का दायरा इतना बड़ा है जो कल्पना से भी परे है, क्योंकि इनकी बहुत अधिक खाने की क्षमता के कारण भुखमरी तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को खाकर नुकसान पहुंचाती हैं और जब ये टिड्डी दल पेड़ों पर बैठता है तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं.
दुनियाभर में टिड्डी दल ने कब-कब किया हमला ?
इससे पहले भी देश में टिड्डी दल के हमले हो चुके हैं. आखिरी बार साल 1993 में टिड्डी दल का हमला हुआ था. टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार 1812-1821, 1843-1844, 1863-1867, 1869-1873, 1876-1881, 1889-1889, 1900-1907, 1912-1920 1926 से 1931, 1942 से लेकर 1946 एवं 1949 से लेकर 1952 तक टिड्डी दलों के आक्रमणों से फसलों को नुकसान पहुंचा था.
साल 1993 में टिड्डी दल ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया था. उस समय टिड्डियों के 172 झुंडों ने हमला किया था. इसके अलावा 1983 में 26, 1986 में 13, 1989 में 15 दलों ने आक्रमण किया. टिड्डी दल पर अब तक हुए शोध पर नजर डालें तो टिड्डी की उम्र सिर्फ 90 दिन होती है. एक टिड्डी एक दिन में खुद के वजन के बराबर खाना खाती है. ये हवा में 5 हजार फुट तक की ऊंचाई पर उड़ सकती है.
अलग-अलग प्रकार की होती है टिड्डी
एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार एक दल 740 वर्ग किलोमीटर तक बड़ा हो सकता है. इनसे दुनिया के करीब 60 देश प्रभावित हैं. भारतीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार टिड्डी कई प्रकार की होती है. रेगिस्तानी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, इटेलियन टिड्डी, मोरक्को टिड्डी, लाल टिड्डी, भूरी टिड्डी, दक्षिणी अमेरिकन टिड्डी, ऑस्ट्रेलियन टिड्डी एवं वृक्ष टिड्डी प्रमुख प्रजातियां शामिल हैं.
हरियाणा से टल चुका टिड्डी दल का खतरा ?
इस सिलसिले में जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. बाबू लाल का कहना है कि सिरसा में टिड्डी दल का खतरा लगभग कम हो गया है. जो टिड्डी दल कल सिरसा के ऐलनाबाद के करीब माना जा रहा था वो अब वापस राजस्थान की तरफ जाने लगा है, लेकिन अगर दोबारा हवा का रुख बदलता है तो उसके वापस आने की संभावना भी है.