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पानीपत नगर निगम में कथित कूड़ा घोटाला, ADC करेंगे जांच - panipat garbage scam

पानीपत नगर निगम में कथित कूड़ा घोटाले की जांच अब अतिरिक्त जिला उपायुक्त करेंगे. ये पूरा मामला आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर की शिकायत पर सामने आया है. पीपी कपूर ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

garbage scam in Panipat Municipal Corporation
garbage scam in Panipat Municipal Corporation
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Published : Oct 9, 2020, 5:33 PM IST

पानीपत: नगर निगम पानीपत में ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला करने का आरोप लगा है. इस कथित घोटाले की जांच जिला उपायुक्त के आदेश पर एडीसी करेंगे. दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने जिला उपायुक्त कार्यालय पर 7 सितंबर को प्रदर्शन कर डीसी को दी शिकायत में आरोप लगाया कि मेयर अवनीत कौर के कार्यकाल में निगम कार्यालय चम्बल घाटी बन चुका है.

पानीपत नगर निगम में कथित कूड़ा घोटाला, ADC करेंगे जांच

उन्होंने आरोप लगाया कि हर काम में करोड़ों रुपये के घोटाले और कमीशनखोरी का खेल चल रहा है. भाजपाई विधायक व सांसद धृतराष्ट्र बने हुए हैं. शिकायत में कपूर ने आरटीआई सबूतों सहित आरोप लगाया कि जेबीएम कंपनी, मेयर, निगम आयुक्तों की मिलीभगत से कूड़ा कचरा उठाने के कार्य में बड़ा घोटाला चल रहा है.

पीपी कपूर की शिकायत

मेयर अवनीत कौर ने निगम के सदन की बैठक में 4 जुलाई 2019 को पहले तो जेबीएम कंपनी का ठेका रद्द करने का प्रस्ताव पारित करवाकर जेबीएम पर दबाव बनाया. फिर इस प्रस्ताव को सरकार को भिजवाया ही नहीं और न ही ठेका रद्द कराने के इस केस की कोई पैरवी की. मेयर अवनीत कौर और निगम आयुक्त के मुंह बंद हो जाने के पीछे कमीशनखोरी का बड़ा खेल है या कोई राजनीतिक दबाव, वो खुद ही बता सकते हैं.

प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) की मॉनिटरिंग और बिलों की वैरिफिकेशन और अप्रुवल के बगैर ही जेबीएम कंपनी को 38 करोड़ रुपये की पेमेंट गैरकानूनी तरीके से कर दी गई. टेंडर एग्रीमेंट में जुर्माने का प्रावधान होने के बावजूद जेबीएम कंपनी के डिफॉल्टर होने पर भी जुर्माना नहीं लगाया गया.

इस घोटाले के कारण निगम को करोड़ों रुपये की राजस्व हानि और जनता को गंदगी से परेशानी हो रही है. इस घोटाले के सूत्रधार मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर को इनाम स्वरूप बीते महीने रिटायर होने पर एक वर्ष का सेवा विस्तार निगम आयुक्त की सिफारिश पर सरकार ने दिया. कपूर ने कहा कि 22 वर्ष तक चलने वाले इस ठेके को रद्द ना किया तो नगर निगम दिवालिया हो जाएगा और शहर कूड़े का ढेर बन जाएगा.

शिकायत में मुख्य मांगें

  • जेबीएम के विरुद्ध 4 जुलाई 2019 को निगम द्वारा पारित प्रस्ताव अनुसार ठेका रद्द हो. ठेका रद्द करने के प्रस्ताव की फाइल गायब कराने के कांड में मेयर, कमिश्नर, जेबीएम कंपनी और मुख्य सफाई निरीक्षक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो.
  • पीएमयू के मॉनिटरिंग और अप्रुवल के बगैर जेबीएम को भुगतान किए गए 38 करोड़ रुपये की वसूली की जाए.
  • नगर निगम मेयर अवनीत कौर, निगम आयुक्त सुशील कुमार और पूर्व निगम आयुक्त ओमप्रकाश पर विजिलेंस जांच करवाकर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर कारवाया जाए.
  • मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर को रिटायरमेंट के पश्चात दिया गया एक वर्ष का सेवा विस्तार रद्द हो.
  • नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा उठाने और सफाई कार्य सुचारू हो.

ये भी पढ़ें- बहादुरगढ़ स्ट्रीट लाइट घोटाले में 40 लाख रुपये का गड़बड़झाला

पानीपत: नगर निगम पानीपत में ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला करने का आरोप लगा है. इस कथित घोटाले की जांच जिला उपायुक्त के आदेश पर एडीसी करेंगे. दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने जिला उपायुक्त कार्यालय पर 7 सितंबर को प्रदर्शन कर डीसी को दी शिकायत में आरोप लगाया कि मेयर अवनीत कौर के कार्यकाल में निगम कार्यालय चम्बल घाटी बन चुका है.

पानीपत नगर निगम में कथित कूड़ा घोटाला, ADC करेंगे जांच

उन्होंने आरोप लगाया कि हर काम में करोड़ों रुपये के घोटाले और कमीशनखोरी का खेल चल रहा है. भाजपाई विधायक व सांसद धृतराष्ट्र बने हुए हैं. शिकायत में कपूर ने आरटीआई सबूतों सहित आरोप लगाया कि जेबीएम कंपनी, मेयर, निगम आयुक्तों की मिलीभगत से कूड़ा कचरा उठाने के कार्य में बड़ा घोटाला चल रहा है.

पीपी कपूर की शिकायत

मेयर अवनीत कौर ने निगम के सदन की बैठक में 4 जुलाई 2019 को पहले तो जेबीएम कंपनी का ठेका रद्द करने का प्रस्ताव पारित करवाकर जेबीएम पर दबाव बनाया. फिर इस प्रस्ताव को सरकार को भिजवाया ही नहीं और न ही ठेका रद्द कराने के इस केस की कोई पैरवी की. मेयर अवनीत कौर और निगम आयुक्त के मुंह बंद हो जाने के पीछे कमीशनखोरी का बड़ा खेल है या कोई राजनीतिक दबाव, वो खुद ही बता सकते हैं.

प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) की मॉनिटरिंग और बिलों की वैरिफिकेशन और अप्रुवल के बगैर ही जेबीएम कंपनी को 38 करोड़ रुपये की पेमेंट गैरकानूनी तरीके से कर दी गई. टेंडर एग्रीमेंट में जुर्माने का प्रावधान होने के बावजूद जेबीएम कंपनी के डिफॉल्टर होने पर भी जुर्माना नहीं लगाया गया.

इस घोटाले के कारण निगम को करोड़ों रुपये की राजस्व हानि और जनता को गंदगी से परेशानी हो रही है. इस घोटाले के सूत्रधार मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर को इनाम स्वरूप बीते महीने रिटायर होने पर एक वर्ष का सेवा विस्तार निगम आयुक्त की सिफारिश पर सरकार ने दिया. कपूर ने कहा कि 22 वर्ष तक चलने वाले इस ठेके को रद्द ना किया तो नगर निगम दिवालिया हो जाएगा और शहर कूड़े का ढेर बन जाएगा.

शिकायत में मुख्य मांगें

  • जेबीएम के विरुद्ध 4 जुलाई 2019 को निगम द्वारा पारित प्रस्ताव अनुसार ठेका रद्द हो. ठेका रद्द करने के प्रस्ताव की फाइल गायब कराने के कांड में मेयर, कमिश्नर, जेबीएम कंपनी और मुख्य सफाई निरीक्षक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो.
  • पीएमयू के मॉनिटरिंग और अप्रुवल के बगैर जेबीएम को भुगतान किए गए 38 करोड़ रुपये की वसूली की जाए.
  • नगर निगम मेयर अवनीत कौर, निगम आयुक्त सुशील कुमार और पूर्व निगम आयुक्त ओमप्रकाश पर विजिलेंस जांच करवाकर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर कारवाया जाए.
  • मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर को रिटायरमेंट के पश्चात दिया गया एक वर्ष का सेवा विस्तार रद्द हो.
  • नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा उठाने और सफाई कार्य सुचारू हो.

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