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हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर दिनेश चुलकाना, जिसे सनक ने बनाया अपराधी, एनकाउंटर से ही खत्म हुआ खौफ - Gangster Dinesh Chulkana

ईटीवी भारत की क्राइम स्टोरी की कड़ी में इस बार आपको हम ऐसे अपराधी के बारे में बता रहे हैं, जो अपनी सनक के चलते अपराधी बन गया. 90 के दशक में हरियाणा में अपराध का पर्याय बन चुके कुख्यात गैंगस्टर दिनेश चुलकाना (Gangster Dinesh Chulkana) के खिलाफ 32 केस दर्ज थे. जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास और रंगदारी मांगने जैसे संगीन मामले शामिल हैं.

Gangster Dinesh Chulkana
हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर दिनेश चुलकाना
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Published : May 24, 2023, 7:13 PM IST

पानीपत: पानीपत जिले का चुलकाना गांव को बड़े गैंगस्टरों का भी गांव माना जाता है. इसी गांव का दिनेश 90 के दशक में हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर बन गया था. अक्सर अपराधी बनने के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है, लेकिन दिनेश के गैंगस्टर बनने के पीछे ना कोई वजह थी और ना ही कोई मजबूरी. दिनेश ने बचपन में ही ठान लिया था कि क्राइम की दुनिया में उसका भी एक अध्याय होना चाहिए. इसी सनक ने उसे हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर बना दिया.

16 साल की उम्र में दिनेश का अपने ही गांव के रहने वाले श्रीपाल गुर्जर के साथ मामूली कहासुनी को लेकर झगड़ा हो गया था. इस झगड़े के 5 साल बाद 1999 में दिनेश ने श्रीपाल गुर्जर की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. दिनेश गुर्जर भी अब दिनेश चुलकाना के नाम से जाना जाने लगा. पुलिस ने श्रीपाल की हत्या के आरोप में दिनेश को गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया गया.

पढ़ें : Gangster Surinder Geong: हरियाणा का बहुरुपिया गैंगस्टर, पुलिस की वर्दी में करता था वारदात, खौफ ऐसा कि जेल से बना निर्विरोध सरपंच

दिनेश ने जेल में बनाई अपनी गैंग: दिनेश ने जेल में रहकर अपनी गैंग को बढ़ाना शुरू कर दिया. एक साल बाद दिनेश जेल से बाहर आया. इस दौरान श्रीपाल का भाई विजय गुर्जर भी अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए दिनेश की हत्या करने की फिराक में था. लेकिन इससे पहले कि विजय कुछ कर पाता, दिनेश ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर विजय की भी हत्या कर दी. दिनेश जमानत पर बाहर आने के बाद एक के बाद एक क्राइम करता चला गया.

हरियाणा सहित तीन राज्यों में था खौफ: दिनेश पर यूपी, हरियाणा और दिल्ली में संगीन वारदात के कई मामले दर्ज हो चुके थे. इनमें हत्या, हत्या का प्रयास और रंगदारी के मामले शामिल थे. क्राइम का पर्याय बन चुके दिनेश का नाम अब हरियाणा के सबसे बड़े गैंगस्टर के नाम से जाना जाने लगा था. कोर्ट ने वर्ष 2000 में उसे 11 मामलों में भगोड़ा घोषित कर दिया. जबकि अब तक दिनेश पर करीब 32 से अधिक मामले दर्ज हो चुके थे. इसके बावजूद वह अभी भी बाहर घूम रहा था. जिसके कारण उसका खौफ बढ़ता जा रहा था.

पढ़ें : प्यार की सनक में अपराधी बना रॉकी मेंटल, वारदात को अंजाम देने से पहले लगाता है व्हाट्सएप स्टेटस

एनकाउंटर के डर से दिल्ली भागा गैंगस्टर: जब गैंगस्टर दिनेश चुलकाना को हरियाणा पुलिस द्वारा उसके एनकाउंटर का आभास हुआ तो उसने दिल्ली में छुपने की प्लानिंग बना ली. दिल्ली जाने से पहले उसने समालखा के 4 व्यापारियों से 5 लाख की रंगदारी की मांग की थी. व्यापारियों को यह पता था कि दिनेश चुलकाना के नाम से अगर फिरौती की रकम मांगी गई है तो ना करने का मतलब सीधे मौत के दरवाजे पर दस्तक देना है. इसी डर से चारों व्यापारी पुलिस के पास पहुंचे. इधर, पुलिस भी गैंगस्टर दिनेश चुलकाना का एनकाउंटर की प्लानिंग कर चुकी थी. लेकिन इससे पहले वह दिल्ली फरार हो गया.

पढ़ें : हरियाणा का वो गैंग्स्टर जिसपर दर्ज थे 84 केस, 72 जेलों में बिताए 25 साल, आज भी बंदूक लेकर घूमता है लेकिन करता है ये काम

दिल्ली एसटीएफ ने एनकाउंटर में किया ढेर: वर्ष 2000 में गैंगस्टर दिनेश चुलकाना दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाकों में गुम हो चुका था. दिनेश अब दिल्ली से ही अपने गैंग को ऑपरेट कर रहा था. इस दौरान दिल्ली पुलिस को जुलाई 2006 में दिनेश के बारे में सूचना मिली कि वह द्वारका एरिया में अपने दोस्त से मिलने आ रहा है. इस पर दिल्ली पुलिस की एसटीएफ टीम ने पहले ही दिनेश के दोस्त को पकड़ लिया और पूरी प्लानिंग के साथ वहां अपना डेरा जमा लिया. जब दिनेश कार से अपने दोस्त के घर पहुंचा तो पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया. पुलिस के सरेंडर करने की चेतावनी देने पर दिनेश ने पुलिस पर फायरिंग करना शुरू कर दिया और जवाबी फायरिंग में दिल्ली पुलिस ने दिनेश चुलकाना को मार गिराया.

पानीपत: पानीपत जिले का चुलकाना गांव को बड़े गैंगस्टरों का भी गांव माना जाता है. इसी गांव का दिनेश 90 के दशक में हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर बन गया था. अक्सर अपराधी बनने के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है, लेकिन दिनेश के गैंगस्टर बनने के पीछे ना कोई वजह थी और ना ही कोई मजबूरी. दिनेश ने बचपन में ही ठान लिया था कि क्राइम की दुनिया में उसका भी एक अध्याय होना चाहिए. इसी सनक ने उसे हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर बना दिया.

16 साल की उम्र में दिनेश का अपने ही गांव के रहने वाले श्रीपाल गुर्जर के साथ मामूली कहासुनी को लेकर झगड़ा हो गया था. इस झगड़े के 5 साल बाद 1999 में दिनेश ने श्रीपाल गुर्जर की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. दिनेश गुर्जर भी अब दिनेश चुलकाना के नाम से जाना जाने लगा. पुलिस ने श्रीपाल की हत्या के आरोप में दिनेश को गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया गया.

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दिनेश ने जेल में बनाई अपनी गैंग: दिनेश ने जेल में रहकर अपनी गैंग को बढ़ाना शुरू कर दिया. एक साल बाद दिनेश जेल से बाहर आया. इस दौरान श्रीपाल का भाई विजय गुर्जर भी अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए दिनेश की हत्या करने की फिराक में था. लेकिन इससे पहले कि विजय कुछ कर पाता, दिनेश ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर विजय की भी हत्या कर दी. दिनेश जमानत पर बाहर आने के बाद एक के बाद एक क्राइम करता चला गया.

हरियाणा सहित तीन राज्यों में था खौफ: दिनेश पर यूपी, हरियाणा और दिल्ली में संगीन वारदात के कई मामले दर्ज हो चुके थे. इनमें हत्या, हत्या का प्रयास और रंगदारी के मामले शामिल थे. क्राइम का पर्याय बन चुके दिनेश का नाम अब हरियाणा के सबसे बड़े गैंगस्टर के नाम से जाना जाने लगा था. कोर्ट ने वर्ष 2000 में उसे 11 मामलों में भगोड़ा घोषित कर दिया. जबकि अब तक दिनेश पर करीब 32 से अधिक मामले दर्ज हो चुके थे. इसके बावजूद वह अभी भी बाहर घूम रहा था. जिसके कारण उसका खौफ बढ़ता जा रहा था.

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एनकाउंटर के डर से दिल्ली भागा गैंगस्टर: जब गैंगस्टर दिनेश चुलकाना को हरियाणा पुलिस द्वारा उसके एनकाउंटर का आभास हुआ तो उसने दिल्ली में छुपने की प्लानिंग बना ली. दिल्ली जाने से पहले उसने समालखा के 4 व्यापारियों से 5 लाख की रंगदारी की मांग की थी. व्यापारियों को यह पता था कि दिनेश चुलकाना के नाम से अगर फिरौती की रकम मांगी गई है तो ना करने का मतलब सीधे मौत के दरवाजे पर दस्तक देना है. इसी डर से चारों व्यापारी पुलिस के पास पहुंचे. इधर, पुलिस भी गैंगस्टर दिनेश चुलकाना का एनकाउंटर की प्लानिंग कर चुकी थी. लेकिन इससे पहले वह दिल्ली फरार हो गया.

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दिल्ली एसटीएफ ने एनकाउंटर में किया ढेर: वर्ष 2000 में गैंगस्टर दिनेश चुलकाना दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाकों में गुम हो चुका था. दिनेश अब दिल्ली से ही अपने गैंग को ऑपरेट कर रहा था. इस दौरान दिल्ली पुलिस को जुलाई 2006 में दिनेश के बारे में सूचना मिली कि वह द्वारका एरिया में अपने दोस्त से मिलने आ रहा है. इस पर दिल्ली पुलिस की एसटीएफ टीम ने पहले ही दिनेश के दोस्त को पकड़ लिया और पूरी प्लानिंग के साथ वहां अपना डेरा जमा लिया. जब दिनेश कार से अपने दोस्त के घर पहुंचा तो पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया. पुलिस के सरेंडर करने की चेतावनी देने पर दिनेश ने पुलिस पर फायरिंग करना शुरू कर दिया और जवाबी फायरिंग में दिल्ली पुलिस ने दिनेश चुलकाना को मार गिराया.

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