पानीपत: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा की जाती है. धनतेरस के दिन सोने चांदी के आभूषण और स्टील, तांबे और पीतल से बने बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन आभूषण और बर्तन खरीदने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
धनतेरस शुभ मुहूर्त: पंडित राधा कृष्ण शास्त्री के अनुसार 2023 की त्रयोदशी तिथि इस बार 10 नवंबर शुक्रवार 12:00 बजे से शुरू होकर 11 नवंबर दोपहर 1:00 बजे तक रहेगी. इसके बीच में खरीदारी करना शुभ है. वाहन खरीदने का समय 10 नवंबर 1:00 बजे से लेकर अगले दिन 11:00 बजे तक शुभ है.
धनतेरस पूजा विधि: पंचांग के अनुसार इस बार धन्वंतरि भगवान की पूजा का समय 10 नवंबर को शाम को 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर, शाम 7 बजकर 43 मिनट तक होगा. पंडित के अनुसार इस दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद साफ सुथरा कपड़े पहन कर भगवान कुबेर माता लक्ष्मी और धन्वंतरी भगवान की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें. इसके बाद गवान कुबेर माता लक्ष्मी और धन्वंतरी भगवान के सामने धूप दीप जलाकर पुष्प और फल अर्पित करें और रोली तिलक लगाकर माता लक्ष्मी और धन्वंतरी भगवान की आराधना करें. विष्णु सहस्रनाम का भी पाठ करें. पुराण के अनुसार धन्वंतरि भगवान को विष्णु का ही अवतार माना जाता है. इस दिन शाम के समय पूजा के बाद घर के सामने यम भगवान का भी दीप जलाना चाहिए.
धनतेरस के दिन करें ये उपाय: मान्यता है कि घर में सुख समृद्धि बनी रहे इसके लिए धनतेरस के दिन शाम की पूजा के लिए 13 दीपक घर के अंदर और 13 घर की दहलीज या छत पर रखें. दीपक जलाने के बाद तिजोरी और कुबेर देव की पूजा करने की कोशिश करें. इससे गरीबी और नकारात्मकता खत्म करने में मदद मिलेगी.
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क्या है त्रयोदशी का महत्व?: धनतेरस का त्योहार दीपावली से 2 दिन पहले मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी, धन्वंतरि भगवान और कुबेर की पूजा करने से घर परिवार में धन-धान्य की संपन्नता बनी रहती है. धनतेरस के दिन धातु से बने बर्तन खरीदना इसलिए शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन बर्तन खरीदने से पारिवार में आय में वृद्धि होती है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन झाड़ू भी घर में खरीदनी चाहिए, क्योंकि झाड़ू से ही साफ सफाई की जाती है और साफ सफाई का सूचक माने जाने वाली झाड़ू जिस घर में प्रवेश करती है तो लक्ष्मी भी साफ जगह पर ही वास करती हैं.
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