पानीपत: बीते दिनों लगातार हुई भारी बारिश ने तबाही मचा दी है. हिमाचल और उत्तराखंड में प्रकृति ने ऐसा तांडव मचाया कि मैदानी इलाकों को भी बुरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया. हरियाणा में यमुना का जलस्तर बढ़ गया तो यमुना के 18 गेट दिल्ली की तरफ डायवर्ट कर दिए. यमुना में 3 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी दिल्ली की ओर छोड़ दिया गया. जिसके बाद तबाही का मंजर पानीपत करनाल और अब दिल्ली में भी हाहाकार मचाने लगा. जिस पर राजनीति शुरू हो गई.
दरअसल, दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ा तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बयान दिया कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़े जाने के कारण दिल्ली में बाढ़ आ गई है. जिसके चलते उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा और दिल्ली वासियों की सुरक्षा की मांग की. दिल्ली में यमुना का पानी छोड़ने के लिए उन्होंने सीधे-सीधे हरियाणा सरकार को कोसना शुरू कर दिया है.
बुधवार को हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पानीपत में प्रभावित इलाकों का दौरा किया. जिसके बाद उन्होंने कहा कि अभी इस आपदा से निपटने के लिए कोई समाधान नहीं है. बस दुआ कीजिए कि पानी कम हो जाए और राहत बचाव कार्य शुरू किया जाएगा. यहां उन्होंने अरविंद केजरीवाल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि केजरीवाल की आदत है दूसरे राज्य पर कमेंट करना. यह एक प्राकृतिक आपदा है, स्थिति पर काबू पाने की बजाय एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. आगे पानी छोड़ने की हरियाणा की गलती है और हर कार्य में हरियाणा की गलती है, तो अरविंद केजरीवाल हरियाणा में पैदा क्यों हुए. हरियाणा में पैदा होना भी तो केजरीवाल की गलती है.
हथिनीकुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के बाद पानीपत में यमुना की तलहटी के क्षेत्रों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. बीते मंगलवार सुबह जलालपुर-नवादा तटबंध टूटने के बाद पानी पूरे वेग से सनौली क्षेत्र के खेतों में घुस गया था. अभी उस स्थिति पर काबू पाया नहीं गया था. तो पत्थर गढ़-नवादा का तटबंध टूट गया. पानी दुगनी गति से ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ रुख करने लगा.
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बुधवार को पानी पानीपत के गांव में बहने लग गया. अब 3 से 4 गांव के रिहायशी क्षेत्रों में पानी घुस चुका है. अब तक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि गांव के अंदर इतनी मात्रा में पानी घुस चुका है. अब लोगों को डर सताने लगा है कि रात होते-होते कहीं यह पानी और अधिक ना बढ़ जाए और वह पानी के अंदर फस कर ना रह जाएं.
ईटीवी भारत की टीम ने सनौली ब्लॉक में गांव झम्बा से ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति का जायजा लिया. गांव की गलियां स्विमिंग पूल की तरह नजर आ रही है. मंदिर और घरों में पानी घुस चुका है. मंदिर के प्रांगण में बच्चे पानी में तैरते दिखाई दे रहे हैं. हमने जब इसके बारे में स्थानीय सीनियर रिपोर्टर उमेश त्यागी से बात की तो उन्होंने बताया कि 1978 में पहली बार सबसे ज्यादा पानी ग्रामीण क्षेत्र और खेतों में घुसा था. उसके बाद 2013 में पानी ने भारी तबाही मचाई थी और अब सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए पानी उन गांव की तरफ भी रुक कर चुका है, जहां कभी पहले पानी नहीं पहुंचा था.
सीनियर रिपोर्टर उमेश त्यागी ने बताया कि इसका मुख्य कारण यह है कि यमुना के जो तटबंध है. जो कमजोर हो चुके हैं और यहां के खनन माफिया हैं. रेत यमुना से चोरी करने के बाद उन्हें उन्हीं तट बंद ओवरलोड वाहनों में भरकर ले जाते हैं. जिससे तटबंध कमजोर हो जाते हैं और पानी का दबाव नहीं झेल पाते. जिसका परिणाम सबके सामने हैं. पानीपत में स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल हेलीकॉप्टर से जायजा लेने के लिए पहुंचे.