पंचकूला: दान दक्षिणा के अलावा किसी भी प्रसिद्ध् मंदिर के लिए कमर्शियल कॉम्प्लेक्स रेवेन्यू का बड़ा स्त्रोत होता है. इस बार कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से मदिरों को मिलने वाली इस रेवन्यू राशि में भारी कटौती हुई है.
एक तरफ कोरोना के डर से लोग मंदिर आने से परहेज कर रहे हैं तो दूसरी तरफ पर्यटकों में भी भारी कमी देखने को मिल रही है. जिसका असर मंदिर के मिलने वाले रेवेन्यू पर पड़ रहा है. माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ एमएस यादव ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते इस बार कमर्शियल कॉम्प्लेक्स से किराया ना के बराबर आया है.
माता मनसा देवी मंदिर का रेवेन्यू घटा
माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के पास तीन दुकानें हैं. इन तीनों दुकानों से महीने का करीब 5-5 हजार रुपये किराया आता था. लॉकडाउन के बाद से अभी तक इन दुकानों से किराया नहीं आया है. ओवरऑल रिसीट की बात करें तो जनवरी से लेकर अक्टूबर तक मंदिर में 9 करोड़ रुपये आ जाने चाहिए थे. लेकिन अभी तक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के जरिए मंदिर को 1 करोड़ 24 लाख रुपये ही मिले हैं. इस घाटे से उबरने के लिए मंदिर प्रशासन ने अनलॉक के बाद से ऑनलाइन टिकट की व्यवस्था की है. ताकि मंदिर को मिलने वाले रेवेन्यू में इजाफा हो सके.
कमर्शियल कॉम्प्लेक्स से नहीं मिला रेवेन्यू
माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के पास दो धर्मशालाएं हैं. एक का नाम लाजवंती है तो दूसरी का नाम लक्ष्मी है. जनवरी से लेकर अक्टूबर तक साढ़े 13 लाख रुपये का रेवेन्यू आना चाहिए था. लेकिन इस बार ये 1 लाख 24 हजार रुपये ही आया है. कोरोना की वजह से इस बार भंडारे और मेले का आयोजन भी नहीं किया गया. इसकी रिसीट करीब 11 से 12 लाख रुपये आती थी. इस बार ये ना के बराबर रही है. माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ के मुताबिक नवरात्रों में उनको ज्यादा रेवेन्यू मिलता था. लेकिन इस बार उन्होंने शर्त रखी थी कि जो भी लोग नेगेटिव रिपोर्ट दिखाएंगे उसी को ही धर्मशाला में ठहरने दिया जाएगा. इसकी वजह से लोग धर्मशाला में नहीं आए. जिसका असर मंदिर को मिलने वाले रेवेन्यू पर पड़ा है.
माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ एमएस यादव ने बताया कि साल 2019 में दुकानों से करीब 75 हजार रुपये रेंट आया था. इस बार ये रेंट आया ही नहीं है. इसके अलावा नवरात्र में प्रसाद, मेले में बिकने वाले सामान की टेंपरेरी मार्केट लगाई जाती थी. जिसकी ऑक्शन की जाती थी, लेकिन इस बार नवरात्रों में वो टेंपरेरी मार्केट भी नहीं लगाई गई. इसकी रसीट करीब 11 से 12 लाख रुपए आती थी, जबकि इस बार ऑक्शन ना होने की वजह से इसकी रसीट जीरो (0) रही.
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एमएस यादव ने बताया कि धर्मशालाओं का हर साल करीब 3-3 लाख रुपये रेंट आ जाता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते धर्मशालाएं खाली रही हैं. जबकि नवरात्रों में तो श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती थी कि एक से डेढ़ लाख लोगों को ग्राउंड में सोना पड़ता था. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से सन्नाटा रहा. रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन टिकट की व्यवस्था की. जिससे उन्हें अनलॉक में करीब 7 लाख 12 हजार रुपये का रेवेन्यू मिला है.