पंचकूला: आज नव दुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्र के दूसरे दिन माता मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा. मां के दीदार के लिए सुबह ही लंबी कतार लग गई और पूरा मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंजता रहा.
16 क्विंटल फूलों से सजा मां का दरबार
माता मनसा देवी मंदिर को फूलों से सजाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस बार माता मनसा देवी दरबार सहित अन्य मंदिरों को सजाने के लिए 16 क्विंटल फूल इस्तेमाल किए गए हैं. उन्होंने बताया कि भवन को सजाने के साथ-साथ सभी रास्तों और अन्य मंदिरों को भी फूलों से सजाया गया है.
शिवालिक की पहाड़ियों में है मां का बसेरा
यह मंदिर पंचकूला में शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित है और उत्तर भारत में इसे शक्ति की पूजा के रूप में मान्यता देने की पुरानी परंपरा रही है.
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना शुभ फलदायी
मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया. छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चंद्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना शुभ फलदायी होता है.
मां ब्रह्मचारिणी ने की थी कठोर तपस्या
ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना. मान्यता के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. यही वजह है कि उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरुप की पूजा अर्चना करता है उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है. सन्यासियों के लिए देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी है. आइए जानते हैं नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए करें किस मंत्र का जाप और किस तरह करें मां की पूजा अर्चना.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के लिए पढ़ें ये मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ये भी पढ़ें- नवरात्रि का पहला दिन: देवी दुर्गा के पहले स्वरुप शैलपुत्री का कैसे हुआ नामकरण