ETV Bharat / state

पंचकूला: सीबीआई स्पेशल कोर्ट में पेश हुए पूर्व सीएम हुड्डा, 18 सितम्बर को अगली सुनवाई

मानेसर लैंड स्कैम और एजेएल मामले में पंचकूला सीबीआई कोर्ट में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पेश हुए.

पंचकूला सीबीआई कोर्ट में पेश हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा
author img

By

Published : Aug 22, 2019, 5:41 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 7:55 PM IST

पंचकूला: हरियाणा में मानेसर लैंड स्कैम और एजेएल मामले में गुरुवार को प्रदेश के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में पेश हुए. मानेसर लैंड स्कैम मामले में अगली सुनवाई में भी चार्जेस पर बहस जारी रहेगी. वहीं एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को डिस्चार्ज किए जाने को लेकर बचाव पक्ष ने कोर्ट में याचिका लगाई गई है.

अगली सुनवाई 18 सितंबर को
बचाव पक्ष के वकील ने जानकारी देते हुए बताया कि दोनों मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी. वहीं वकील ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि अगली सुनवाई में सीबीआई एजेएल मामले में अपना जवाब पेश करेगी.

मानेसर लैंड और एजेएल मामले की जानकारी देते वकील

क्या था मानेसर लैंड डील का मामला?
27 अगस्त 2004 को एचएसआईआईडीसी ने इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने के लिए मानेसर, लखनौला, नौरंगपुर में 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया. राज्य सरकार ने 224 एकड़ जमीन को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया, 688 एकड़ जमीन अधिग्रहण के दायरे में रही.

इसके बाद कई बिल्डरों ने किसानों से जमीन खरीदना शुरू कर दिया. 24 अगस्त 2007 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द कर दी. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि बिल्डरों ने किसानों को जमीन के बदले जो भी रकम दी है वह वापस नहीं होगी. जमीन मालिक को जो पैसा बिल्डर ने दिया है वह मुआवजा माना जाएगा. अगर मुआवजा बकाया है तो राज्य सरकार देगी. जहां मुआवजे से ज्यादा रकम मिली है, वह रकम वापस नहीं होगी. जिसने बिल्डरों को जमीन और फ्लैट अलॉटमेंट के बदले रकम दी है, वह रकम वापस पाने का हकदार होगा. तीसरे पक्ष को रिफंड या अलॉट किए गए प्लॉट या फ्लैट में हिस्सा मिलेगा.

कैसे हुआ था एजेएल घोटाला ?
इस विवाद की शुरूआत वर्ष 1982 में हुई थी. तत्कालीन सरकार ने पंचकूला के सेक्टर-6 में एजेएल को 3360 स्क्वायर मीटर का प्लॉट अलॉट किया गया था. तय समय सीमा के दौरान संबंधित संस्थान ने इस प्लॉट पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया. 1996 में पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद बंसीलाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन हरियाणा विकास पार्टी सरकार ने इसका कब्जा वापस ले लिया.

इसके बाद वर्ष 2005 में हरियाणा में फिर से कांग्रेस की सरकार सत्ता में आ गई. जून 2005 में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने एजेएल के आधार पर हुड्डा से ये प्लॉट फिर से अलॉट किए जाने की मांग की. जिसमें यह कहा गया कि यहां से एक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया जाएगा. यही से एक नया घोटाला शुरू हो गया.

पंचकूला: हरियाणा में मानेसर लैंड स्कैम और एजेएल मामले में गुरुवार को प्रदेश के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में पेश हुए. मानेसर लैंड स्कैम मामले में अगली सुनवाई में भी चार्जेस पर बहस जारी रहेगी. वहीं एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को डिस्चार्ज किए जाने को लेकर बचाव पक्ष ने कोर्ट में याचिका लगाई गई है.

अगली सुनवाई 18 सितंबर को
बचाव पक्ष के वकील ने जानकारी देते हुए बताया कि दोनों मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी. वहीं वकील ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि अगली सुनवाई में सीबीआई एजेएल मामले में अपना जवाब पेश करेगी.

मानेसर लैंड और एजेएल मामले की जानकारी देते वकील

क्या था मानेसर लैंड डील का मामला?
27 अगस्त 2004 को एचएसआईआईडीसी ने इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने के लिए मानेसर, लखनौला, नौरंगपुर में 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया. राज्य सरकार ने 224 एकड़ जमीन को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया, 688 एकड़ जमीन अधिग्रहण के दायरे में रही.

इसके बाद कई बिल्डरों ने किसानों से जमीन खरीदना शुरू कर दिया. 24 अगस्त 2007 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द कर दी. फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि बिल्डरों ने किसानों को जमीन के बदले जो भी रकम दी है वह वापस नहीं होगी. जमीन मालिक को जो पैसा बिल्डर ने दिया है वह मुआवजा माना जाएगा. अगर मुआवजा बकाया है तो राज्य सरकार देगी. जहां मुआवजे से ज्यादा रकम मिली है, वह रकम वापस नहीं होगी. जिसने बिल्डरों को जमीन और फ्लैट अलॉटमेंट के बदले रकम दी है, वह रकम वापस पाने का हकदार होगा. तीसरे पक्ष को रिफंड या अलॉट किए गए प्लॉट या फ्लैट में हिस्सा मिलेगा.

कैसे हुआ था एजेएल घोटाला ?
इस विवाद की शुरूआत वर्ष 1982 में हुई थी. तत्कालीन सरकार ने पंचकूला के सेक्टर-6 में एजेएल को 3360 स्क्वायर मीटर का प्लॉट अलॉट किया गया था. तय समय सीमा के दौरान संबंधित संस्थान ने इस प्लॉट पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया. 1996 में पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद बंसीलाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन हरियाणा विकास पार्टी सरकार ने इसका कब्जा वापस ले लिया.

इसके बाद वर्ष 2005 में हरियाणा में फिर से कांग्रेस की सरकार सत्ता में आ गई. जून 2005 में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने एजेएल के आधार पर हुड्डा से ये प्लॉट फिर से अलॉट किए जाने की मांग की. जिसमें यह कहा गया कि यहां से एक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया जाएगा. यही से एक नया घोटाला शुरू हो गया.

Intro:पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर चल रहे मानेसर लैंड स्कैम और एजेल प्लॉट आवंटन मामले की सुनवाई आज पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में हुई।

आरोपी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अन्य आरोपी कोर्ट में हुए पेश।


Body:मानेसर लैंड स्कैम मामले में अगली सुनवाई पर भी चार्जेस पर बहस जारी रहेगी।

वही एजेल प्लाट आवंटन मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को डिस्चार्ज किए जाने को लेकर बचाव पक्ष ने कोर्ट में याचिका लगाई गई।

मामले की अगली सुनवाई अब 18 सितंबर को होगी।


Conclusion:अगली सुनवाई में सीबीआई एजेल मामले में अपना जवाब फाइल करेगी

दोनों मामलों की सुनवाई अब 18 सितंबर को ही होगी।

बाइट - एस.पी.एस परमार, बचाव पक्ष वकील।
Last Updated : Aug 22, 2019, 7:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.