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Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 : संकष्टी चतुर्थी कब है, जान लीजिए सही तारीख और पूजा की पूरी विधि - GANADHIPA SANKASHTI CHATURTHI 2024

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के व्रत का काफी ज्यादा महत्व है. जानिए कब है सही तारीख, समय और पूजा विधि.

Ganadhipa sankashti chaturthi 2024 date time Shubh Muhurat Puja vidhi Bhog and importance
संकष्टी चतुर्थी 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 16, 2024, 10:49 PM IST

Updated : Nov 17, 2024, 4:05 PM IST

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 : सनातन धर्म में भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है और किसी भी काम को करने से पहले भगवान गणेश की पूर्जा-अर्चना अवश्य की जाती है. गणाधिप संकष्टी चतुर्थी गणपति बप्पा को समर्पित होती है और इसके व्रत को काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है. तो आईए जानते हैं कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की तिथि कब है, इसका महत्व क्या है और इस दिन आपको कैसे गणपति की विशेष पूजा-अर्चना करनी है.

कब है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी ?: करनाल के पंडित ने बताया कि हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को समर्पित होती है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा गया है. भगवान गणेश की इस दिन पूजा-अर्चना करने का विधान है. साथ ही गणपति बप्पा को इस दिन उनकी प्रिय चीजों का भोग भी लगाया जाता है. इस बार पंचांग के मुताबिक गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत 18 नवंबर को शाम 6.55 मिनट पर हो रही है और अगले दिन 19 नवंबर को शाम 5.28 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में 18 नवंबर को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी रहेगा. इस दिन शाम के समय चन्द्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य भी देना चाहिए.

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व : पंडित ने बताया कि हिंदू धर्म में हर काम को करने की शुरुआत भगवान श्रीगणेश की पूजा के साथ की जाती है. गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के व्रत को हिंदू धर्म में काफी ज्यादा शुभ माना गया है. माना जाता है कि इस व्रत को अच्छे से करने पर घर में आ रही आर्थिक समस्याओं के साथ-साथ बाकी परेशानियों से भी लोगों को छुटकारा मिल जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि ये व्रत व्यक्ति के जीवन से जुड़ी समस्याओं को समाप्त कर देता है और घर में सुख-समृद्धि और शांति लाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति और परिजनों की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर भोग : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर आप गणपति बप्पा को मोदक का भोग लगाएं. कहा जाता है कि गणेशजी के प्रिय मोदक का भोग लगाने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. वहीं जो दंपति खुशहाल वैवाहिक जीवन चाहते हैं, उन्हें गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से उनके जीवन में खुशहाली आती है.

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी करने के लिए सुबह जल्दी उठ जाएं और फिर अपने नित्यकर्मों को निपटाने के बाद स्वच्छ कपड़ें पहनें और घर के पूजा घर में एक छोटी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछा लें. उस पर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें. मंदिर में घी का दीपक जला लें. फिर गणेश जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करवाएं. इसके बाद उन्हें पीला सिंदूर और कुमकुम का टीका लगाएं. इसके साथ ही गणेशजी के प्रिय मोदक का भोग उन्हें जरूर लगाएं. साथ ही भगवान श्रीगणेश को दूर्वा घास अर्पित करना ना भूलें क्योंकि ऐसा करना काफी शुभ माना गया है. इसके बाद आप भगवान श्रीगणेश की कथा पढ़ें और आरती उतारें. इसके बाद सभी परिजनों को प्रसाद का वितरण कर दें.

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Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 : सनातन धर्म में भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है और किसी भी काम को करने से पहले भगवान गणेश की पूर्जा-अर्चना अवश्य की जाती है. गणाधिप संकष्टी चतुर्थी गणपति बप्पा को समर्पित होती है और इसके व्रत को काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है. तो आईए जानते हैं कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की तिथि कब है, इसका महत्व क्या है और इस दिन आपको कैसे गणपति की विशेष पूजा-अर्चना करनी है.

कब है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी ?: करनाल के पंडित ने बताया कि हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को समर्पित होती है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा गया है. भगवान गणेश की इस दिन पूजा-अर्चना करने का विधान है. साथ ही गणपति बप्पा को इस दिन उनकी प्रिय चीजों का भोग भी लगाया जाता है. इस बार पंचांग के मुताबिक गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत 18 नवंबर को शाम 6.55 मिनट पर हो रही है और अगले दिन 19 नवंबर को शाम 5.28 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में 18 नवंबर को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी रहेगा. इस दिन शाम के समय चन्द्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य भी देना चाहिए.

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व : पंडित ने बताया कि हिंदू धर्म में हर काम को करने की शुरुआत भगवान श्रीगणेश की पूजा के साथ की जाती है. गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के व्रत को हिंदू धर्म में काफी ज्यादा शुभ माना गया है. माना जाता है कि इस व्रत को अच्छे से करने पर घर में आ रही आर्थिक समस्याओं के साथ-साथ बाकी परेशानियों से भी लोगों को छुटकारा मिल जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि ये व्रत व्यक्ति के जीवन से जुड़ी समस्याओं को समाप्त कर देता है और घर में सुख-समृद्धि और शांति लाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति और परिजनों की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर भोग : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर आप गणपति बप्पा को मोदक का भोग लगाएं. कहा जाता है कि गणेशजी के प्रिय मोदक का भोग लगाने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. वहीं जो दंपति खुशहाल वैवाहिक जीवन चाहते हैं, उन्हें गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से उनके जीवन में खुशहाली आती है.

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि : गणाधिप संकष्टी चतुर्थी करने के लिए सुबह जल्दी उठ जाएं और फिर अपने नित्यकर्मों को निपटाने के बाद स्वच्छ कपड़ें पहनें और घर के पूजा घर में एक छोटी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछा लें. उस पर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें. मंदिर में घी का दीपक जला लें. फिर गणेश जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करवाएं. इसके बाद उन्हें पीला सिंदूर और कुमकुम का टीका लगाएं. इसके साथ ही गणेशजी के प्रिय मोदक का भोग उन्हें जरूर लगाएं. साथ ही भगवान श्रीगणेश को दूर्वा घास अर्पित करना ना भूलें क्योंकि ऐसा करना काफी शुभ माना गया है. इसके बाद आप भगवान श्रीगणेश की कथा पढ़ें और आरती उतारें. इसके बाद सभी परिजनों को प्रसाद का वितरण कर दें.

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Last Updated : Nov 17, 2024, 4:05 PM IST
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