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बिना चीड़फाड़ के इस तकनीक से डॉक्टरों ने बदला 70 साल की महिला का वॉल्व - पंचकूला महिला दिल का इलाज

बिना चीड़फाड का ऑपरेशन किए पंचकूला के एक निजी अस्पताल में 70 साल की महिला का वॉल्व बदला गया है. जिस ट्रांस्क्युटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक का प्रयोग डॉक्टर्स ने किया, ये मौजूदा दौरा में हृदय के मरीजों के लिए सबसे बेहतर तकनीक है.

doctors changed cardiac valves in panchkula
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Published : May 30, 2020, 9:34 PM IST

पंचकूला: एक निजी सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल के कार्डियक साइंस विभाग के प्रमुख और दिल के रोगों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर एसके बाली ने बंद वॉल्व को बिना ऑपरेशन वॉल्व फिट करने की नई तकनीक से एक 70 साल की महिला को नई जिंदगी दी है. डॉ. एसके बाली ने बताया कि ट्रांस्क्युटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट नामक इस तकनीक ने विशेषकर बुजुर्ग दिल के रोगियों के लिए नई उम्मीद जगाई है.

डॉ. एचके बाली ने बताया कि इस विधि से ब्लॉक हो चुके वाल्वों के अंदर बिना ऑपरेशन वाल्व फिट करके ब्लड की सप्लाई दोबारा चालू करने में सफलता हासिल हुई है. जिससे इंसान के शरीर को अनेकों बीमारियों से सुरक्षित किया जा सकता है. चंडीगढ़ की रहने वाली 70 साल की इस महिला के दिल में करीब 10 साल पहले वॉल्व डाला गया था. जिसको अब दोबारा से सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी. इस महिला का बिना ऑपरेशन किए नई तकनीक से इलाज किया गया है.

बिना चीड़फाड़ के इस तकनीक से डॉक्टरों ने बदला 70 साल की महिला का वॉल्व

जल्द ठीक होता है मरीज

डॉक्टर बाली ने बताया कि रेडो सर्जिकल वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक अपनाना काफी जोखिम भरा काम है. जिसके बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि सर्जिकल ट्रांस्क्युटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक को अपनाया जाए. उन्होंने बताया कि विश्वभर में अनेकों लोगों को नई जिंदगी देने वालीर इस विधि से मरीज को किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती, साथ ही मरीज जल्द ठीक हो जाता है.

पंचकूला: एक निजी सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल के कार्डियक साइंस विभाग के प्रमुख और दिल के रोगों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर एसके बाली ने बंद वॉल्व को बिना ऑपरेशन वॉल्व फिट करने की नई तकनीक से एक 70 साल की महिला को नई जिंदगी दी है. डॉ. एसके बाली ने बताया कि ट्रांस्क्युटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट नामक इस तकनीक ने विशेषकर बुजुर्ग दिल के रोगियों के लिए नई उम्मीद जगाई है.

डॉ. एचके बाली ने बताया कि इस विधि से ब्लॉक हो चुके वाल्वों के अंदर बिना ऑपरेशन वाल्व फिट करके ब्लड की सप्लाई दोबारा चालू करने में सफलता हासिल हुई है. जिससे इंसान के शरीर को अनेकों बीमारियों से सुरक्षित किया जा सकता है. चंडीगढ़ की रहने वाली 70 साल की इस महिला के दिल में करीब 10 साल पहले वॉल्व डाला गया था. जिसको अब दोबारा से सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी. इस महिला का बिना ऑपरेशन किए नई तकनीक से इलाज किया गया है.

बिना चीड़फाड़ के इस तकनीक से डॉक्टरों ने बदला 70 साल की महिला का वॉल्व

जल्द ठीक होता है मरीज

डॉक्टर बाली ने बताया कि रेडो सर्जिकल वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक अपनाना काफी जोखिम भरा काम है. जिसके बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि सर्जिकल ट्रांस्क्युटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक को अपनाया जाए. उन्होंने बताया कि विश्वभर में अनेकों लोगों को नई जिंदगी देने वालीर इस विधि से मरीज को किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती, साथ ही मरीज जल्द ठीक हो जाता है.

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