पंचकूला: अनलॉक-4 में केंद्र सरकार ने स्कूल को खोलने का जिम्मा राज्य सरकारों पर सौंप दिया. जिसके बाद हरियाणा सरकार ने गाइडलाइन जारी कर स्कूलों को अस्थाई तौर पर खोलने का फैसला किया. इसमें प्राइवेट स्कूलों के लिए बुरी खबर ये है कि ज्यादातर अभिभावकों ने बच्चों को प्राइवेट की जगह सरकारी स्कूल में पढ़ाने का फैसला किया.
एक तरफ प्राइवेट स्कूल पहले ही लॉकडाउन की वजह से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. ऐसे में अभिभावकों का ये फैसला उनपर दोहरी मार साबित हो रहा है. बात की जाए हरियाणा की तो इस साल सरकारी स्कूलों में करीब 53 से 56 हजार दाखिले ज्यादा हुए हैं.
इसकी एक वजह ये भी रही कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया. हालत ये हो गए कि लोगों के पास जो जून तक की रोटी के लिए पैसे नहीं बचे. ऐसे में घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई अभिभावकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. अब अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की भारी भरकम फीस चुकाने में समर्थ नहीं है. लिहाजा उन्होंने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में करवाना सही समझा. दूसरा ये कि पहले के मुकाबले सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर काफी सुधरा है.
शिक्षा अधिकारी के मुताबिक विभाग ने 974 संस्कृति मॉडल स्कूल क्लास 1 से 5 तक के लिए खोलें है. इनमें पूरी तरह से इंग्लिश मीडियम कक्षाएं लगेंगी, इसके अलावा हर एक खंड पर संस्कृति मॉडल स्कूल खोला जाएगा. जिसके बाद विभाग ने 113 और संस्कृति मॉडल स्कूल खोलने का फैसला किया है. सूबे का कोई भी विधानसभा क्षेत्र ऐसा नहीं होगा जहां पर कोई भी मॉडल संस्कृति स्कूल ना हो.
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सहायक निदेशक शैक्षणिक प्रकोष्ठ नंद किशोर वर्मा ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले अभिभावकों का सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास बढ़ना उनकी बड़ी उपलब्धि है. इस साल पहले के मुकाबले सरकारी स्कूलों की रिजल्ट काफी अच्छा रहा है. जिसके चलते अभिभावकों ने सोच विचार करके ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाया है. विभाग के अधिकारियों का दावा है कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा में और ज्यादा सुधार के प्रयास किए जाएंगे.