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पलवल में कुत्ते और बंदरों के काटने के मामलो में आई कमी

कोरोना महामारी के दौरान देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते पलवल में कुत्ते और बंदरों के काटने के मामलो में कमी आई है. अस्पताल के एंटी रैबीज क्लिनिक इंचार्ज की मानें तो लॉकडाउन से पहले अस्पताल में कुत्ते और बंदरों के काटने के रोजाना 50 मरीज आते थे, वो घटकर आधे हो गए हैं.

palwal dog and monkey bite cases decrease
palwal dog and monkey bite cases decrease
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Published : May 11, 2020, 11:40 PM IST

पलवल: जिले में कुत्ते और बंदरों के के काटने के मामलों में बड़ी गिरावट आई है. जिसका कारण लॉकडाउन में लोगों का घर से कम निकलना बताया जा रहा है. साथ ही इस महामारी ने क्षेत्र के लोगों के मन में ऐसा करुणा भाव भी जगा है कि बड़ी संख्या में समाज सेवी, न केवल जरूरतमंदो को बल्कि जानवरों को भी भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. जिसके चलते जानवरों के आक्रमण का रवैया भी बदल गया है.

नागरिक अस्पताल के एंटी रैबीज क्लिनिक इंचार्ज देवेंदर तेवतिया का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी के समय में देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते कुत्ते और बंदरों के काटने के मामलों में कमी आई है. पहले पलवल के नागरिक अस्पताल में रोजाना कुत्ते और बंदरो के काटने के 50 मरीज एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आते थे, लेकिन ये संख्या घटकर अब 25 हो गई है.

पलवल के नागरिक अस्पताल में रोजाना कुत्ते और बंदरों के काटने के 25 मरीज एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आ रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान अब तक करीब 600 मरीजों को एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाया है. कोरोना महामारी के चलते पलवल के नागरिक अस्पताल में भी सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. इसके अलावा जो भी मरीज बिना मास्क के अस्पताल में आता है. उसे मास्क भी दिया जाता है.

ये भी पढ़ें:- पड़ताल: लॉकडाउन में चारे की कमी ने तोड़ी डेयरी उद्योग की कमर, आधा दूध दे रहे पशु

इसके अलावा नागरिक अस्पताल में लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है. लोगों को बताया जा रहा है कि जरूरत के समय अपने घरों से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग अवश्य करें और बार-बार सैनिटाइजर और साबुन से अपने हाथ धोएं. अगर किसी को खांसी, जुकाम या बुखार की शिकायत है, तो वे पलवल के नागरिक अस्पताल में आकर अपनी कोरोना जांच करवाए.

पलवल: जिले में कुत्ते और बंदरों के के काटने के मामलों में बड़ी गिरावट आई है. जिसका कारण लॉकडाउन में लोगों का घर से कम निकलना बताया जा रहा है. साथ ही इस महामारी ने क्षेत्र के लोगों के मन में ऐसा करुणा भाव भी जगा है कि बड़ी संख्या में समाज सेवी, न केवल जरूरतमंदो को बल्कि जानवरों को भी भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. जिसके चलते जानवरों के आक्रमण का रवैया भी बदल गया है.

नागरिक अस्पताल के एंटी रैबीज क्लिनिक इंचार्ज देवेंदर तेवतिया का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी के समय में देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते कुत्ते और बंदरों के काटने के मामलों में कमी आई है. पहले पलवल के नागरिक अस्पताल में रोजाना कुत्ते और बंदरो के काटने के 50 मरीज एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आते थे, लेकिन ये संख्या घटकर अब 25 हो गई है.

पलवल के नागरिक अस्पताल में रोजाना कुत्ते और बंदरों के काटने के 25 मरीज एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आ रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान अब तक करीब 600 मरीजों को एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाया है. कोरोना महामारी के चलते पलवल के नागरिक अस्पताल में भी सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. इसके अलावा जो भी मरीज बिना मास्क के अस्पताल में आता है. उसे मास्क भी दिया जाता है.

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इसके अलावा नागरिक अस्पताल में लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है. लोगों को बताया जा रहा है कि जरूरत के समय अपने घरों से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग अवश्य करें और बार-बार सैनिटाइजर और साबुन से अपने हाथ धोएं. अगर किसी को खांसी, जुकाम या बुखार की शिकायत है, तो वे पलवल के नागरिक अस्पताल में आकर अपनी कोरोना जांच करवाए.

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