पलवल: कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन 39वें दिन भी जारी रहा. पलवल में भी किसानों का आंदोलन जारी है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने रविवार को पलवल पहुंचकर किसानों के धरने को समर्थन दिया. कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस इन बिलों का विरोध करते हुए किसानों के साथ खड़ी है.
सैलजा ने कहा कि इन कानूनों के साथ लोकतंत्र का गला घोंटने के कोशिश की जा रही है. उन्होंने केंद्र सरकार पर पूंजीपतियों का साथ देने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों से सरकार की वार्ता ढोंग है.
क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठते हैं 11 किसान
पलवल में केजीपी-केएमपी एक्सप्रेस-वे के इंटरचेंज पर 1 महीने से किसान धरना दे रहे हैं. रविवार को हुई बारिश से किसानों को खासी परेशानी हुई, लेकिन सुबह से लगातर चल रही बारिश किसानों के हौसलों को कम नहीं कर पाई. बुंदेलखंड़ के 11 किसान क्रमिक भूख हड़ताल पर रहे. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भी किसानों के धरने को समर्थन दिया.
बातचीत के नाम पर ढोंग कर रही सरकार- सैलजा
इस मौके पर किसानों को संबोधित करते हुए कुमारी सैलजा ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा, उन्होंने कहा जब ये कानून बनाया जा रहा था तभी से हमारे नेता राहुल गांधी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी. बावजूद इसके ये कानून केंद्र सरकार द्वारा लागू कर दिए गए. उन्होंने कहा केंद्र सरकार किसानों से बातचीत के नाम पर ढोंग कर रही है. सात दौर की इस वार्ता में कोई हल निकाला गया.
कृषि कानूनों को वापस ले सरकार- सैलजा
सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार को इस ढोंग को बंद करके तीनों काले कानूनों को वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा केंद्र सरकार और भाजपा की प्रदेश सरकारें किसानों को अलग-थलग कर देश को बांटने की कोशिश कर रही है. जो देश हित में नहीं है. उन्होंने कहा ये कैसी देश भक्ति है? जिसमें अपने ही नागरिक किसानों को इस तरह से गलत कहा जा रहा है.
उन्होंने कहा इन कानून को बनाए जाने से पहले देश के किसानों की राय लेनी चाहिए थी, लेकिन बिना किसी की राय लिए इन कानूनों केंद्र सरकार द्वारा लागू कर दिया गया. जिसके बाद किसानों को सडक़ों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा. सैलजा ने कहा कि किसान आंदोलन तो पूरी तरह सफल है, लेकिन सरकार और शाशक को ये बिलकुल नहीं कहना चाहिए कि वो किसानों के सामने बिलकुल नहीं झुकेंगे.
ये भी पढ़ें- शांति का संदेश देते हुए टिकरी बॉर्डर से किसानों की ट्रैक्टर यात्रा रेवाड़ी पहुंची
लोकतंत्र में सभी की बात सुनाई जानी चाहिए. इस आंदोलन के दौरान करीब 50 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई हैं. बावजूद इसके सरकार ने एक भी शब्द किसानों की साहनुभूति को लेकर नहीं कहा. यही नहीं नोटबंदी के दौरान 100-150 लोगों की मौत को लेकर सरकार संवेदनहीन रही थी. उन्होंने कहा कि नगर निगम के चुनावों में सिंबल पर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को जमीनी स्तर पर अपनी मजबूती देखने को मिली है. वहीं बीजेपी को हार का मुंह देखने का मिला. इस सरकार से लोगों का मोह भंग होता जा रहा है.