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पलवल में किसान आंदोलन हुआ तेज, बार एसोसिएशन और क्षेत्रीय नेताओं ने दिया किसानों को समर्थन

पलवल में किसान एक बार फिर धरने पर बैठे. इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द किसानों पर हुए केस वापस ले. नहीं तो 15 दिन के बाद इसके लिए भी वो रणनीति बनाएंगे.

farmers protest against agricultural laws in palwal
पलवल में किसान आंदोलन हुआ तेज
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Published : Feb 1, 2021, 4:45 PM IST

पलवल: कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीने से भी अधिक दिनों से देश के अलग-अलग जगहों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन नतीजा सिफर रहा है. कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को पलवल में किसान धरने पर बैठने के लिए एकजुट हुए हैं.

पलवल में भारी संख्या में किसान धरने पर बैठने के लिए पहुंच चुके हैं. किसानों ने सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस ली है. किसानों ने प्रशासन को चेताया है कि जो 26 जनवरी को किसानों के साथ पुलिस ने घटना की, उसमें किसानों के खिलाफ जो भी मामले दर्ज किए गए. उसके 15 दिन के अंदर कैंसिल किया जाए.

पलवल में किसानों ने शुरू किया कृषि कानूनों के खिलाफ धरना

किसानों ने सरकार को दिया 15 दिन में केस खत्म करने का अल्टीमेटम

किसानों ने कहा कि अगर पुलिस प्रशासन 15 दिन के अंदर मामले कैंसिल नहीं किए, तो इस बारे में अलग से रणनीति बनाई जाएगी. इस दौरान भारी संख्या में पुलिस भी मौजूद रही. मीटिंग के दौरान किसानों ने कहा कि सरकार जब तक तीन काले कानूनों को वापस नहीं लेती. तब तक वो धरने पर बैठे रहेंगे. क्योंकि अब हर गांव से किसान सरकार के खिलाफ निकल चुका है. यहां किसानों का समर्थन करने के लिए पलवल जिला बार एसोसिएशन के सैकड़ों वकील मौके पर पहुंचे और किसानों को अपना समर्थन दिया.

ये भी पढ़ें: दिल्ली बवाल के बाद फिर आंदोलन की तैयारी में जुटे पलवल के किसान

किसानों की तरफ से बार एसोसिएशन लड़ेगी कानूनी लड़ाई

वहीं बार एसोसिएशन के प्रधान दीपक चौहान ने कहा कि जो किसानों पर मामले दर्ज किए हैं. अगर प्रशासन उनको कैंसिल करती है तो ठीक है. नहीं तो वो प्रशासन से किसानों की लड़ाई लड़ेंगे.

ये भी पढ़ें: तीनों कृषि बिल किसानों के हित में है- मूलचंद शर्मा

स्थानीय नेताओं ने दिया किसानों को अपना समर्थन

इस दौरान क्षेत्र की अन्य पार्टियों के नेता भी किसानों को अपना समर्थन देने के लिए पहुंचे. पलवल जिले के पूर्व विधायक करण सिंह दलाल ने कहा है कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया. तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा और अब जो किसान धरने पर बैठने जा रहे हैं. ये सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली बवाल: दीप सिद्धु की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कुरुक्षेत्र में प्रदर्शन

पलवल: कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीने से भी अधिक दिनों से देश के अलग-अलग जगहों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन नतीजा सिफर रहा है. कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को पलवल में किसान धरने पर बैठने के लिए एकजुट हुए हैं.

पलवल में भारी संख्या में किसान धरने पर बैठने के लिए पहुंच चुके हैं. किसानों ने सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस ली है. किसानों ने प्रशासन को चेताया है कि जो 26 जनवरी को किसानों के साथ पुलिस ने घटना की, उसमें किसानों के खिलाफ जो भी मामले दर्ज किए गए. उसके 15 दिन के अंदर कैंसिल किया जाए.

पलवल में किसानों ने शुरू किया कृषि कानूनों के खिलाफ धरना

किसानों ने सरकार को दिया 15 दिन में केस खत्म करने का अल्टीमेटम

किसानों ने कहा कि अगर पुलिस प्रशासन 15 दिन के अंदर मामले कैंसिल नहीं किए, तो इस बारे में अलग से रणनीति बनाई जाएगी. इस दौरान भारी संख्या में पुलिस भी मौजूद रही. मीटिंग के दौरान किसानों ने कहा कि सरकार जब तक तीन काले कानूनों को वापस नहीं लेती. तब तक वो धरने पर बैठे रहेंगे. क्योंकि अब हर गांव से किसान सरकार के खिलाफ निकल चुका है. यहां किसानों का समर्थन करने के लिए पलवल जिला बार एसोसिएशन के सैकड़ों वकील मौके पर पहुंचे और किसानों को अपना समर्थन दिया.

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किसानों की तरफ से बार एसोसिएशन लड़ेगी कानूनी लड़ाई

वहीं बार एसोसिएशन के प्रधान दीपक चौहान ने कहा कि जो किसानों पर मामले दर्ज किए हैं. अगर प्रशासन उनको कैंसिल करती है तो ठीक है. नहीं तो वो प्रशासन से किसानों की लड़ाई लड़ेंगे.

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स्थानीय नेताओं ने दिया किसानों को अपना समर्थन

इस दौरान क्षेत्र की अन्य पार्टियों के नेता भी किसानों को अपना समर्थन देने के लिए पहुंचे. पलवल जिले के पूर्व विधायक करण सिंह दलाल ने कहा है कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया. तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा और अब जो किसान धरने पर बैठने जा रहे हैं. ये सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.

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