पलवल: एनएच-19 पर गांव अटोहां मोड़ पर किसानों के धरने में शामिल 65 वर्षीय किसान सुरेंद्र सिंह सिद्धू की मौत हो गई. सुरेंद्र सिंह सिद्धू की मौत दिल्ली में उपचार के दौरान हुई है. बताया जा रहा है कि सुरेंद्र सिंह की तबीयत धरने के दौरान ठंड लगने की वजह से बिगड़ी थी. सोमवार को उनके पैतृक गांव मायना जिला गवालियर (एमपी) में अंतिम संस्कार किया गया. किसान की मौत से साथी किसानों में सरकार के खिलाफ काफी रोष है.
14 दिसंबर को बिगड़ी थी तबीयत
मृतक किसान के साथी किसान मुखिया सिंह ने बताया कि सुरेंद्र सिंह सिद्धू पहले ही दिन यानी 3 दिसंबर को अपने काफी साथियों के साथ यहां धरने में शामिल थे. 14 दिसंबर को ठंड लगने के कारण उन्हें निमोनिया हो गया. जिसके बाद उन्हें गवालियर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी हालात निरंतर बिगड़ती रही तो उन्हें दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया. जहां पर तीन जनवरी को उपचार के दौरान सुरेंद्र सिंह सिद्धू की मौत हो गई.
सुरेंद्र सिंह की शहादत बेकार नहीं जाएगी- साथी किसान
सोमवार को पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव मायना जिला गवालिय (एमपी) ले जाया गया. वहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. सुरेंद्र सिंह के साथी मुखिया सिंह ने बताया कि सुरेंद्र सिंह सिद्धू संगठन वादी व्यक्ति थे. किसानों के हक की लड़ाई के लिए वे तत्पर तैयार रहते थे और संगठन को मजबूत कर आगे बढऩे की उनकी आदत थी. उन्होंने बताया कि उनकी शहादत को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा. सरकार को झुकना पड़ेगा. जब किसानों की मांगो को पूरा नहीं किया जाता तब तक पीछे नहीं हटा जाएगा चाहे उसके लिए कितनी भी कुर्बानियां क्यों न देनी पड़े.
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एनएच-19 पर 33 दिनों से चल रहा है धरना
बता दें कि पलवल के एनएच-19 पर पिछले 33 दिन से एमपी व यूपी के किसानों का धरना चल रहा है. किसानों के प्रति लागू किए तीन काले कानूनों को वापस लेने और एमएसपी कानून बनाने के लिए किसानों का धरना लगातार जारी है. साथ ही पिछले 15 दिनों से 24 घंटे की क्रमिक भूख हड़ताल भी रखी जा रही है. जिसमें प्रतिदिन 11 किसान बैठते हैं. इसी धरने में किसान सुरेंद्र सिंह सिद्धू भी शामिल थे.