पलवल: हरियाणा के पलवल जिले की साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (Aadhaar Enabled Payment System) के जरिए लोगों के खातों पर हमला करते हैं और पैसा उड़ा लेते हैं. ये ठग इतने शातिर हैं कि आम आदमी के साथ ही अब अधिकारियों तक को नहीं बख्श रहे. पलवल के एक जज भी इन ठगों के शिकार हो गए. ठगी का तरीका सुनकर किसी के भी होश उड़ जायें. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया.
पलवल में साइबर ठग गिरोह (Cyber Thug Gang in Palwal) के बारे में खुलासा करते हुए डीएसपी विजय पाल ने बताया कि कुसलीपुर स्थित ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स में रहने वाले न्यायाधीश महेश कुमार ने शिकायत दी है कि उनके साथ ऑनलाइन ठगी की वारदात हुई है. ठगों ने साढ़े 24 हजार की राशि उनके खाते से निकाल ली. इसी दिसंबर महीने में अलग-अलग तीन बार में उनके खाते से ये पैसा निकाला गया है.
बिहार के रहने वाले हैं आरोपी- जज के खाते से यह राशि सात नवंबर, 23 नवंबर और 25 नंबर को निकाली गई. जिसके बाद जज महेश कुमार ने पुलिस में शिकायत दी. पुलिस ने मामले में जांच शुरू की. सबसे पहले पुलिस ने ठगी के लिए प्रयोग किए गए खातों और मोबाइल नंबरों की जांच की. जांच में आरोपियों की पहचान हो गई. आरोपी बिहार के जिला अररिया के गांव महलगांव में मेडिकल स्टोर चलाने का काम करता है.
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आरोपियों के खाते में लाखों का ट्रांजेक्शन- पुलिस द्वारा छापेमारी की कार्रवाई के बाद आरोपी मोहम्मद फोजान ने पलवल की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका भी लगा दी, जो कि बाद में रद्द कर दी गई. डीएसपी विजयपाल ने बताया की इस गिरोह में कई सदस्य हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है. जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पुलिस के मुताबिक इस गिरोह ने साइबर क्राइम से चार महीने में ही लाखों रुपये उड़ाए हैं. खातों की जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने करीब चार महीने लगभग 25 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन किया है.
आधार से साइबर ठगी कैसे- यह गिरोह आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के जरिए धोखाधड़ी करके फिंगर प्रिंट का रबर क्लोन बना लेते हैं. इसके बाद ठग पता लगाते हैं कि उक्त व्यक्ति का आधार कार्ड नंबर किसी बैंक खाते से जुड़ा है या नहीं. इसके बाद वे उन आधार कार्ड नंबरों को शॉर्ट लिस्ट करते हैं जो बैंक खातों से जुड़े होते हैं. इसके बाद साइबर ठग ऑनलाइन अकाउंट बनाते हैं. इसके उपरांत इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म के ऐप में लॉग इन करते हैं और बायोमैट्रिक डिवाइस एवं रबर फिंगर प्रिंट क्लोन का उपयोग करके लेनदेन शुरू करते हैं. ट्रांजैक्शन पूरा होते ही पैसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के वॉलेट में चला जाता है, जहां से ठग उस राशि को अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं.
आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम क्या होता है- आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (Aadhaar Enabled Payment System) (AePS) नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का विकसित किया हुआ सिस्टम है जो लोगों को आधार नंबर और उनके फिंगरप्रिंट स्कैन इस्तेमाल करके माइक्रो ATM के जरिए वित्तीय ट्रांजेक्शन करने की अनुमति देता है. इसमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के लाभार्थियों के खाते भी शामिल होते हैं.
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