पलवल: हथीन क्षेत्र में रहस्य बुखार का कहर (palwal fever children death) लगातार जारी है. गांव चिल्ली में हुई 11 बच्चों की मौत के बाद अब गांव छायंसा में पिछले 10 दिनों में 8 बच्चों की मौत हो (chainsa village fever death) चुकी है. हथीन में अब तक कुल 24 बच्चों की मौत इस रहस्यमयी बुखार से हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये बुखार है क्या.
पलवल जिले के खंड हथीन में रहस्मयी बुखार कहर बनकर बच्चों को मौत की नींद सुला रहा है. खंड के गांव छांयसा में शुक्रवार को एक साथ तीन बच्चों की बुखार के चलते जान चली गई थी. इस गांव में पिछले दस दिनों के अंदर आठ बच्चे रहस्मयी बुखार से दम तोड़ चुके हैं. गांव में सैकड़ों लोग बुखार से पीड़ित हैं. हथीन क्षेत्र के गांवों में अब तक 24 बच्चे रहस्मयी बुखार से काल के गाल में समा चुके हैं.
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गांव के लोगों में बच्चों की हो रही मौत व बढ़ते बुखार के मरीजों की संख्या देखकर हडकंप मचा हुआ है. एक मृत बच्चे के परिजन के मुताबिक बच्चे को दो दिन पहले बुखार हुआ था. शुक्रवार सुबह उसे नल्हड़ मेडिकल कालेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. शाम को उसकी मौत हो गई. वहीं नासिर नामक व्यक्ति के अनुसार कई दिन पहले उनकी नौ माह की बेटी अनम को बुखार के कारण हथीन के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां पर उसकी प्लेटलेट्स 90 हजार से भी कम पाई गई.
प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सकों ने बच्ची को डेंगू बताया था. बच्ची ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. गांव छायंसा में जो आठ मौतें हुई हैं स्वजनों के मुताबिक सभी मौतें बुखार से बताई गई हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गांव के 100 से भी ज्यादा बच्चे फिलहाल बुखार की चपेट में हैं. गांव के चारों तरफ बारिश का पानी भरा हुआ है. लाखों की लागत से बने स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका हुआ है.
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बता दें कि 11 बच्चे चिल्ली गांव, दो बच्चे खिल्लुका, एक बच्चा भीमसीका, दो बच्चे मलाई, पांच बच्चे सौद गांव, तीन बच्चों की मौत हथीन शहर में हुई है. ये सभी मौतें इसी बुखार से हुई हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग हो रही मौतों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा है. स्वास्थ्य विभाग अभी तक ये पता नहीं लगा पाया है कि आखिर ये बुखार कौन सा है जो लगातार बच्चों को अपनी मौत के आगोश में ले रहा है. स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई के नाम पर केवल जांच का सहारा ले रहा है. विभाग के अनुसार बच्चों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे हैं और बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जा रही है.