नूंह: हरियाणा के नूंह जिले में पैदा होने वाला देसी गेहूं सी 306 सिर्फ इलाके में ही नहीं बल्कि दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा सहित एनसीआर के तमाम शहरों में मशहूर है. प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ के कुछ अधिकारी भी इस इलाके के उपजाऊ भूमि में होने वाले देसी गेहूं की चपाती खाने के लिए यही से गेहूं मंगाते हैं.
देसी गेहूं की अगेती बिजाई: इस इलाके के नूंह और नगीना खंड के ऐसे गांव में देसी गेहूं की अगेती बिजाई की जाती है. जहां बरसात का पानी झील नुमा जगह में ठहरता है और उसके सूखने के बाद बिना सिंचाई और बिना खाद के ही देसी गेहूं सी 306 यहां उगाया जाता है. इस बार करीब 20,000 एकड़ भूमि में देसी गेहूं की फसल है. चंदेनी, घासेड़ा, रिठोड़ा के अलावा बलई, बदरपुर, खेड़ी कंकर सहित दर्जन भर से अधिक ऐसे गांव हैं, जिनमें देसी गेहूं की बिजाई की जाती है. इस गेहूं में सिंचाई कम लगती है या पूरी फसल पूरी तरह से बरसात के ऊपर आधारित है.
नूंह की धरती में पैदा होने वाला देसी गेहूं सी 306 का कोई जवाब नहीं है. एनसीआर में शौकीन लोग इस गेहूं को खरीदते हैं. इस गेहूं की खासियत यही है कि इसकी रोटी मुलायम और चमकदार होती है. साथ ही पशु चारा भी मुलायम और चमकदार होता है. भले ही उत्पादन में देसी गेहूं आम गेहूं की अन्य किस्म के मुकाबले कम उत्पादन होता हो, लेकिन इसका भाव उससे काफी अधिक मिलता है. - अजय तोमर, कृषि विभाग के जिला क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी
नूंह की देसी गेहूं सी 306 की भारी डिमांड: कृषि विभाग के जिला क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी के अनुसार, हरियाणा के नूंह जिले की हजारों एकड़ भूमि में देसी गेहूं की फसल लहलहा रही है. आम गेहूं की किस्म के मुकाबले इसकी लंबाई ज्यादा बढ़ती है. इस गेहूं की नली से दशकों से इलाके की महिलाएं चंगेरी भी बनाती आ रही हैं. कुल मिलाकर यहां के देसी गेहूं का कोई जवाब नहीं है. कई बार तो इस इलाके के देसी गेहूं की इतनी डिमांड होती है कि खरीददार हरी फसल पर ही खरीदने के लिए नूंह जिले का रुख कर लेते .
देसी गेहूं की गुणवत्ता काफी अच्छी: नूंह जिले में पैदा होने वाला देसी गेहूं लंबे समय से मशहूर है. कृषि विभाग के अधिकारी के अनुसार जिस साल अच्छी बरसात हो जाती है, उस साल देसी गेहूं का रकबा भी बढ़ जाता है. कई बार ज्यादा बारिश होने पर खेतों से पानी नहीं सूख पाता. कई बार इसकी बिजाई कम हो जाती है. मुख्य रूप से बरसात पर आधारित है. अरावली पर्वत से बहकर आने वाले सल्फर की मात्रा की वजह से यहां के देसी गेहूं की गुणवत्ता अन्य इलाकों के देसी गेहूं पर काफी भारी पड़ती है.
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