नूंह: वैसे तो हरियाणा के नूंह में सरसों की काफी ज्यादा खेती की गई है और गेहूं से भी नूंह के खेत लहलहा रहे हैं. लेकिन वहीं कुछ लोग बेमौसम हो रही बरसात के कारण परेशान हैं. नूंह जिले की सैकड़ों एकड़ भूमि में इस बार समय पर पानी नहीं सूखने की (Waterlogging fields due to unseasonal rains in Nuh) वजह से गेहूं तथा सरसों की फसल की बिजाई नहीं हो सकी थी.
इससे किसान के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. किसानों ने अपनी खेती में खड़े पानी को निकालने की गुहार अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक से लगाई. लेकिन पानी निकासी का इंतजाम नहीं हो सका. जिसके चलते इस साल सैकड़ों किसान अपनी भूमि में फसल की बिजाई करने से वंचित रह गए.
हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष के नेताओं ने सरकार के (Farmers demanded compensation)सामने इस मांग को मजबूती से उठाया की बेमौसम बरसात की वजह से बहुत से गांवों में फसलों की बिजाई नहीं हो पाई. इसलिए किसानों को जल्द से जल्द उचित मुआवजा देना चाहिए. हरियाणा सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बिजाई नहीं होने वाले किसानों को प्रति एकड़ तकरीबन साढे़ 7500 का मुआवजा देने की बात कही है.
इसके बाद हमने उन किसानों से बातचीत की जो इस बार अपने खेतों में पानी खड़े होने के कारण बिजाई नहीं कर पाए थे. सरकार की इस घोषणा से किसानों में पूरी तरह से खुशी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द ऐसे किसानों की भूमि का सर्वे किया जाए और किसानों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए ताकि उनके सामने भूखे मरने की नौबत ना आए.
आपको बता दें कि जिले के चंदैनी, रिठौडा घासेड़ा, रिठ्ठ, उमरा सहित दर्जनों गांवों की भूमि में बरसाती पानी अभी भी खड़ा हुआ है. जिसके चलते किसान अपनी फसलों की बिजाई नहीं कर सके थे. किसान लगातार मुआवजे की मांग सरकार से कर रहे थे. लेकिन विधानसभा सत्र के दौरान जब इस मामले पर तीखी बहस हुई तो कुछ हद तक किसानों को राहत मिलती दिख रही है.
अब देखना यह है कि कब तक सरकार किसानों के खातों में मुआवजे की राशि भेजती है, लेकिन सरकार के इस कदम से किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आई है और किसानों की उम्मीद भी जग गई है. सरकार से किसानों ने जल्द से जल्द उचित कार्रवाई और मुआवजे (Farmers demanded compensation) की मांग की है.
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