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सब्जी की खेती में नूंह जिला अव्वल, परंपरागत खेती को छोड़कर दोगुना मुनाफा कमा रहे किसान

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Published : May 26, 2023, 4:56 PM IST

हरियाणा में बागवानी विभाग की तरफ से बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिसका सबसे ज्यादा फायदा नूंह जिले के किसानों ने उठाया है. प्रदेश में जिला नूंह सबसे पहले स्थान पर है. जो इन स्कीमों का फायदा उठाकर सब्जी की खेती कर रहा है.

Vegetable farming in Nuh
Vegetable farming in Nuh

नूंह: हरियाणा का नूंह जिला सब्जी उत्पादन मामले में सूबे में पहले नंबर पर आ गया है. यहां के ज्यादातर किसान परंपरागत खेती को छोड़कर अब सब्जियों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिला बागवानी विभाग के मुताबिक नूंह के करीब 70 से 75 एकड़ एरिया में किसान सब्जी की खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें परंपरागत खेती के मुकाबले दो गुना ज्यादा मुनाफा हो रहा है. इस मामले में दूसरे नंबर पर हरियाणा का नारनौल है. ये जानकारी जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद ने दी.

जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि 18 जुलाई तक विभाग सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के कैंपेन चला रहा है. इस कैंपेन के जरिए हर किसान तक संपर्क साधने की तैयारी है. जिले के सात खंडों में 7 टीमों का गठन किया गया है. 1 दिन में टीम 1 गांव में जाकर किसानों को बागवानी विभाग की स्कीमों के बारे में न केवल जागरूक करती है, बल्कि उनको सब्जी तथा फलों की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी करती है.

नूंह जिले में बागवानी विभाग ने 2567 किसानों को विभाग की योजनाओं से जोड़ा है. जिसकी वजह से नूंह जिला प्रदेश में नंबर वन पर पहुंच चुका है. सबसे खास बात यह है कि जिला बागवानी विभाग की टीम जिले के किसानों का रजिस्ट्रेशन खुद ही करती है, ताकि किसानों को किसी तरह की कोई परेशानी ना. अक्सर देखा जाता है किसान कम पढ़े लिखे होते हैं. या फिर उनके पास एंड्रॉयड फोन नहीं होता. जिसकी वजह से वो मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते.

डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि जिले में फल, बेर तथा अमरूद इत्यादि के बाग किसानों ने लगाए हैं. बाग में तकरीबन 3 साल बाद फल आने पर आमदनी शुरू होती है. लिहाजा सब्जी की खेती पर किसान का फोकस फलों के बाग के मुकाबले कहीं अधिक है. जिसकी वजह 2 से 3 महीने में सीजनेबल सब्जी से अच्छी खासी आमदनी किसान को होती है.

नूंह जिला हरियाणा ही नहीं देश के उन जिलों में शामिल है, जहां उम्दा किस्म की बरसाती प्याज 18-20 हजार एकड़ एरिया में लगाई जाती है. टमाटर की फसल 14-15 हजार एकड़ एरिया में लगाई जाती है. तो बेल की सब्जियां जिनमें घीया, तोरई, खरबूज, तरबूज, कद्दू 12 -13 हजार एकड़ भूमि में लगाया जाता है. कुल मिलाकर 1 साल में किसान 3-3 सब्जी फसल तक ले लेता है. इसलिए पूरे जिले में 70-75 हजार एकड़ में सब्जी की फसल पैदा होती है. इससे किसान की आजीविका में बड़ा बदलाव आ रहा है और किसान की आमदनी 2 गुना बढ़ रही है.

ये भी पढ़ें: तपती गर्मी का सब्जियों पर असर, ज्यादा तापमान से खराब हो रही फसल, मवोशियों को भी हो रही परेशानी

जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद की कैंपेन का असर किसानों पर भी दिख रहा है. किसानों का कहना है कि बागवानी विभाग के साथ जिन किसानों ने बेर इत्यादि के बाग के साथ-साथ सब्जी लगाई हैं. उनको अच्छा खासा मुनाफा हुआ है. अब गेहूं, सरसों, ज्वार, बाजरा की फसल के अलावा जिले का किसान सब्जी पर अधिक फोकस कर रहा है. नूंह जिले की सब्जियों को एनसीआर की मंडियों में भी गुणवत्ता के एतबार से खरीदारी ज्यादा पसंद करता है. यही वजह है कि किसान को आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत बागवानी विभाग की स्कीम अपनाने से सही साबित हो रही है.

नूंह: हरियाणा का नूंह जिला सब्जी उत्पादन मामले में सूबे में पहले नंबर पर आ गया है. यहां के ज्यादातर किसान परंपरागत खेती को छोड़कर अब सब्जियों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिला बागवानी विभाग के मुताबिक नूंह के करीब 70 से 75 एकड़ एरिया में किसान सब्जी की खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें परंपरागत खेती के मुकाबले दो गुना ज्यादा मुनाफा हो रहा है. इस मामले में दूसरे नंबर पर हरियाणा का नारनौल है. ये जानकारी जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद ने दी.

जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि 18 जुलाई तक विभाग सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के कैंपेन चला रहा है. इस कैंपेन के जरिए हर किसान तक संपर्क साधने की तैयारी है. जिले के सात खंडों में 7 टीमों का गठन किया गया है. 1 दिन में टीम 1 गांव में जाकर किसानों को बागवानी विभाग की स्कीमों के बारे में न केवल जागरूक करती है, बल्कि उनको सब्जी तथा फलों की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी करती है.

नूंह जिले में बागवानी विभाग ने 2567 किसानों को विभाग की योजनाओं से जोड़ा है. जिसकी वजह से नूंह जिला प्रदेश में नंबर वन पर पहुंच चुका है. सबसे खास बात यह है कि जिला बागवानी विभाग की टीम जिले के किसानों का रजिस्ट्रेशन खुद ही करती है, ताकि किसानों को किसी तरह की कोई परेशानी ना. अक्सर देखा जाता है किसान कम पढ़े लिखे होते हैं. या फिर उनके पास एंड्रॉयड फोन नहीं होता. जिसकी वजह से वो मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते.

डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि जिले में फल, बेर तथा अमरूद इत्यादि के बाग किसानों ने लगाए हैं. बाग में तकरीबन 3 साल बाद फल आने पर आमदनी शुरू होती है. लिहाजा सब्जी की खेती पर किसान का फोकस फलों के बाग के मुकाबले कहीं अधिक है. जिसकी वजह 2 से 3 महीने में सीजनेबल सब्जी से अच्छी खासी आमदनी किसान को होती है.

नूंह जिला हरियाणा ही नहीं देश के उन जिलों में शामिल है, जहां उम्दा किस्म की बरसाती प्याज 18-20 हजार एकड़ एरिया में लगाई जाती है. टमाटर की फसल 14-15 हजार एकड़ एरिया में लगाई जाती है. तो बेल की सब्जियां जिनमें घीया, तोरई, खरबूज, तरबूज, कद्दू 12 -13 हजार एकड़ भूमि में लगाया जाता है. कुल मिलाकर 1 साल में किसान 3-3 सब्जी फसल तक ले लेता है. इसलिए पूरे जिले में 70-75 हजार एकड़ में सब्जी की फसल पैदा होती है. इससे किसान की आजीविका में बड़ा बदलाव आ रहा है और किसान की आमदनी 2 गुना बढ़ रही है.

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जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद की कैंपेन का असर किसानों पर भी दिख रहा है. किसानों का कहना है कि बागवानी विभाग के साथ जिन किसानों ने बेर इत्यादि के बाग के साथ-साथ सब्जी लगाई हैं. उनको अच्छा खासा मुनाफा हुआ है. अब गेहूं, सरसों, ज्वार, बाजरा की फसल के अलावा जिले का किसान सब्जी पर अधिक फोकस कर रहा है. नूंह जिले की सब्जियों को एनसीआर की मंडियों में भी गुणवत्ता के एतबार से खरीदारी ज्यादा पसंद करता है. यही वजह है कि किसान को आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत बागवानी विभाग की स्कीम अपनाने से सही साबित हो रही है.

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