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देखरेख के अभाव में खंडहर हो रहा ऐतिहासिक चूहिमल तालाब, जानें इसकी खासियत

हरियाणा में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जो रखरखाव के अभाव में खंडहर होती जा रही हैं. इन्ही में से एक है चूहिमल तालाब. लोगों ने सरकार और प्रशासन से इस तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है.

chuhimal pond in nuh
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Published : May 25, 2023, 4:25 PM IST

देखें वीडियो

नूंह: हरियाणा का नूंह जिला कई ऐतिहासिक धरोहरों का गवाह है, लेकिन ये धरोहरें रखरखाव के अभाव में खंडहर होती जा रही हैं. ऐसी ही एक ऐतिहासिक धरोहर है नूंह में सेठ चूहिमल का तालाब. सेठ चूहीमल का तालाब अपनी खूबसूरती के साथ गुबंद में की गई चित्रकारी के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, लेकिन प्रशासन इस खूबसूरत धरोहर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने में नाकाम रहा है. अनदेखी की वजह से ये चूहिमल का तालाब खंडहर होता जा रहा है.

chuhimal pond in nuh
साफ सफाई ना होने के चले तालाब का पानी गंदा हो गया है.

ऐसे में स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन ने गुहार लगाई है कि इस ऐतिहासिक और खूबसूरत धरोहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. सेठ चूहिमल की सातवीं पीढ़ी के वंशज इसकी देखरेख कर रहे हैं. मेवात जिला 2005 में बना था, लेकिन आज तक भी सरकार यहां किसी ऐतिहासिक स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं कर पाई है. अगर सेठ चूहिमल तालाब को सरकार पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे, तो मेवात को अलग पहचान मिलेगी ही, साथ ही सरकार को राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी. इसी के साथ इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोकर रखा जा सकेगा.

chuhimal pond in nuh
देखरेख के अभाव में खंडर हो रहा सेठ चूहिमल का महल

क्या है चूहिमल तालाब की विशेषता? चूहिमल तालाब की कई विशेषताएं हैं. पहली तो ये कि चूहिमल तालाब का पानी सूखता नहीं है. साफ सफाई नहीं होने की वजह से तालाब का पानी गंदा हो गया है. इसके अलावा यहां बने गुंबद में जो चित्रकारी की गई है, ऐसी चित्रकारी अजंता-एलोरा की गुफाओं में देखने को मिलती हैं. यहां एक विशाल गुफा बनी है. जो सेठ चूहिमल के महल तक जाती है. इसी गुफा के जरिए चूहिमल तलाब में नहाने आते थे.

chuhimal pond in nuh
इस महल तक तालाब तक जाने के लिए सेठ सुरंग के जरिए जाते थे.

ये भी पढ़ें- खंडहर बना हरियाणा का क्रिकेट स्टेडियम! खेले जा चुके अंतरराष्ट्रीय मैच, अब धुंधली हो रही पहचान

तालाब के पास गुंबद भी बनाया गया है. जिसमें सेठ नहाने के बाद आराम करते थे. तालाब में स्नान करने बाद सेठ गुफा से ही अपने महल वापस जाते थे. घर की महिलाएं भी इसी गुफा से पर्दा प्रथा की वजह से स्नान करने आती-जाती थीं. पुरातत्व विभाग ने मेवात की किसी भी ऐतिहासिक इमारत को गंभीरता से नहीं लिया. अगर पुरातत्व विभाग और सरकार का यही रवैया रहा तो ऐतिहासिक इमारतों का वजूद समाप्त हो जाएगा और आने वाली पीढ़ियां इन इमारतों को महज किताबों में ही देख सकेंगी. लोग आज भी काफी दूरदराज से लोग इस इमारत और तालाब को देखने आते हैं.

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नूंह: हरियाणा का नूंह जिला कई ऐतिहासिक धरोहरों का गवाह है, लेकिन ये धरोहरें रखरखाव के अभाव में खंडहर होती जा रही हैं. ऐसी ही एक ऐतिहासिक धरोहर है नूंह में सेठ चूहिमल का तालाब. सेठ चूहीमल का तालाब अपनी खूबसूरती के साथ गुबंद में की गई चित्रकारी के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, लेकिन प्रशासन इस खूबसूरत धरोहर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने में नाकाम रहा है. अनदेखी की वजह से ये चूहिमल का तालाब खंडहर होता जा रहा है.

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साफ सफाई ना होने के चले तालाब का पानी गंदा हो गया है.

ऐसे में स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन ने गुहार लगाई है कि इस ऐतिहासिक और खूबसूरत धरोहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. सेठ चूहिमल की सातवीं पीढ़ी के वंशज इसकी देखरेख कर रहे हैं. मेवात जिला 2005 में बना था, लेकिन आज तक भी सरकार यहां किसी ऐतिहासिक स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं कर पाई है. अगर सेठ चूहिमल तालाब को सरकार पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे, तो मेवात को अलग पहचान मिलेगी ही, साथ ही सरकार को राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी. इसी के साथ इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोकर रखा जा सकेगा.

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देखरेख के अभाव में खंडर हो रहा सेठ चूहिमल का महल

क्या है चूहिमल तालाब की विशेषता? चूहिमल तालाब की कई विशेषताएं हैं. पहली तो ये कि चूहिमल तालाब का पानी सूखता नहीं है. साफ सफाई नहीं होने की वजह से तालाब का पानी गंदा हो गया है. इसके अलावा यहां बने गुंबद में जो चित्रकारी की गई है, ऐसी चित्रकारी अजंता-एलोरा की गुफाओं में देखने को मिलती हैं. यहां एक विशाल गुफा बनी है. जो सेठ चूहिमल के महल तक जाती है. इसी गुफा के जरिए चूहिमल तलाब में नहाने आते थे.

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इस महल तक तालाब तक जाने के लिए सेठ सुरंग के जरिए जाते थे.

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तालाब के पास गुंबद भी बनाया गया है. जिसमें सेठ नहाने के बाद आराम करते थे. तालाब में स्नान करने बाद सेठ गुफा से ही अपने महल वापस जाते थे. घर की महिलाएं भी इसी गुफा से पर्दा प्रथा की वजह से स्नान करने आती-जाती थीं. पुरातत्व विभाग ने मेवात की किसी भी ऐतिहासिक इमारत को गंभीरता से नहीं लिया. अगर पुरातत्व विभाग और सरकार का यही रवैया रहा तो ऐतिहासिक इमारतों का वजूद समाप्त हो जाएगा और आने वाली पीढ़ियां इन इमारतों को महज किताबों में ही देख सकेंगी. लोग आज भी काफी दूरदराज से लोग इस इमारत और तालाब को देखने आते हैं.

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