नूंह: कोरोना के बढ़ते को लेकर पूरे भारत में हाहाकार मचा हुआ है. जिसके चलते सरकार ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया है. इस लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूरों की परेशानियां बढ़ गई है. अब लॉकडाउन के दौरान रेडक्रॉस सोसायटी ने मानवता के लिए आगे हाथ बढ़ाया है.
लॉकडाउन के दौरान कोई मजदूर भूखा प्यासा ना रह जाए और किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो. इसलिए जिला रेडक्रॉस समिति ने नूंह जिले में कई जगह पर आश्रय केंद्र बनाए हैं. जिले के नूंह, तावडू, पुन्हाना इत्यादि शहरों में जरूरत पड़ने पर तकरीबन 400 लोगों को रखने और खाना खिलाने का प्रबंध किया जा सकता है.
जिला रेडक्रॉस समिति नूंह सचिव जितेंद्र सौरोत ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि किसी भी आपदा, महामारी के समय रेडक्रॉस समिति मदद के लिए आगे आती है. रेडक्रॉस समिति नूंह के कर्मचारी महामारी से निपटने के लिए 24 घंटे अपनी ड्यूटी पर तैनात है. कुछ वालंटियर भी मदद के लिए आगे आए हैं.
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उन्होंने कहा कि अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से बनाए आश्रय केंद्रों में कोई मजदूर और राहगीर आकर नहीं रुका है, लेकिन अगर किसी मजदूर या राहगीर को कोई दिक्कत है, तो उनके लिए आश्रय केंद्र में खाने रहने की सभी सुविधा पूरी तरह निशुल्क है.
आपको बता दें कि लॉकडाउन के चलते हजारों की संख्या प्रवासी मजदूर शहर में फंस गए है. परिवहन साधन बंद होने के कारण प्रवासी मजदूर अब घर पैदल जाने को मजबूर है. मजदूर भूखे पेट और खाली पेट कई मील पैदल अपने घर जा रहे है. जिसके बाद कई समाजसेवी संस्थाओं ने ये सरहानीय कदम उठाया है.