नूंह: देश की राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर बसा नूंह हरियाणा का इकलौता मुस्लिम बहुल जिला है. मेवात का ये इलाका सालों से हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और मजहबी सौहार्द के लिए जाना जाता है. देश में कितने ही सांप्रदायिक दंगे क्यों ना हुए हों, लेकिन इन दंगों की आग कभी नूंह तक नहीं पहुंची.
बीते कुछ दिनों से नूंह में दो समुदायों के बीच झगड़ा और कई गांवों से हिंदू परिवारों के पलायन की खबरें सामने आ रही थी. इन खबरों में कितनी सच्चाई है? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरों पर पहुंची. हमने मेवात के हर उस इलाके में लोगों से मुलाकात की जहां से हिंदुओं के पलायन की बातें कही जा रही थी. आखिर सच क्या है इस रिपोर्ट में आप भी सिलसिलेवार तरीके से समझिए.
क्या है पूरा मामला?
इससे पहले कि हम आपको इलाके कि पूरी पड़ताल बताएं, पहले ये समझ लें कि आखिर मामला क्या है और कहां से इस अफवाह की शुरुआत हुई.
पहला मामला
कुछ महीनों पहले पुन्हाना में मुक्तिधाम के महंत रामदास पर हमला करने की खबर आई. उसके बाद पुलिस प्रशासन ने महंत रामदास की शिकायत पर तीन नामजद लोगों सहित कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और एक आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. लॉकडाउन के दौरान महंत के समर्थन में सैकड़ों हिंदू पक्ष के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस ने इस प्रदर्शन को लॉकडाउन का उल्लंघन मानते हुए 36 नामजद सहित 100 से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर दिया.
दूसरा मामला
महंत पर हमले की घटना के बाद बिछौर गांव में दो पक्षों के बीच एक पोस्ट को लेकर झगड़ा हुआ, पोस्ट पर दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी. हालांकि एसडीएम और डीएसपी की मौजूदगी में दोनों पक्षों के लोगों के बीच सुलह हो गई थी, लेकिन कुछ शरारती तत्वों ने मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
इस पारिवारिक झगड़े को भी मजहबी रंग देने की कुछ संगठनों ने कोशिश की. जब इस बारे में एसडीएम वैशाली शर्मा से बात की गई तो उन्होंने भी साफ कहा कि मामला कंट्रोल में है. कहीं कोई विवाद नहीं है.
तीसरा मामला
इसके अलावा पुन्हाना शहर में दो पक्षों के बच्चों से शुरू हुए झगड़े ने गंभीर रूप ले लिया. जिसमें पथराव हुआ और गोलियां तक चली. बच्चों में झगड़ा किसी सामान को लेकर हुआ था. इसके बाद कुछ शरारती तत्वों को इस मामले को गलत रंग देने का मौका मिल गया. कुल मिलाकर पुन्हाना उपमंडल में ही तीन-चार घटनाएं ऐसी हुई. जिसको लेकर कुछ लोगों को सियासत करने का मौका मिला गया.
ग्राउंड जीरों पर पहुंचा ईटीवी भारत
इसी पड़ताल के सिलसिले में ईटीवी भारत पुन्हाना के बिछौर गांव पहुंचा. इस गांव की करीब 75 फीसदी आबादी मुस्लिम समुदाय की है, लेकिन तकरीबन 40 साल तक हिंदू समाज के लोग इस गांव के सरपंच बनते आए हैं. बिछौर गांव में कुछ ही परिवार हिंदू हैं. इन्हीं परिवारों के लोग 33 साल तक बिछौर गांव के सरपंच रहे हैं. इस गांव में केवल एक जाट परिवार है. पांच साल तक इस परिवार का व्यक्ति यहां का सरपंच रहा है.
बिछौर गांव के लोगों ने कहा कि कुछ लोग हैं, जो इलाके के भाईचारे को देखना नहीं चाहते हैं. जिस वजह से ऐसे लोग किसी ना किसी तरह से साजिश रच रहे हैं, लेकिन यहां पर इस तरह का कोई तनाव नहीं है.
हिंदू-मुस्लिम एकता की प्रतीक रामलीला
बिछौर गांव के बाद ईटीवी भारत की टीम पिनगवां कस्बे में पहुंची. यहां लगातार दूसरी बार संजय सिंगला सरपंच बने हैं. जब हमने उनसे इस बाबत बात की तो सिंगला ने भी ऐसी सभी खबरों को झूठा बताया. उन्होंने कहा कि नूंह जिला सभी के लिए एक मिसाल है. यहां आज भी रामलीला में जितने हिंदू लोग हिस्सा लेते हैं उतने ही मुस्लिम समुदाय के लोग भी होते हैं. उन्होंने कहा कि अपनी पूरी उम्र में यहां दो समुदाय में लड़ाई नहीं देखी है.
पिनगवां कस्बे के रहने वाले राजकुमार तनेजा ने कहा कि ये सिर्फ नूंह को बदनाम करने की साजिश है. आज भी दोनों समुदाय के बच्चे आपस में प्यार से खेलते हैं. दोनों समुदायों का ना सिर्फ साथ में उठना-बैठना है बल्कि शादियों में भी शामिल होते हैं.
पुन्हाना विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ चुकी बीजेपी नेता नौक्षम चौधरी ने भी ऐसी खबरों को अफवाह बताया. चौधरी ने कहा कि नूंह हमेशा से अमन-चैन के लिए जाना जाता है.
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हालांकि कुछ झगड़ों और अफवाहों को ध्यान में रखते हुए कुछ इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पुलिस प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यहां करीब 100 जवानों की तैनाती की है.