नूंह: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है. नूंह में भी लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध जताया. हैरानी की बात तो ये रही कि प्रदर्शन करने वालों को ही नहीं पता था कि ये नागरिकता संशोधन कानून क्या है और वो इसका विरोध क्यों कर रहे हैं.
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन
सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया, लेकिन उनको मालूम ही नहीं था कि वो नागरिकता संशोधन कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं. एक दूसरे के देखा-देखी लोग सड़कों पर उतर आए. लोगों का कहना था कि सरकार ने लोकतंत्र को तोड़ने का काम किया है. इसलिए वो नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों को नहीं पता कि क्या है नागरिकता कानून
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ये भी साफ किया कि वो किसी पार्टी या संस्था के लिए काम नहीं करते. बल्कि वो तो अपने हक के लिए सड़कों पर उतरे हैं. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब प्रदर्शनकारियों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार हिंदू-मुस्लिम को बांटने का काम कर रही है. इसलिए वो इस बिल का विरोध कर रहे हैं.
गोलमोल जवाब देने लगे प्रदर्शनकारी
ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब नागरिकता बिल के बारे में विस्तार से पूछा तो प्रदर्शनकारी गोल-मोल जवाब देने लगे. वो नागरिकता संशोधन बिल के बारे में कुछ नहीं बता सके. जानकारी के अभाव में ही लोग नूंह में नागरिकता बिल का विरोध कर रहे हैं.
आखिर पूरा मामला है क्या ?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए लोकसभा में नागरिकता विधेयक लाया गया. इस विधेयक के जरिये अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों-हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना समुचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है.
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इसमें भारत में उनके निवास के समय को 12 साल के बजाय 6 साल करने का प्रावधान है. यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है.