नूंह: यूपी के हाथरस में हुए सामुहिक दुष्कर्म और उसके बाद सरकार और प्रशासन की लीपापोती ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस मसले पर प्रयोग फाउंडेशन द्वारा मेवात में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें महिलाओं ने बेबाकी से अपनी राय रखी. मेवात की बेटियों का मानना है कि देश की ढीली प्रणाली ही इन अपराधों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है.
सेल्फी विद डॉटर के जनक सुनील जागलान ने बताया कि हमारे देश को पूरी दुनिया में रेप सेंटर के रूप में जाना जाता है. हमारे देश में बढ़ते रेप के मामलों के बारे में रविवार को एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें बेटियों ने अपनी राय रखी.
उन्होंने बताया कि इस सेमिनार से यहीं निकलकर आया कि जबतक हमारे समाज में बेटे-बेटियों की परवरिश में फर्क रखा जाएगा. तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी. उन्होंने बताया कि शुरू से ही समाज में बेटियों को फूल की कली समझा जाता है. अब वक्त आ गया है कि अपने बेटियों को भी हम उसी तरीके से ट्रीट करें जैसे बेटों को करते हैं.
वहीं इस सेमिनार में शामिल बेटियों ने बताया कि निर्भया केस साल 2012 में हुआ था और उसके दोषियों को फांसी 2020 में दी गई. इस तरह की न्याय प्रणाली ही अपराधियों को शह देती है. बेटियों ने बताया कि इस पुरूष प्रधान समाज में जबतक महिलाएं अपने हक के लिए आगे नहीं आएंगी. तबतक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी.
इस अभियान से जुड़ी पूजा और शहनवाज बानों ने कहा कि रेप पीड़िता को लोग अछूत मानते हैं और उसे कोई भी सपोर्ट नहीं करता. इस मसले पर पीड़िता के परिवार और पूरे समाज का प्रयास घटना को दबाने की तरफ होता है.
वहीं निर्भया केस 2012 में हुआ और दोषियों को सजा 2020 में दी गई. इस तरह की न्याय प्रणाली और अपराधियों को देर से सजा मिलना भी समाज के लिए घातक सिद्ध होता है और कहीं ना कहीं इन घटनाओं को दोबारा जन्म देता है.
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