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हरियाणा के किसान एफपीओ के जरिए एक एकड़ से कमा रहे 8 लाख रुपये, 30 से 40 महिलाओं को दिया रोजगार - हरियाणा में चाइनीज खीरे की खेती

Polyhouse Farming In Haryana: हरियाणा के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर तेजी से बागवानी की तरफ रुख कर कर रहे हैं. इससे किसानों को समय की बचत तो होती ही है. साथ में लाखों रुपये का मुनाफा भी होता है. नूंह में किसान उत्पादक समूह दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बना हुआ है.

Polyhouse Farming In Haryana
नूंह के किसान एफपीओ बनाकर करीब 8 लाख रुपये तक कमा रहे
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 29, 2023, 4:48 PM IST

नूंह के किसान एफपीओ बनाकर करीब 8 लाख रुपये तक कमा रहे

नूंह: हरियाणा के किसान उत्पादक समूह बनाकर सब्जियों से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. नूंह जिले के मांडी खेड़ा गांव के किसान एफपीओ बनाकर एक एकड़ से करीब 8 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. किसान पॉलीहाउस में खीरे की फसल के अलावा चेरी, टमाटर, मटर, शिमला मिर्च, खरबूजा की फसल उगा रहे हैं. इसके अलावा बैंगन की खेती से भी किसान अच्छा खासा लाभ कमा रहे हैं. 1 साल में खीरे की चार खेती पॉलीहाउस के माध्यम से ली जा रही है.

हमने बागवानी विभाग की मदद से पांच पॉलीहाउस बनाए हुए हैं. जिसमें हम सब्जियां उगाते हैं. जिससे एक सीजन में 5 लाख रुपये तक बचत हो जाती है. सरकार और बागवानी विभाग के सहयोग से आज किसान बिजनेसमैन के तौर पर उभर रहा है. हमारा कोल्ड स्टोर का प्रोजेक्ट है. जो बनकर तैयार हो गया है. हमारे एफपीओ में 300 किसान काम करते हैं. इसके अलावा हम 30 से 40 महिलाओं को रोजगार देते हैं. जिन्हें प्रति महीना 9 हजार रुपये की सैलरी दी जाती है.- इजहार उल हसन, किसान

पॉलीहाउस के जरिए विदेशी खीरा उगाया जाता है, जिसे चाइनीज खीरा भी कहा जाता है. इसका उत्पादन ज्यादा किया जा रहा है. उत्पादन के साथ पॉलीहाउस में होने वाले खीरे की गुणवत्ता भी अच्छी है. किसानों को इस खीरे का भाव भी अच्छा मिल रहा है. खास बात ये है कि एक समूह बनाकर किसान सब्जी उगता है और इससे अच्छी आमद प्राप्त कर रहा है. परंपरागत खेती को छोड़कर अब नूंह जिले के किसानों ने किसान उत्पादक समूह बनाकर अपनी आमदनी को बढ़ाना शुरू कर दिया है.

मुझे यहां काम करते हुए सात साल के करीब हो गए. यहां सब्जियां उगाने का काम किया जा रहा है. सब्जियों में खीरे, बैंगन, टमाटर, मटर उगाई जाती है. जिससे मुझे अच्छा रोजगार मिला हुआ है. हम यहां सब्जियों को तोड़ते भी हैं और उनकी पैकिंग भी करते हैं. हमें महीने के 10 हजार रुपये मिल जाते हैं. जिससे परिवार का गुजारा बढ़िया चल रहा है.- फरीदा, मजदूर

नूंह जिले के मांडी खेड़ा गांव के पॉलीहाउस में उगाई जाने वाले खीरे और बाकी सब्जियों की मंडियों में अच्छी खासी डिमांड है. कई बार पॉलीहाउस में ही बड़ी कंपनी से जुड़े खरीददार सब्जी खरीदने के लिए पहुंच जाते हैं. जिस जगह पर पॉलीहाउस लगाया गया है, उस जगह पर मीठा पानी नहीं है. इस फसल में टपका या फव्वारा प्रणाली से सिंचाई की जाती है. इसलिए आम सिंचाई के मुकाबले इस सिंचाई में पानी कम लगता है.

प्रोटेक्टेड कल्टिवेशन को नेट हाउस और पॉली हाउस कहा जाता है. इसमें खीरे की फसल. जो चाइनीज खीरा होता है. जिसे सीडलेस खीरा भी कहा जाता है. उसका एक सीजन में 400 से 500 क्विंटल फसल महज तीन महीने में हो जाती है. 400 क्विंटल के हिसाब से एक साल में 1200 क्विंटल खीरे का उत्पादन होता है. इसका एवरेज रेट 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लगाए, तो ये 12 लाख रुपये का हो गया. अगर खीरा 15 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है तो उसे 15 से 20 लाख रुपये का आमदनी हो जाती है. आप 12 लाख रुपये कम से कम भी मुनाफा लेकर चलें, तो इसमें से लेबर, खाद, पानी, बिजाई इन सभी का खर्च काटकर किसान को 8 लाख रुपये का मुनाफा सिर्फ एक एकड़ से होता है.- डॉक्टर दीन मोहम्मद, जिला बागवानी अधिकारी

एफपीओ क्या है? एफपीओ एक किसान उत्पादक संगठन है. अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम कर रहा है, तो उसमें कम से कम 300 किसान जुड़े होने चाहिए. अगर संगठन पहाड़ी क्षेत्र में काम कर रहा है, तो उसमें 100 किसान जुड़े होने चाहिए. किसानों का ये समूह कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होता है. इस योजना के जरिए किसान संगठनों को सरकार 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है.

नूंह के किसान एफपीओ बनाकर करीब 8 लाख रुपये तक कमा रहे

नूंह: हरियाणा के किसान उत्पादक समूह बनाकर सब्जियों से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. नूंह जिले के मांडी खेड़ा गांव के किसान एफपीओ बनाकर एक एकड़ से करीब 8 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. किसान पॉलीहाउस में खीरे की फसल के अलावा चेरी, टमाटर, मटर, शिमला मिर्च, खरबूजा की फसल उगा रहे हैं. इसके अलावा बैंगन की खेती से भी किसान अच्छा खासा लाभ कमा रहे हैं. 1 साल में खीरे की चार खेती पॉलीहाउस के माध्यम से ली जा रही है.

हमने बागवानी विभाग की मदद से पांच पॉलीहाउस बनाए हुए हैं. जिसमें हम सब्जियां उगाते हैं. जिससे एक सीजन में 5 लाख रुपये तक बचत हो जाती है. सरकार और बागवानी विभाग के सहयोग से आज किसान बिजनेसमैन के तौर पर उभर रहा है. हमारा कोल्ड स्टोर का प्रोजेक्ट है. जो बनकर तैयार हो गया है. हमारे एफपीओ में 300 किसान काम करते हैं. इसके अलावा हम 30 से 40 महिलाओं को रोजगार देते हैं. जिन्हें प्रति महीना 9 हजार रुपये की सैलरी दी जाती है.- इजहार उल हसन, किसान

पॉलीहाउस के जरिए विदेशी खीरा उगाया जाता है, जिसे चाइनीज खीरा भी कहा जाता है. इसका उत्पादन ज्यादा किया जा रहा है. उत्पादन के साथ पॉलीहाउस में होने वाले खीरे की गुणवत्ता भी अच्छी है. किसानों को इस खीरे का भाव भी अच्छा मिल रहा है. खास बात ये है कि एक समूह बनाकर किसान सब्जी उगता है और इससे अच्छी आमद प्राप्त कर रहा है. परंपरागत खेती को छोड़कर अब नूंह जिले के किसानों ने किसान उत्पादक समूह बनाकर अपनी आमदनी को बढ़ाना शुरू कर दिया है.

मुझे यहां काम करते हुए सात साल के करीब हो गए. यहां सब्जियां उगाने का काम किया जा रहा है. सब्जियों में खीरे, बैंगन, टमाटर, मटर उगाई जाती है. जिससे मुझे अच्छा रोजगार मिला हुआ है. हम यहां सब्जियों को तोड़ते भी हैं और उनकी पैकिंग भी करते हैं. हमें महीने के 10 हजार रुपये मिल जाते हैं. जिससे परिवार का गुजारा बढ़िया चल रहा है.- फरीदा, मजदूर

नूंह जिले के मांडी खेड़ा गांव के पॉलीहाउस में उगाई जाने वाले खीरे और बाकी सब्जियों की मंडियों में अच्छी खासी डिमांड है. कई बार पॉलीहाउस में ही बड़ी कंपनी से जुड़े खरीददार सब्जी खरीदने के लिए पहुंच जाते हैं. जिस जगह पर पॉलीहाउस लगाया गया है, उस जगह पर मीठा पानी नहीं है. इस फसल में टपका या फव्वारा प्रणाली से सिंचाई की जाती है. इसलिए आम सिंचाई के मुकाबले इस सिंचाई में पानी कम लगता है.

प्रोटेक्टेड कल्टिवेशन को नेट हाउस और पॉली हाउस कहा जाता है. इसमें खीरे की फसल. जो चाइनीज खीरा होता है. जिसे सीडलेस खीरा भी कहा जाता है. उसका एक सीजन में 400 से 500 क्विंटल फसल महज तीन महीने में हो जाती है. 400 क्विंटल के हिसाब से एक साल में 1200 क्विंटल खीरे का उत्पादन होता है. इसका एवरेज रेट 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लगाए, तो ये 12 लाख रुपये का हो गया. अगर खीरा 15 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है तो उसे 15 से 20 लाख रुपये का आमदनी हो जाती है. आप 12 लाख रुपये कम से कम भी मुनाफा लेकर चलें, तो इसमें से लेबर, खाद, पानी, बिजाई इन सभी का खर्च काटकर किसान को 8 लाख रुपये का मुनाफा सिर्फ एक एकड़ से होता है.- डॉक्टर दीन मोहम्मद, जिला बागवानी अधिकारी

एफपीओ क्या है? एफपीओ एक किसान उत्पादक संगठन है. अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम कर रहा है, तो उसमें कम से कम 300 किसान जुड़े होने चाहिए. अगर संगठन पहाड़ी क्षेत्र में काम कर रहा है, तो उसमें 100 किसान जुड़े होने चाहिए. किसानों का ये समूह कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होता है. इस योजना के जरिए किसान संगठनों को सरकार 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है.

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