नूंह: कोरोना महामारी के चलते हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, लेकिन पोषण मिशन अभियान को बेहतर तरीके से चलाने के लिए नूंह स्वास्थ्य विभाग ने हर संभव कोशिश की है. ताकि गर्भवती महिलाओं एवं छोटे बच्चों की सेहत पर कोई दुष्प्रभाव ना पड़े और उनको कुपोषण से बचाया जा सके.
पोषण मिशन को लेकर जिला नोडल अधिकारी डॉ. बसंत दुबे ने बताया कि पोषण अभियान में सबसे पहले टीकाकरण आता है. टीका गर्भवती महिलाओं को और 0-6 साल तक के बच्चों को लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गलाघोटू, खसरा इत्यादि जानलेवा बीमारियां हैं. जिनसे लोगों को टीकाकरण अभियान चलाकर बचाया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा जिले की महिलाओं में खून की कमी बड़ी मात्रा में पाई जाती है. इसकी जांच की जाती है और जिनमें खून की कमी पाई जाती है. उनको दवाईयां, इंजेक्शन लगाए जाते हैं. जिला नोडल अधिकारी ने कहा कि पोषण माह सितंबर और मार्च में चलाया जाता है. इसी कार्यक्रम में दस्त उन्मूलन भी आता है. बच्चों को ओआरएस का घोल दिया जाए और सफाई का विशेष प्रबंध रखा जाए, इसके बारे में लोगों को बताया जाता है. उन्होंने कहा कि नेशनल वार्मिंग डे इसी माह में पोषण अभियान के दौरान मनाया जाता है.
डॉक्टर दुबे ने कहा कि 0-6 माह के बच्चों को मां का दूध ज्यादा से ज्यादा पिलाना चाहिए. इसके अलावा 6 माह से बड़ी उम्र के बच्चों को पतली दाल, खिचड़ी, हलवा, दूध व ब्रेड मिलाकर देना चाहिए. ताकि उनको संपूर्ण आहार मिल सके और बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सके. इसके अलावा गर्भधारण करने के बाद गर्भवती महिलाओं की डाइट भी बढ़ जाती है. इसलिए शारीरिक आराम भी देना जरूरी है.
डॉक्टर दुबे ने कहा कि तिरंगी थाली का अहम रोल है. उन्होंने कहा कि जैसे तिरंगे में तीन रंग है. उसी तरह सफेद रंग की थाली में अंडा, दूध, चावल इत्यादि आते हैं. इसके अलावा हरे रंग में हरी सब्जी जैसे पालक, बथुआ, मेथी, शिमला मिर्च इत्यादि आते हैं. वहीं ऑरेंज में मीट, दाल इत्यादि आती है. गर्भवती महिलाओं और बच्चों को तिरंगी थाली देनी चाहिए.
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