नूंह: जिले में शिक्षा दूत मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से ज्ञान क्रांति लाने वाले हैं. शिक्षा दूत कोविड-19 के चलते शिक्षा में आ रहे गेप को भरने का कार्य करेंगे. जिला शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह जाखड़ ने बीवां गांव में शिक्षा दूत कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए शिक्षा दूतों और ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहे.
अनूप सिंह जाखड़ ने कहा कि नूंह के हर पढ़े-लिखे युवाओं को शिक्षा दूत बनकर अपने गली मोहल्ले में स्कूली बच्चों को शिक्षित करने के कार्य के लिए आगे आना चाहिए. बीवां गांव के युवाओं और अध्यापकों नाजिम आजाद, कुसुम मलिक ने नूंह में ये शुरुआत करके नए युग का सूत्रपात किया है.
शिक्षा अधिकारी ने माला पहनाकर किया प्रोत्साहित
जिला शिक्षा अधिकारी ने नूंह कारवां जन संगठन के अध्यक्ष डॉक्टर अशफाक आलम और उनकी टीम की तारीफ करते हुए कहा कि नूंह कारवां ने हमेशा ही शिक्षा विभाग के साथ मिलकर कार्य किया है, चाहे वो ड्रॉप आउट मिशन हो या शिक्षा दूत मोहल्ला पाठशाला की योजना हो. सभी में नूंह कारवां के युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. इस मौके पर जिला शिक्षा अधिकारी ने 30 शिक्षकों को माला पहनाकर मोहल्ला पाठशाला शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया.
50 गांवों में शुरू होगी योजना
वीरवार को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना से लगभग 6 गांवों के 30 युवा जुड़े. ये युवा अपने-अपने गांव में अपने मोहल्लों में मोहल्ला पाठशाला चलाएंगे. इस योजना से जुड़े जन संगठन नूंह कारवां के अध्यक्ष डॉक्टर अशफाक आलम ने बताया कि इस योजना को इसी महा लगभग 50 गांव में शुरू करेंगे.
अशफाक आलम ने जिला शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह जाखड़ की चलाए जाने वाले कार्यक्रम की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि नूंह कारवां शिक्षा विभाग के हर उस कदम के साथ है. जिसे नूंह की शिक्षा का भला हो.
नूंह की प्रथम स्नातक महिला ने की तारीफ
नूंह की प्रथम स्नातक महिला मोहम्मदी बेगम ने इस मौके पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नूंह की शिक्षा के लिए शिक्षा दूत संजीवनी का कार्य करेंगे. कोरोना के कारण देशभर में जहां स्कूल बंद है, ऐसे में शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह जाखड़ और उनकी टीम नूंह के बच्चों को शिक्षित करने की योजना बना रहे हैं.
क्या होता है शिक्षा दूत का काम
शिक्षा दूत योजना की शुरुआत जिला शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह जाखड़ के सृजनात्मक दिमाग की उपज है. इस योजना के मुताबिक गांव के पढ़े-लिखे युवाओं को शिक्षा दूत के रूप में नामित किया जाएगा, जो स्वयं सेवी के रूप में अपने आसपास के बच्चों को शिक्षित करने का कार्य करेंगे. कोविड महामारी के बाद जब स्कूल खुल जाएंगे, तो यही युवा स्कूलों में ड्रॉप आउट को कम करने में दूसरे शैक्षणिक कार्यों में स्कूल और प्रशासन की मदद करेंगे. इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इससे विभाग पर एक भी रुपए का बोझ नहीं पड़ेगा और गांव में शैक्षणिक माहौल बनेगा.
ये भी पढ़िए: नौकरियों में 75% आरक्षण: भूपेंद्र हुड्डा बोले- हमने 2011 में ही पारित कर दिया था फैसला