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हरियाणा में NRC विवाद: नूंह के रोहिंग्या मुसलमान बोले- हमें नहीं चाहिए भारत की नागरिकता, म्यांमार शांत होने पर वापस लौट जाएंगे
सीएम मनोहर लाल के बयान के बाद चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में NRC का मुद्दा गरमा गया है. NRC लागू होने की बात पर हरियाणा के नूंह में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का क्या कहना है, इस रिपोर्ट में पढ़ें.
हमें नहीं चाहिए भारत की नागरिकता, म्यांमार शांत होने पर वापस लौट जाएंगे- रोहिंग्या
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Published : Sep 17, 2019, 12:12 AM IST
| Updated : Sep 17, 2019, 2:40 PM IST
नूंह: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के NRC पर दिए बयान से चुनावी फिजाओं का रुख बदल गया है. चुनाव से पहले अब चर्चा इस बात पर होने लगी है कि क्या हरियाणा में भी एनआरसी या उससे जुड़ा कोई कानून लागू होना चाहिए ? वैसे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सीएम के इस बयान का बिना शर्त समर्थन किया है. वहीं दूसरी तरफ पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला के इस मुद्दे पर बगावती सुर देखने को मिले हैं.
जब बात हरियाणा में NRC लागू करने की हो रही हो तो सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि अगर NRC हरियाणा में लागू होता है. तो इससे सबसे ज्यादा असर किन बाहरी लोगों पर पड़ेगा ?
हरियाणा में NRC लागू होने पर क्या होगा ?
- भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान हैं
- हरियाणा के कई जिलों में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं
- फरीदाबाद, नूंह, मेवात और पलवल में सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान हैं
- NRC हरियाणा में लागू हुआ तो इन रोहिंग्या मुसलमानों के लिए मुश्किल होगी
- NRC लागू होने पर रोहिंग्या मुसलमानों को हरियाणा छोड़ना पड़ेगा
जानिए एनआरसी पर क्या कहना है नूंह में रह रहे रोहिंग्याओं का?
400 रोहिंग्या परिवारों का घर है नूंह
अगर हरियाणा में असम की तर्ज पर एनआरसी लागू किया गया तो इसका सबसे ज्यादा असर नूंह जिले में देखने को मिलेगा. यहां करीब 400 रोहिंग्या परिवार हैं जो म्यंमार छोड़कर हरियाणा में बस गए थे. ये सभी रोहिंग्या परिवार नूंह के बस अड्डे के पास, शाहपुर नंगली गांव, चंदेनी गांव और फिरोजपुर नमक गांव में रह रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने नूंह में रह रहे रोहिंग्या परिवारों से भी बात की.
हमें नहीं चाहिए भारत की नागरिकता-रोहिंग्या
हरियाणा में एनआरसी लागू होने की बात सभी रोहिंग्या डर गए हैं. इन लोगों का साफ कहना है कि वो भी अपने वतन लौटना चाहते हैं, लेकिन जब तक उनके देश म्यांमार में हालात ठीक नहीं हो जाते उन्हें यहीं रहने दिया जाए.
ये भी पढ़िए: NRC पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने क्यों किया सरकार का समर्थन, जानिए पीछे की कहानी
NRC ने बदली सियासी हवाएं
NRC हरियाणा में लागू होगा या नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन सीएम के इस बयान से ये तो साफ है कि बीजेपी एक बार फिर लोकसभा चुनाव की तर्ज पर विधानसभा चुनाव को भी नेशनलाइज करना चाहती है. जिस तरह से कश्मीर, एयरस्ट्राइक और राष्ट्रवाद का मुद्दा लोकसभा चुनाव में गूंजा था. उसी तरह इस बार का विधानसभा चुनाव भी क्षेत्रीय मुद्दों से उलट राष्ट्रीय मुद्दों पर ही लड़ा जाएगा और इसके साथ ही हरियाणा में रह रहे रोहिंग्या मुसमानों का डर भी बढ़ता जाएगा.
नूंह: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के NRC पर दिए बयान से चुनावी फिजाओं का रुख बदल गया है. चुनाव से पहले अब चर्चा इस बात पर होने लगी है कि क्या हरियाणा में भी एनआरसी या उससे जुड़ा कोई कानून लागू होना चाहिए ? वैसे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सीएम के इस बयान का बिना शर्त समर्थन किया है. वहीं दूसरी तरफ पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला के इस मुद्दे पर बगावती सुर देखने को मिले हैं.
जब बात हरियाणा में NRC लागू करने की हो रही हो तो सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि अगर NRC हरियाणा में लागू होता है. तो इससे सबसे ज्यादा असर किन बाहरी लोगों पर पड़ेगा ?
हरियाणा में NRC लागू होने पर क्या होगा ?
- भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान हैं
- हरियाणा के कई जिलों में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं
- फरीदाबाद, नूंह, मेवात और पलवल में सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान हैं
- NRC हरियाणा में लागू हुआ तो इन रोहिंग्या मुसलमानों के लिए मुश्किल होगी
- NRC लागू होने पर रोहिंग्या मुसलमानों को हरियाणा छोड़ना पड़ेगा
जानिए एनआरसी पर क्या कहना है नूंह में रह रहे रोहिंग्याओं का?
400 रोहिंग्या परिवारों का घर है नूंह
अगर हरियाणा में असम की तर्ज पर एनआरसी लागू किया गया तो इसका सबसे ज्यादा असर नूंह जिले में देखने को मिलेगा. यहां करीब 400 रोहिंग्या परिवार हैं जो म्यंमार छोड़कर हरियाणा में बस गए थे. ये सभी रोहिंग्या परिवार नूंह के बस अड्डे के पास, शाहपुर नंगली गांव, चंदेनी गांव और फिरोजपुर नमक गांव में रह रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने नूंह में रह रहे रोहिंग्या परिवारों से भी बात की.
हमें नहीं चाहिए भारत की नागरिकता-रोहिंग्या
हरियाणा में एनआरसी लागू होने की बात सभी रोहिंग्या डर गए हैं. इन लोगों का साफ कहना है कि वो भी अपने वतन लौटना चाहते हैं, लेकिन जब तक उनके देश म्यांमार में हालात ठीक नहीं हो जाते उन्हें यहीं रहने दिया जाए.
ये भी पढ़िए: NRC पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने क्यों किया सरकार का समर्थन, जानिए पीछे की कहानी
NRC ने बदली सियासी हवाएं
NRC हरियाणा में लागू होगा या नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन सीएम के इस बयान से ये तो साफ है कि बीजेपी एक बार फिर लोकसभा चुनाव की तर्ज पर विधानसभा चुनाव को भी नेशनलाइज करना चाहती है. जिस तरह से कश्मीर, एयरस्ट्राइक और राष्ट्रवाद का मुद्दा लोकसभा चुनाव में गूंजा था. उसी तरह इस बार का विधानसभा चुनाव भी क्षेत्रीय मुद्दों से उलट राष्ट्रीय मुद्दों पर ही लड़ा जाएगा और इसके साथ ही हरियाणा में रह रहे रोहिंग्या मुसमानों का डर भी बढ़ता जाएगा.
Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- एनआरसी को लेकर स्पेश्ल स्टोरी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साफ कर दिया कि असम की तर्ज पर हरियाणा में भी एनआरसी लागू होगी। इससे सबसे ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह पर सबसे ज्यादा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। सबसे ज्यादा वर्मा से करीब सात वर्ष पहले मुस्लिम बाहुल्य मेवात जिले में आकर शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों पर पड़ सकता है। नूंह शहर में अलग -- अलग स्थानों पर झुग्गियों में रह रहे रोहिंग्या से हमारी टीम ने बातचीत की।
पत्रकारों से बातचीत में रोहिंग्या बोले कि हिन्दुस्तान में आकर उन्होंने इसलिए शरण ली की , यहां पर एक दूसरे को आपसी प्यार दिया जाता है। मदद के लिए भी लोग आते हैं। वर्ष 2012 में जब वर्मा देश के हालात अच्छे नहीं थे। खून खराबा से लेकर महिलाओं की इज्जत को रौंदा जा रहा था , तो रोहिंग्या अपनी जान बचाने के लिए वहां से आये थे। उसके बाद उन्हें देश के अलग - अलग राज्यों में सरकार ने शरण दी। हरियाणा के नूंह शहर अड्डा के समीप , शाहपुर नंगली , चंदेनी , फिरोजपुर नमक इत्यादि गांवों में रोहिंग्या के करीब 400 परिवार आकर बस गए। रोहिंग्या ने बांस की झुग्गियां बनाई तथा इलाके में बांस की झुग्गियां इत्यादि सामान बनाकर अपना पेट पालने लगे। अब उन्हें भारत अपना लगने लगा , लेकिन उन्होंने साफ - साफ कहा कि वे नागरिकता लेने के लिए यहां नहीं आये बल्कि जान बचाने के लिए यहां आये। वर्मा के हालात अभी भी ठीक नहीं हैं , जब तक वहां हालात ठीक नहीं होते , तब तक भारत सरकार अपने मुल्क में ही शरण दे। हालात ठीक होते ही वो अपने वतन लौटना चाहते हैं। रोहिंग्या जितने भी नूंह में रहते हैं , सभी मुस्लिम हैं। अब भारत में उनके बच्चे , महिला , बुजुर्ग सब खुश हैं। सबसे पहले वर्ष 2012 में रोहिंग्या यहां आये और उसके बाद भी कुछ परिवार आये। सूबे के सीएम मनोहर लाल खट्टर के ब्यान के बाद सूबे की सियासत गर्म होने से इंकार नहीं किया जा सकता। कुछ राजनैतिक दलों के नेताओं को उनके एनआरसी वाले ब्यान पर सहयोग मिल सकता है , तो कुछ राजनैतिक दल इसका विरोध कर सकते हैं। हरियाणा में वैसे एनआरसी का मुद्दा विधानसभा चुनाव के समय में लाया गया है , तो इस पर सियासत होना लाजमी है। कानून के जानकर वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि एनआरसी लागू करना अच्छा कदम है ताकि कोई घुसपैठिया गलत तरीके से न रह सके , लेकिन इसमें ईमानदारी और पारदर्शिता का ख्याल रखना भी जरुरी है। वकीलों के मुताबिक जिन लोगों के पास पासपोर्ट , आधार कार्ड , राशनकार्ड , ड्राइविंग लाइसेंस , आरसी इत्यादि हो उसे नाजायज तंग नहीं किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर एनआरसी में किसी जाति - धर्म , भेदभाव कतई नहीं होना चाहिए।
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- खलील अहमद एडवोकेट
बाइट;- जाकिर हुसैन पूर्व जिला मेवात बार एशोसिएशन अध्यक्ष
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- एनआरसी को लेकर स्पेश्ल स्टोरी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साफ कर दिया कि असम की तर्ज पर हरियाणा में भी एनआरसी लागू होगी। इससे सबसे ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह पर सबसे ज्यादा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। सबसे ज्यादा वर्मा से करीब सात वर्ष पहले मुस्लिम बाहुल्य मेवात जिले में आकर शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों पर पड़ सकता है। नूंह शहर में अलग -- अलग स्थानों पर झुग्गियों में रह रहे रोहिंग्या से हमारी टीम ने बातचीत की।
पत्रकारों से बातचीत में रोहिंग्या बोले कि हिन्दुस्तान में आकर उन्होंने इसलिए शरण ली की , यहां पर एक दूसरे को आपसी प्यार दिया जाता है। मदद के लिए भी लोग आते हैं। वर्ष 2012 में जब वर्मा देश के हालात अच्छे नहीं थे। खून खराबा से लेकर महिलाओं की इज्जत को रौंदा जा रहा था , तो रोहिंग्या अपनी जान बचाने के लिए वहां से आये थे। उसके बाद उन्हें देश के अलग - अलग राज्यों में सरकार ने शरण दी। हरियाणा के नूंह शहर अड्डा के समीप , शाहपुर नंगली , चंदेनी , फिरोजपुर नमक इत्यादि गांवों में रोहिंग्या के करीब 400 परिवार आकर बस गए। रोहिंग्या ने बांस की झुग्गियां बनाई तथा इलाके में बांस की झुग्गियां इत्यादि सामान बनाकर अपना पेट पालने लगे। अब उन्हें भारत अपना लगने लगा , लेकिन उन्होंने साफ - साफ कहा कि वे नागरिकता लेने के लिए यहां नहीं आये बल्कि जान बचाने के लिए यहां आये। वर्मा के हालात अभी भी ठीक नहीं हैं , जब तक वहां हालात ठीक नहीं होते , तब तक भारत सरकार अपने मुल्क में ही शरण दे। हालात ठीक होते ही वो अपने वतन लौटना चाहते हैं। रोहिंग्या जितने भी नूंह में रहते हैं , सभी मुस्लिम हैं। अब भारत में उनके बच्चे , महिला , बुजुर्ग सब खुश हैं। सबसे पहले वर्ष 2012 में रोहिंग्या यहां आये और उसके बाद भी कुछ परिवार आये। सूबे के सीएम मनोहर लाल खट्टर के ब्यान के बाद सूबे की सियासत गर्म होने से इंकार नहीं किया जा सकता। कुछ राजनैतिक दलों के नेताओं को उनके एनआरसी वाले ब्यान पर सहयोग मिल सकता है , तो कुछ राजनैतिक दल इसका विरोध कर सकते हैं। हरियाणा में वैसे एनआरसी का मुद्दा विधानसभा चुनाव के समय में लाया गया है , तो इस पर सियासत होना लाजमी है। कानून के जानकर वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि एनआरसी लागू करना अच्छा कदम है ताकि कोई घुसपैठिया गलत तरीके से न रह सके , लेकिन इसमें ईमानदारी और पारदर्शिता का ख्याल रखना भी जरुरी है। वकीलों के मुताबिक जिन लोगों के पास पासपोर्ट , आधार कार्ड , राशनकार्ड , ड्राइविंग लाइसेंस , आरसी इत्यादि हो उसे नाजायज तंग नहीं किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर एनआरसी में किसी जाति - धर्म , भेदभाव कतई नहीं होना चाहिए।
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- खलील अहमद एडवोकेट
बाइट;- जाकिर हुसैन पूर्व जिला मेवात बार एशोसिएशन अध्यक्ष
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- एनआरसी को लेकर स्पेश्ल स्टोरी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साफ कर दिया कि असम की तर्ज पर हरियाणा में भी एनआरसी लागू होगी। इससे सबसे ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह पर सबसे ज्यादा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। सबसे ज्यादा वर्मा से करीब सात वर्ष पहले मुस्लिम बाहुल्य मेवात जिले में आकर शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों पर पड़ सकता है। नूंह शहर में अलग -- अलग स्थानों पर झुग्गियों में रह रहे रोहिंग्या से हमारी टीम ने बातचीत की।
पत्रकारों से बातचीत में रोहिंग्या बोले कि हिन्दुस्तान में आकर उन्होंने इसलिए शरण ली की , यहां पर एक दूसरे को आपसी प्यार दिया जाता है। मदद के लिए भी लोग आते हैं। वर्ष 2012 में जब वर्मा देश के हालात अच्छे नहीं थे। खून खराबा से लेकर महिलाओं की इज्जत को रौंदा जा रहा था , तो रोहिंग्या अपनी जान बचाने के लिए वहां से आये थे। उसके बाद उन्हें देश के अलग - अलग राज्यों में सरकार ने शरण दी। हरियाणा के नूंह शहर अड्डा के समीप , शाहपुर नंगली , चंदेनी , फिरोजपुर नमक इत्यादि गांवों में रोहिंग्या के करीब 400 परिवार आकर बस गए। रोहिंग्या ने बांस की झुग्गियां बनाई तथा इलाके में बांस की झुग्गियां इत्यादि सामान बनाकर अपना पेट पालने लगे। अब उन्हें भारत अपना लगने लगा , लेकिन उन्होंने साफ - साफ कहा कि वे नागरिकता लेने के लिए यहां नहीं आये बल्कि जान बचाने के लिए यहां आये। वर्मा के हालात अभी भी ठीक नहीं हैं , जब तक वहां हालात ठीक नहीं होते , तब तक भारत सरकार अपने मुल्क में ही शरण दे। हालात ठीक होते ही वो अपने वतन लौटना चाहते हैं। रोहिंग्या जितने भी नूंह में रहते हैं , सभी मुस्लिम हैं। अब भारत में उनके बच्चे , महिला , बुजुर्ग सब खुश हैं। सबसे पहले वर्ष 2012 में रोहिंग्या यहां आये और उसके बाद भी कुछ परिवार आये। सूबे के सीएम मनोहर लाल खट्टर के ब्यान के बाद सूबे की सियासत गर्म होने से इंकार नहीं किया जा सकता। कुछ राजनैतिक दलों के नेताओं को उनके एनआरसी वाले ब्यान पर सहयोग मिल सकता है , तो कुछ राजनैतिक दल इसका विरोध कर सकते हैं। हरियाणा में वैसे एनआरसी का मुद्दा विधानसभा चुनाव के समय में लाया गया है , तो इस पर सियासत होना लाजमी है। कानून के जानकर वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि एनआरसी लागू करना अच्छा कदम है ताकि कोई घुसपैठिया गलत तरीके से न रह सके , लेकिन इसमें ईमानदारी और पारदर्शिता का ख्याल रखना भी जरुरी है। वकीलों के मुताबिक जिन लोगों के पास पासपोर्ट , आधार कार्ड , राशनकार्ड , ड्राइविंग लाइसेंस , आरसी इत्यादि हो उसे नाजायज तंग नहीं किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर एनआरसी में किसी जाति - धर्म , भेदभाव कतई नहीं होना चाहिए।
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- रोहिंग्या
बाइट;- खलील अहमद एडवोकेट
बाइट;- जाकिर हुसैन पूर्व जिला मेवात बार एशोसिएशन अध्यक्ष
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Last Updated : Sep 17, 2019, 2:40 PM IST