नूंह : मक्के दी रोटी ते सरसों दा साग. शायद ही कोई होगा जिसने कभी ये ना सुना होगा. जब आपकी आंखों के सामने सरसों की हरी-भरी फ़सल खेतों में लहलहा रही हो तो देखकर किसे ये अच्छा नहीं लगेगा. नूंह में इन दिनों खेतों में ऐसा ही देखने को मिल रहा है. जिले की हजारों एकड़ ज़मीन पर इन दिनों सरसों की फसल की हरियाली सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. नूंह जिले के किसान भी इसे लेकर ख़ासा खुश है.
कम हुई बिजाई : आपको बता दें कि सरसों कैश क्रॉप है. इसमें जहां सिंचाई कम लगती है तो वहीं कम लागत आने के चलते किसान सरसों को अच्छी फसल मानता है. जिले के 81,755 एकड़ में सरसों की फसल इस बार लहलहा रही है. बीते साल की तुलना में हालांकि इस बार बिजाई कम हुई है. पिछले साल की बात करें तो लास्ट ईयर लगभग 90,000 एकड़ में सरसों की फसल की बिजाई हुई थी. इस बार वक्त से पहले बारिश होने और खेतों में नमी के चलते सरसों की बिजाई कम हुई.
सरसों के तेल की टॉप क्वालिटी : हरियाणा में महेंद्रगढ़ के बाद सरसों उत्पादन में नूंह जिला दूसरे नंबर पर आता है. अरावली पर्वत से बारिश का पानी बहकर खेतों में आता है और यहां के सरसों के तेल की गुणवत्ता पूरे प्रदेश में टॉप पर है. नूंह जिले की सरसों की बात करें तो यहां के सरसों में तेल की मात्रा बाकी जिलों के मुकाबले काफी ज्यादा होती है.
खेतों में दिखेगा पीला सोना : दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे फिल्म में भी आपने सरसों के खेत जरूर देखे होंगे. ठीक वैसा ही नज़ारा अगले कुछ दिनों बाद आपको यहां देखने को मिलेगा क्योंकि सरसों की फसल में फूल भी खिलने वाले हैं जिसके बाद चारों तरफ एक ख़ूबसूरत नज़ारा भी देखने को मिलेगा. खेतों में सरसों लगाने वाले किसान भी काफी ज्यादा खुश है. इस बार कृषि विभाग अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर रहा है. चंद दिन पहले हुई बारिश भी सरसों की फसल के लिए किसी सोने से कम नहीं है. इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार सरसों की बेहतरीन पैदावार से किसानों की भी चांदी होना तय है.
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