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दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक है नूंह जिले के देसी गेहूं की धूम, ये है खासियत

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Published : Dec 26, 2020, 7:48 PM IST

देसी गेहूं की खास बात ये है कि इसमें रसायनिक खाद, यूरिया और फर्टिलाइजर का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता. यहां के किसानों का मानना है कि उनके देसी गेहूं की डिमांड दिल्ली और चंडीगढ़ तक है.

nuh desi wheat
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नूंह: जिले के देसी गेहूं-306 किस्म का कोई जवाब नहीं है. खाने में मुलायम और चमकीला देसी गेहूं सब किस्मों पर भारी पड़ता है. जिले के दर्जनभर से अधिक गांवों में इस समय 6500 हेक्टेयर भूमि पर देसी गेहूं की फसल लहरा रही है.

देसी गेहूं की खास बात ये है कि इसमें रसायनिक खाद, यूरिया और फर्टिलाइजर का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता. साथ ही जहां पानी की किल्लत हो वहां के किसानों के लिए देसी गेहूं की खेती करना एक बेहतर विकल्प होता है, क्योंकि इसकी इसमें सिंचाई की कम जरूरत होती है.

हर जगह है नूंह के देसी गेहूं की धूम, देखें वीडियो

ये भी पढे़ं- खर्च कम और मुनाफा ज्यादा, जैविक खेती ने बदल दी कैथल के इस किसान की जिंदगी

नूंह जिले के चंदेनी, घासेड़ा, रिठौड़ा, आकेड़ा, मालब, मेवली, बलई और बनारसी गांव में अधिकतर किसान देसी गेहूं की खेती करते हैं. यहां के किसानों का मानना है कि उनके देसी गेहूं की डिमांड दिल्ली और चंडीगढ़ तक है.

किसान ये भी बताते हैं कि उनको अपनी फसल बाजार तक भी नहीं ले जानी पड़ती, बल्कि खेत से ही फसल का उठान हो जाता है. इसके साथ ही इस किस्म का गेहूं लंबा बढ़ता है, पशुओं को मुलायम और चमकदार चारा मिलता है, तो वहीं चमकीले गेहूं से आटा भी मुलायम होता है. जिसकी रोटियां मुलायम और स्वादिष्ट होती हैं.

नूंह: जिले के देसी गेहूं-306 किस्म का कोई जवाब नहीं है. खाने में मुलायम और चमकीला देसी गेहूं सब किस्मों पर भारी पड़ता है. जिले के दर्जनभर से अधिक गांवों में इस समय 6500 हेक्टेयर भूमि पर देसी गेहूं की फसल लहरा रही है.

देसी गेहूं की खास बात ये है कि इसमें रसायनिक खाद, यूरिया और फर्टिलाइजर का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता. साथ ही जहां पानी की किल्लत हो वहां के किसानों के लिए देसी गेहूं की खेती करना एक बेहतर विकल्प होता है, क्योंकि इसकी इसमें सिंचाई की कम जरूरत होती है.

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नूंह जिले के चंदेनी, घासेड़ा, रिठौड़ा, आकेड़ा, मालब, मेवली, बलई और बनारसी गांव में अधिकतर किसान देसी गेहूं की खेती करते हैं. यहां के किसानों का मानना है कि उनके देसी गेहूं की डिमांड दिल्ली और चंडीगढ़ तक है.

किसान ये भी बताते हैं कि उनको अपनी फसल बाजार तक भी नहीं ले जानी पड़ती, बल्कि खेत से ही फसल का उठान हो जाता है. इसके साथ ही इस किस्म का गेहूं लंबा बढ़ता है, पशुओं को मुलायम और चमकदार चारा मिलता है, तो वहीं चमकीले गेहूं से आटा भी मुलायम होता है. जिसकी रोटियां मुलायम और स्वादिष्ट होती हैं.

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