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विश्व मच्छर दिवस: मलेरिया से बजने के लिए नूंह सिविल सर्जन ने लोगों को किया जागरुक

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Published : Aug 20, 2020, 4:08 PM IST

नूंह सीएमओ ने कहा कि इस सीजन में गंदगी और जलभराव अपने आसपास किसी सूरत में भी नहीं होने देना है, ताकि मच्छर को अंडा रखने और लारवा पैदा करने में आसानी ना हो. अगर लोगों ने स्वास्थ्य विभाग का सहयोग किया तो हरियाणा का नूंह जिला जल्दी ही पूरी तरह मलेरिया से मुक्त हो जाएगा.

Nuh cmo js punia awared people to avoid malaria on World Mosquito Day
नूंह सिविल सर्जन ने लोगों को किया जागरुक

नूंह: जिले के सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में गुरुवार को विश्व मॉस्किटो दिवस मनाया गया. विश्व मच्छर दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग नूंह ने जिले में मलेरिया का खात्मा करने पर गंभीरता से अमल किया और इस बीमारी का पता लगाने वाले डॉक्टर को भी याद किया गया. सिविल सर्जन डॉक्टर जेएस पुनिया ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि आज के दिन हर साल विश्व मॉस्किटो दिवस मनाया जाता है.

इस दौरान सीएमओ डॉ. जेएस पुनिया ने बताया कि हरियाणा में मलेरिया के केस बीते सालों में सबसे ज्यादा नूंह जिले में सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार राहत की खबर है कि अभी तक 18 मलेरिया के केस नूंह जिले से सामने आए हैं. सीएमओ ने बताया कि नूंह जिले की उजीना पीएचसी तथा पुनहाना सीएचसी क्षेत्र में ही ज्यादा मलेरिया के केस सामने आते हैं, लेकिन इस बार स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गत वर्षो की तुलना में बेहतर काम किया है.

नूंह सिविल सर्जन ने लोगों को किया जागरुक, देखिए वीडियो

घरों के बाहर पानी जमा ना होने दें- सीएमओ

सीएमओ ने कहा कि भले ही अभी तक कम केस सामने आए हो, लेकिन जिस तरह से लगातार बरसात हो रही है जलभराव व गंदगी के साथ-साथ कूलर, टायर, गमले, पानी की टंकी इत्यादि पर जो पानी जमा हो रहा है. उसे एक हफ्ते के अंदर-अंदर या तो सुखा दें या फिर गम्बूजिया मछली डालें, या फिर काला तेल, टेमीफोस दवाई जरूर डालें. इसके अलावा आधी बाजू के कपड़े ना पहने.

घरों के पास गंदगी नहीं होने दें- सीएमओ

उन्होंने कहा कि इस सीजन में गंदगी और जलभराव अपने आसपास किसी सूरत में भी नहीं होने देना है, ताकि मच्छर को अंडा रखने और लारवा पैदा करने में आसानी ना हो. अगर लोगों ने स्वास्थ्य विभाग का सहयोग किया तो हरियाणा का नूंह जिला जल्दी ही पूरी तरह मलेरिया से मुक्त हो जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे वक्त पर हमें उस शख्स को नहीं भूलना चाहिए. जिसकी वजह से आज से सैकड़ों वर्ष पहले मलेरिया बुखार का पता लगाया था. जिसकी वजह से आज उसका इलाज संभव हो पा रहा है.

क्यों मनाया जाता है विश्व मच्छर दिवस?

विश्व मच्छर दिवस हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है. यह दिवस ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने वर्ष 1897 में यह खोज की थी, कि 'इंसान में मलेरिया के संचरण के लिए मादा मच्छर जिम्मेदार है'. लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन ने विश्व मच्छर दिवस मनाने की शुरूआत साल 1930 में की थी.

मच्छर से होने वाले रोगों के बारे में तथ्य:

  • मादा एनोफेलीज़ कूलिसिफासीस मलेरिया को फैलाता है, जो कि आमतौर पर मनुष्यों के साथ-साथ मवेशियों को भी काटता है.
  • एनोफेलीज़ (मलेरिया की रोगवाहक) वर्षा जल और इकट्ठा हुए जल (पोखर), गड्ढे, कम जल युक्त नदी, सिंचाई माध्यम (चैनल), रिसाव, धान के खेत, कुंए, तालाब के किनारे, रेतीले किनारे के साथ धीमी धाराओं में प्रजनन करती है.
  • एनोफेलीज़ मच्छर सबसे ज़्यादा शाम और सुबह के बीच काटता है.
  • मादा एडीज एजिप्ट मनुष्य में डेंगू, चिकनगुनिया, ज़ीका और पीला बुखार संचारित करती है.
  • मादा एडीज सबसे अधिक दिन के समय काटती है तथा काटने का चरम समय संध्या से पहले शाम या सुबह के दौरान होता है.
  • एडीज एजिप्ट के अंडे एक वर्ष से अधिक समय तक बिना पानी के जीवित रह सकते हैं.
  • एडीज एजिप्ट सामान्यत: चार सौ मीटर की औसत पर उड़ती है, लेकिन यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक मनुष्य के माध्यम से अकस्मात स्थानांतरित होती है.
  • मादा मच्छरों के लिए केवल रक्त आहार और जानवरों को काटने की आवश्यकता होती है, जबकि पुरुष मच्छर काटते नहीं है, लेकिन वे फूलों के मकरंद या अन्य उपयुक्त शर्करा स्रोत को खाते हैं.

ये पढ़ें- पंडित जसराज को पसंद था हरियाणवी चूरमा और हलवा, फतेहाबाद में आज भी है पैदाइशी घर

नूंह: जिले के सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में गुरुवार को विश्व मॉस्किटो दिवस मनाया गया. विश्व मच्छर दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग नूंह ने जिले में मलेरिया का खात्मा करने पर गंभीरता से अमल किया और इस बीमारी का पता लगाने वाले डॉक्टर को भी याद किया गया. सिविल सर्जन डॉक्टर जेएस पुनिया ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि आज के दिन हर साल विश्व मॉस्किटो दिवस मनाया जाता है.

इस दौरान सीएमओ डॉ. जेएस पुनिया ने बताया कि हरियाणा में मलेरिया के केस बीते सालों में सबसे ज्यादा नूंह जिले में सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार राहत की खबर है कि अभी तक 18 मलेरिया के केस नूंह जिले से सामने आए हैं. सीएमओ ने बताया कि नूंह जिले की उजीना पीएचसी तथा पुनहाना सीएचसी क्षेत्र में ही ज्यादा मलेरिया के केस सामने आते हैं, लेकिन इस बार स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गत वर्षो की तुलना में बेहतर काम किया है.

नूंह सिविल सर्जन ने लोगों को किया जागरुक, देखिए वीडियो

घरों के बाहर पानी जमा ना होने दें- सीएमओ

सीएमओ ने कहा कि भले ही अभी तक कम केस सामने आए हो, लेकिन जिस तरह से लगातार बरसात हो रही है जलभराव व गंदगी के साथ-साथ कूलर, टायर, गमले, पानी की टंकी इत्यादि पर जो पानी जमा हो रहा है. उसे एक हफ्ते के अंदर-अंदर या तो सुखा दें या फिर गम्बूजिया मछली डालें, या फिर काला तेल, टेमीफोस दवाई जरूर डालें. इसके अलावा आधी बाजू के कपड़े ना पहने.

घरों के पास गंदगी नहीं होने दें- सीएमओ

उन्होंने कहा कि इस सीजन में गंदगी और जलभराव अपने आसपास किसी सूरत में भी नहीं होने देना है, ताकि मच्छर को अंडा रखने और लारवा पैदा करने में आसानी ना हो. अगर लोगों ने स्वास्थ्य विभाग का सहयोग किया तो हरियाणा का नूंह जिला जल्दी ही पूरी तरह मलेरिया से मुक्त हो जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे वक्त पर हमें उस शख्स को नहीं भूलना चाहिए. जिसकी वजह से आज से सैकड़ों वर्ष पहले मलेरिया बुखार का पता लगाया था. जिसकी वजह से आज उसका इलाज संभव हो पा रहा है.

क्यों मनाया जाता है विश्व मच्छर दिवस?

विश्व मच्छर दिवस हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है. यह दिवस ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने वर्ष 1897 में यह खोज की थी, कि 'इंसान में मलेरिया के संचरण के लिए मादा मच्छर जिम्मेदार है'. लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन ने विश्व मच्छर दिवस मनाने की शुरूआत साल 1930 में की थी.

मच्छर से होने वाले रोगों के बारे में तथ्य:

  • मादा एनोफेलीज़ कूलिसिफासीस मलेरिया को फैलाता है, जो कि आमतौर पर मनुष्यों के साथ-साथ मवेशियों को भी काटता है.
  • एनोफेलीज़ (मलेरिया की रोगवाहक) वर्षा जल और इकट्ठा हुए जल (पोखर), गड्ढे, कम जल युक्त नदी, सिंचाई माध्यम (चैनल), रिसाव, धान के खेत, कुंए, तालाब के किनारे, रेतीले किनारे के साथ धीमी धाराओं में प्रजनन करती है.
  • एनोफेलीज़ मच्छर सबसे ज़्यादा शाम और सुबह के बीच काटता है.
  • मादा एडीज एजिप्ट मनुष्य में डेंगू, चिकनगुनिया, ज़ीका और पीला बुखार संचारित करती है.
  • मादा एडीज सबसे अधिक दिन के समय काटती है तथा काटने का चरम समय संध्या से पहले शाम या सुबह के दौरान होता है.
  • एडीज एजिप्ट के अंडे एक वर्ष से अधिक समय तक बिना पानी के जीवित रह सकते हैं.
  • एडीज एजिप्ट सामान्यत: चार सौ मीटर की औसत पर उड़ती है, लेकिन यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक मनुष्य के माध्यम से अकस्मात स्थानांतरित होती है.
  • मादा मच्छरों के लिए केवल रक्त आहार और जानवरों को काटने की आवश्यकता होती है, जबकि पुरुष मच्छर काटते नहीं है, लेकिन वे फूलों के मकरंद या अन्य उपयुक्त शर्करा स्रोत को खाते हैं.

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