नूंहः हरियाणा के नूंह में अंतिम संस्कार के लिये शेड (cremation ground in Nuh) तक नहीं है. जिसके कारण बरसात में लोगों को अंतिम संस्कार करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसी ही समस्या का सामना आज फिरोजपुर झिरका खंड के गांव दुगरी के शमशान घाट में टीन शेड नहीं होने के चलते लोगों को करना पड़ा. गांव में 45 वर्षीय मृतक ओमप्रकाश पुत्र श्रीचंद को लगभग नौ घंटे बाद तिरपाल का तंबू तानकर चिता को मुखाग्नि दी गई.
दुगरी के रहने वाले लोगों के मुताबिक बुजुर्ग ओमप्रकाश का बीमारी के चलते देहांत हो गया. लेकिन रुक रुक कर आ रही बारिश के चलते अंतिम संस्कार का समय 12 बजे का रखा गया. गांव के श्मशान घाट में कोई टीन शेड नहीं है जिसके चलते बरसात में चिता को जलाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. 4 बजे तक बरसात नहीं रुकी तो ग्रामीणों ने तिरपाल का तंबू बनाकर चिता को (last rite in rain in Nuh) जलाया.
लेकिन तिरपाल के बावजूद चिता को जलाने में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ा. लेकिन ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी और बरसात के दौरान ही चिता को मुखाग्नि दी गई. लोगों का कहना है कि दोनों गांव की कुल मिलाकर आबादी 12 सौ के लगभग है. जिनमें से लगभग 500 आबादी हिंदुओं की और लगभग 700 आबादी मुस्लिम समुदाय की है. उसके बावजूद भी शमशान घाट में टीन शेड का प्रबंध प्रशासन और ग्राम पंचायत द्वारा नहीं कराया है.
सरकार श्मशान घाट और कब्रिस्तान की चारदीवारी और टीन शेड के लिए लगातार ग्रांट दे रही लेकिन फिर भी दुगरी के शमशान घाट में टीन शेड की निर्माण नहीं करवाया गया है. जिसके कारण बरसात में लोगों को अंतिम संस्कार करने में दिक्कतें आती हैं.
ग्रामीणों ने गांव के सरपंच पर लगाया आरोप- गांव से लगातार लगभग 10 वर्षों तक एक ही सरपंच रहने वाले व्यक्ति पर ग्रामीणों ने गंभीर (allegation on Sarpanch in Nuh) आरोप लगाये हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि शमशान घाट के लिये आई हुई राशि को सरपंच ने खुर्द-बुर्द कर दिया है. गांव वालों का आरोप है कि सरपंच ने गांव के शमशान घाट की चारदीवारी ना करवाके केवल दो दीवारों को ही बनाकर राशि को खत्म कर दिया.
शमशान घाट में अन्य गांवों से आए लोगों का कहना है कि एक तरफ सरकार ग्राम पंचायतों को विकास राशि देने का दम भर रही है. गांव में शमशान घाट में टीन शेड न होना ग्रामीणों और सरकार के लिए शर्म की बात है. ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव के दौरान सरपंच लाखों रुपए खर्च कर देते हैं, लेकिन ऐसे कार्यों के लिए कोई पहल नहीं करता.
इसे भी पढ़ें- रोहतक में एसबीआई के डिप्टी मैनेजर ने फांसी लगाकर दी जान, 9 महीने पहले बेटे ने भी की थी आत्महत्या