नूंह: अरावली पर्वत प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपने दामन में पुराने इतिहास को भी समेटे हुए है. कहते हैं, पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इसी अरावली पर्वत में कुछ समय बिताया था. यही कारण है कि नूंह जिले के भोंड, फिरोजपुर झिरका और नल्हड़ गांव में तकरीबन 5000 साल पुराने शिवलिंग मिले हैं. इन्हीं स्थानों पर हिंदू समाज के लोगों ने भव्य शिव मंदिर बनाए हुए हैं, जिनकी काफी मान्यता है.
नलहरेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास: नलहरेश्वर महादेव शिव मंदिर की बात करें तो मंदिर से तकरीबन 500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर कदम का पेड़ है. उस कदम के पेड़ से सदियों से साफ सुथरा और मीठा जल अनवरत बहता रहता है. कहते हैं इस पेड़ की जड़ों के नीचे एक कुंडली बनी हुई है. मान्यता है कि इसमें मोटर या नली से पानी निकालने के अलावा अगर किसी बर्तन से पानी निकाला जाए तब भी उसकी मात्रा कम नहीं होती.
कदम के पेड़ से लगातार बहता है पानी: जानकार बताते हैं कि कृष्ण भगवान ने कौरवों और पांडवों का समझौता कराने के लिए इस जगह को चुना था. मान्यता है कि जहां-जहां भी कृष्ण भगवान के चरण पड़े वहां पर अक्सर कदम का पेड़ मिलता है. जिस जगह पर कदम के पेड़ से पानी निकलता है, वहां तक पहुंचने के लिए करीब 287 सीढ़ियां बनाई गई हैं. ताकि लोग आसानी से कदम के पेड़ से बहने वाले पानी को देख सकें या फिर बर्तन में भरकर अपने घर ले जा सकें.
महाशिवरात्रि पर लगता है भव्य मेला: नलहरेश्वर महादेव शिव मंदिर पर न केवल महाशिवरात्रि का भव्य मेला लगता है बल्कि शिवभक्त यहां कावड़ भी चढ़ाते हैं. मंदिर समिति के चेयरमैन सरदार जीएस मलिक ने बताया कि 1983 में ज्ञान गिरी महाराज ने मंदिर परिसर को भव्य रूप देने की शुरुआत हुई. आज ना केवल भव्य मंदिर बनकर तैयार है, बल्कि एक मुख्य द्वार भी बनाया गया है.
मंदिर में दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु: इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं. कुल मिलाकर इस मंदिर की भव्यता व इतिहास को देखते हुए प्रदेश के सीएम मनोहर लाल, राज्यपाल हरियाणा बंडारू दत्तात्रेय के अलावा कई राजनीतिक हस्तियों के साथ-साथ अधिकारी भी यहां आते हैं. सबसे खास बात यह है कि शिव मंदिर के नजदीक करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज बना हुआ है. जिसमें सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं. इस अस्पताल में काफी मरीज और उनके तीमारदार आते हैं.
अरावली की तलहटी के समीप नलहरेश्वर महादेव मंदिर: नलहरेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास जानने के बाद रोजाना भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए जाते हैं. शहर के लगभग सभी मंदिरों से अधिक चढ़ावा इस मंदिर में चढ़ता है. हरियाणा सरकार ने भी इस मंदिर के लिए आर्थिक मदद की है. कुल मिलाकर कौरवों और पांडवों के इतिहास को याद दिलाते नलहरेश्वर महादेव मंदिर में अरावली की तलहटी के समीप होने की वजह से हरियाली की भी भरमार है. कदम के पेड़ से निकलने वाले पानी की वजह से अरावली पर्वत में जहां-जहां तक पानी की नमी जाती है, वहां तक हर समय हरियाली नजर आती है.
एक बार जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आता है. वह बार-बार आना चाहता है. अरावली पर्वत की सुंदरता और ऐतिहासिक मंदिर को देखते हुए कई बार इस स्थान को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए भी चर्चा हुई, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा सका है.
नूंह शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर है मंदिर: जिला मुख्यालय नूंह शहर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर ऐतिहासिक नलहरेश्वर महादेव शिव मंदिर अरावली पर्वत की वादियों में स्थित है. शहर के नजदीक होने के कारण शहर के लोग सुबह शाम ना केवल इस 3-4 किलोमीटर लंबी सड़क मार्ग पर सैर सपाटा करते हुए नजर आ जाते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में शहर के लोग इस ऐतिहासिक मंदिर में पूजा अर्चना के लिए भी जाते हैं.
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