ETV Bharat / state

नूंह में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

सूबे में सबसे ज्यादा मलेरिया के केस नूंह जिले में हैं. स्वास्थ्य विभाग बरसात से पहले मलेरिया के केसों में कमी लाने के लिए गांव-गांव जागरूकता अभियान चला रहा है.

author img

By

Published : May 30, 2019, 10:39 AM IST

स्वास्थ्य की जांच कराते स्थानीय लोग

नूंह: प्रदेश में सबसे ज्यादा मलेरिया के केस नूंह जिले से सामने आते हैं. जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही अलर्ट है. कई साल पहले तो मलेरिया ने दर्जनों लोगों की जान ले ली थी. लेकिन साल 2017 के मुकाबले साल 2018 में मलेरिया के केसों में कमी आई थी.

साल 2017 में जहां 7 हजार केस सामने आये थे. वहीं साल 2018 में यह संख्या घटकर 3500 रह गई थी. आगरा कैनाल, उजीना ड्रेन, गुड़गांव कैनाल में आने वाले पानी की वजह से यहां मलेरिया का लार्वा लगातार स्वास्थ्य विभाग के लिए परेशानी का सबब बनाता जा रहा है. नूंह खंड के दर्जनों गांव संवेदनशील और अतिसंवेदनशील की सूची में हैं.

क्लिक कर देखें वीडियो

नूंह खंड के 42 गांव संवेदनशील तो करीब 13 गांव अति संवेदनशील हैं. उजीना पीएचसी के अंतर्गत आने वाले करीब दर्जन भर गांव अति संवेदनशील की सूची में हैं. ये सभी गांव वे हैं जिनमें बरसात के सीजन में पानी भर जाता है. नहरी इलाका संगेल, उजीना, जयसिंहपुर, अलालपुर, चीलावाली जैसे गांव से लगा हुआ है.

अधिकतर गांवों में मई महीने से ही टीमें गांव-गांव जाकर स्लाइड तैयार कर रही हैं. जिनमें संभावित केस पाया जाता है, उनको दवाई दी जाती है. दवाई का छिड़काव किया जा रहा है. इसके अलावा सभी गांवों में मच्छर मार दवाई का छिड़काव भी करने की तैयारी है.

एसएमओ डॉक्टर गोविन्द शरण ने बताया कि फरवरी महीने से वे अपनी टीम को साथ लेकर सप्ताह में दो दिन स्कूलों के अलावा ग्रामीणों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के लिए निकलते हैं. लोगों में जागरूकता भी आ रही है. उसी की बदौलत टीमें मलेरिया पर काबू पाने और केसों में कमी लाने में कामयाब हो रही हैं.

नूंह: प्रदेश में सबसे ज्यादा मलेरिया के केस नूंह जिले से सामने आते हैं. जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही अलर्ट है. कई साल पहले तो मलेरिया ने दर्जनों लोगों की जान ले ली थी. लेकिन साल 2017 के मुकाबले साल 2018 में मलेरिया के केसों में कमी आई थी.

साल 2017 में जहां 7 हजार केस सामने आये थे. वहीं साल 2018 में यह संख्या घटकर 3500 रह गई थी. आगरा कैनाल, उजीना ड्रेन, गुड़गांव कैनाल में आने वाले पानी की वजह से यहां मलेरिया का लार्वा लगातार स्वास्थ्य विभाग के लिए परेशानी का सबब बनाता जा रहा है. नूंह खंड के दर्जनों गांव संवेदनशील और अतिसंवेदनशील की सूची में हैं.

क्लिक कर देखें वीडियो

नूंह खंड के 42 गांव संवेदनशील तो करीब 13 गांव अति संवेदनशील हैं. उजीना पीएचसी के अंतर्गत आने वाले करीब दर्जन भर गांव अति संवेदनशील की सूची में हैं. ये सभी गांव वे हैं जिनमें बरसात के सीजन में पानी भर जाता है. नहरी इलाका संगेल, उजीना, जयसिंहपुर, अलालपुर, चीलावाली जैसे गांव से लगा हुआ है.

अधिकतर गांवों में मई महीने से ही टीमें गांव-गांव जाकर स्लाइड तैयार कर रही हैं. जिनमें संभावित केस पाया जाता है, उनको दवाई दी जाती है. दवाई का छिड़काव किया जा रहा है. इसके अलावा सभी गांवों में मच्छर मार दवाई का छिड़काव भी करने की तैयारी है.

एसएमओ डॉक्टर गोविन्द शरण ने बताया कि फरवरी महीने से वे अपनी टीम को साथ लेकर सप्ताह में दो दिन स्कूलों के अलावा ग्रामीणों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के लिए निकलते हैं. लोगों में जागरूकता भी आ रही है. उसी की बदौलत टीमें मलेरिया पर काबू पाने और केसों में कमी लाने में कामयाब हो रही हैं.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- सूबे में सबसे ज्यादा नूंह जिले में मलेरिया के केस , स्वास्थ्य विभाग बरसात से पहले केसों में कमी लाने के लिए क्या कदम उठा रहा है।
नूंह जिला मलेरिया के केसों में सबसे अव्वल है। कई साल पहले तो मलेरिया ने दर्जनों लोगों की जान तक ले ली थी। आगरा कैनाल , उजीना ड्रेन , गुड़गांव कैनाल में आने वाले पानी की वजह से यहां मलेरिया का लार्वा लगातार स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ाता था। नूंह खंड के दर्जनों गांव संवेदनशील तथा अतिसंवेदनशील की सूचि में डाले हुए हैं। उजीना पीएचसी के अंतर्गत आने वाले करीब दर्जन भर गांव अति संवेदनशील की सूचि में डाले हुए हैं। ये सभी गांव वे हैं , जिनमें बरसात के सीजन में पानी भर जाता है। नहरी इलाका संगेल , उजीना , जयसिंह पुर , अलालपुर , चीलावाली जैसे गांव से लगता हुआ है। नूंह खंड के 42 गांव संवेदनशील तो करीब 13 गांव अति संवेदनशील हैं। अधिकतर गांवों में मई माह से ही टीमें गांव - गांव जाकर स्लाइड तैयार कर रही हैं। जिनको संभावित केस पाया जाता है , उनको दवाई दी जाती है। दवाई का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा नूंह खंड के सभी गांवों में मच्छर मार दवाई का छिड़काव किया जायेगा। मलेरिया के केसों में साल दर साल लगातार कमी आ रही है। 2017 में करीब 7 हजार केस मलेरिया के सामने आये थे। 2018 में घटकर करीब 3500 हो गए। अब करीब 1500 केस हैं। बावजूद इसके ये जिले में सबसे ज्यादा केस सूबे के हिसाब से हैं। एसएमओ डॉक्टर गोविन्द शरण ने बताया कि फरवरी माह से वे अपनी टीम को साथ लेकर सप्ताह में दो दिन स्कूलों के अलावा ग्रामीणों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के लिए निकलते हैं। लोगों में जागरूकता भी आ रही है। उसी की बदौलत टीमें मलेरिया पर काबू पाने और केसों में कमी लाने में कामयाब हो रही हैं। इसके अलावा पुन्हाना खंड के कुछ गांव भी मलेरिया के केसों के मामले में स्वास्थ्य विभाग नूंह की चिंता बढ़ा रहे हैं।
बाइट;- डॉक्टर गोविन्द शरण एसएमओ नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- सूबे में सबसे ज्यादा नूंह जिले में मलेरिया के केस , स्वास्थ्य विभाग बरसात से पहले केसों में कमी लाने के लिए क्या कदम उठा रहा है।
नूंह जिला मलेरिया के केसों में सबसे अव्वल है। कई साल पहले तो मलेरिया ने दर्जनों लोगों की जान तक ले ली थी। आगरा कैनाल , उजीना ड्रेन , गुड़गांव कैनाल में आने वाले पानी की वजह से यहां मलेरिया का लार्वा लगातार स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ाता था। नूंह खंड के दर्जनों गांव संवेदनशील तथा अतिसंवेदनशील की सूचि में डाले हुए हैं। उजीना पीएचसी के अंतर्गत आने वाले करीब दर्जन भर गांव अति संवेदनशील की सूचि में डाले हुए हैं। ये सभी गांव वे हैं , जिनमें बरसात के सीजन में पानी भर जाता है। नहरी इलाका संगेल , उजीना , जयसिंह पुर , अलालपुर , चीलावाली जैसे गांव से लगता हुआ है। नूंह खंड के 42 गांव संवेदनशील तो करीब 13 गांव अति संवेदनशील हैं। अधिकतर गांवों में मई माह से ही टीमें गांव - गांव जाकर स्लाइड तैयार कर रही हैं। जिनको संभावित केस पाया जाता है , उनको दवाई दी जाती है। दवाई का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा नूंह खंड के सभी गांवों में मच्छर मार दवाई का छिड़काव किया जायेगा। मलेरिया के केसों में साल दर साल लगातार कमी आ रही है। 2017 में करीब 7 हजार केस मलेरिया के सामने आये थे। 2018 में घटकर करीब 3500 हो गए। अब करीब 1500 केस हैं। बावजूद इसके ये जिले में सबसे ज्यादा केस सूबे के हिसाब से हैं। एसएमओ डॉक्टर गोविन्द शरण ने बताया कि फरवरी माह से वे अपनी टीम को साथ लेकर सप्ताह में दो दिन स्कूलों के अलावा ग्रामीणों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के लिए निकलते हैं। लोगों में जागरूकता भी आ रही है। उसी की बदौलत टीमें मलेरिया पर काबू पाने और केसों में कमी लाने में कामयाब हो रही हैं। इसके अलावा पुन्हाना खंड के कुछ गांव भी मलेरिया के केसों के मामले में स्वास्थ्य विभाग नूंह की चिंता बढ़ा रहे हैं।
बाइट;- डॉक्टर गोविन्द शरण एसएमओ नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- सूबे में सबसे ज्यादा नूंह जिले में मलेरिया के केस , स्वास्थ्य विभाग बरसात से पहले केसों में कमी लाने के लिए क्या कदम उठा रहा है।
नूंह जिला मलेरिया के केसों में सबसे अव्वल है। कई साल पहले तो मलेरिया ने दर्जनों लोगों की जान तक ले ली थी। आगरा कैनाल , उजीना ड्रेन , गुड़गांव कैनाल में आने वाले पानी की वजह से यहां मलेरिया का लार्वा लगातार स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ाता था। नूंह खंड के दर्जनों गांव संवेदनशील तथा अतिसंवेदनशील की सूचि में डाले हुए हैं। उजीना पीएचसी के अंतर्गत आने वाले करीब दर्जन भर गांव अति संवेदनशील की सूचि में डाले हुए हैं। ये सभी गांव वे हैं , जिनमें बरसात के सीजन में पानी भर जाता है। नहरी इलाका संगेल , उजीना , जयसिंह पुर , अलालपुर , चीलावाली जैसे गांव से लगता हुआ है। नूंह खंड के 42 गांव संवेदनशील तो करीब 13 गांव अति संवेदनशील हैं। अधिकतर गांवों में मई माह से ही टीमें गांव - गांव जाकर स्लाइड तैयार कर रही हैं। जिनको संभावित केस पाया जाता है , उनको दवाई दी जाती है। दवाई का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा नूंह खंड के सभी गांवों में मच्छर मार दवाई का छिड़काव किया जायेगा। मलेरिया के केसों में साल दर साल लगातार कमी आ रही है। 2017 में करीब 7 हजार केस मलेरिया के सामने आये थे। 2018 में घटकर करीब 3500 हो गए। अब करीब 1500 केस हैं। बावजूद इसके ये जिले में सबसे ज्यादा केस सूबे के हिसाब से हैं। एसएमओ डॉक्टर गोविन्द शरण ने बताया कि फरवरी माह से वे अपनी टीम को साथ लेकर सप्ताह में दो दिन स्कूलों के अलावा ग्रामीणों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के लिए निकलते हैं। लोगों में जागरूकता भी आ रही है। उसी की बदौलत टीमें मलेरिया पर काबू पाने और केसों में कमी लाने में कामयाब हो रही हैं। इसके अलावा पुन्हाना खंड के कुछ गांव भी मलेरिया के केसों के मामले में स्वास्थ्य विभाग नूंह की चिंता बढ़ा रहे हैं।
बाइट;- डॉक्टर गोविन्द शरण एसएमओ नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.