नूंह: प्रदेश में सबसे ज्यादा मलेरिया के केस नूंह जिले से सामने आते हैं. जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही अलर्ट है. कई साल पहले तो मलेरिया ने दर्जनों लोगों की जान ले ली थी. लेकिन साल 2017 के मुकाबले साल 2018 में मलेरिया के केसों में कमी आई थी.
साल 2017 में जहां 7 हजार केस सामने आये थे. वहीं साल 2018 में यह संख्या घटकर 3500 रह गई थी. आगरा कैनाल, उजीना ड्रेन, गुड़गांव कैनाल में आने वाले पानी की वजह से यहां मलेरिया का लार्वा लगातार स्वास्थ्य विभाग के लिए परेशानी का सबब बनाता जा रहा है. नूंह खंड के दर्जनों गांव संवेदनशील और अतिसंवेदनशील की सूची में हैं.
नूंह खंड के 42 गांव संवेदनशील तो करीब 13 गांव अति संवेदनशील हैं. उजीना पीएचसी के अंतर्गत आने वाले करीब दर्जन भर गांव अति संवेदनशील की सूची में हैं. ये सभी गांव वे हैं जिनमें बरसात के सीजन में पानी भर जाता है. नहरी इलाका संगेल, उजीना, जयसिंहपुर, अलालपुर, चीलावाली जैसे गांव से लगा हुआ है.
अधिकतर गांवों में मई महीने से ही टीमें गांव-गांव जाकर स्लाइड तैयार कर रही हैं. जिनमें संभावित केस पाया जाता है, उनको दवाई दी जाती है. दवाई का छिड़काव किया जा रहा है. इसके अलावा सभी गांवों में मच्छर मार दवाई का छिड़काव भी करने की तैयारी है.
एसएमओ डॉक्टर गोविन्द शरण ने बताया कि फरवरी महीने से वे अपनी टीम को साथ लेकर सप्ताह में दो दिन स्कूलों के अलावा ग्रामीणों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के लिए निकलते हैं. लोगों में जागरूकता भी आ रही है. उसी की बदौलत टीमें मलेरिया पर काबू पाने और केसों में कमी लाने में कामयाब हो रही हैं.