नूंह: पारंपरिक चूल्हों से निकलने वाली कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस बेहद घातक होती है. इससे सांस की बीमारियां होने का खतरा होता है, लेकिन हमारे देश की लाखों घरेलू महिलाएं खाना बनाते हुए पारंपरिक चूल्हे का इस्तेमाल करती हैं. ऐसे में केंद्र की एक योजना इन महिलाओं के लिए खुशियां लेकर आई है. इस योजना का नाम है प्रधानमंत्री उज्जवला योजना. आज देश के हर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं.
लाभार्थियों की बदली जिंदगी!
नूंह जिले की फूलवती देवी और पन्नी देवी को पहले दो वक्त का खाना बनाने के लिए काफी मशक्तत करनी पड़ती थी. जंगल से लकड़ियां बीनने जाना पड़ता था, उनकी आंखों में हमेशा दर्द महसूस होती थी, लेकिन अब वो इस योजना का लाभ उठा रही हैं, उन्होंने इस योजना के मकसद को समझा है और चूल्हा पर खाना बनाना छोड़, थोड़े के कागजी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद सिलेंडर अपने घर ले आईं.
हरियाणा का नूंह जिले में भी महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं. इसका प्रमाण ये है कि नूंह जिले में इस योजना के तहत जितना लक्ष्य रखा गया था उसका 98 फीसदी हिस्सा पूरा हो चुका है. जी हां, उज्जवला योजना के तहत नूंह में एक लाख साठ हजार महिलाओं को चिन्हित किया गया था, जिसमें से एक लाख सतावन हजार महिलाओं ने इस योजना को अपना लिया है. नूंह जिले के उपायुक्त का कहना है कि इस योजना के लिए तय लक्ष्य को वो जल्द पूरा कर लेंगे. इस योजना को सफल बनाने के लिए लगातार कैंपेनिंग किया जा रहा है और लोगों को योजना के फायदों के बारे में बताया जा रहा है.
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नूंह जिले में उज्जवला योजना की सफलता इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं की जिंदगी में ये योजना रौशनी लेकर आई है. उन्हें अब खाना बनाते वक्त धूएं की वजह से बीमारियों का खतरा नहीं होगा. वहीं इस बदलाव से वायु प्रदूषण पर भी रोकथाम होगा.