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अस्पताल मांडीखेड़ा में नर्सिंग स्कूल के हालात बदतर, डीसी ने लिया संज्ञान - अस्पताल मांडीखेड़ा में नर्सिंग स्कूल

नूंह के अल आफिया सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में चल रहे नर्सिंग स्कूल के हालात बद से बदतर हैं. छात्राएं भीषण गर्मी में जागकर रात गुजारने को मजबूर (dc nuh inspection at Mandikhera hospital) है. पीने को ठंडा तो दूर गर्म पानी भी कई बार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं मिलता.

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अस्पताल मांडीखेड़ा में नर्सिंग स्कूल के हालात बदतर
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Published : Jun 29, 2022, 11:54 AM IST

नूंह: दो दशक से अल आफिया सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में चल रहे नर्सिंग स्कूल के हालात बद से बदतर (al afiya general hospital mandikheda) हैं. निदेशक चिकित्सा अनुसंधान विभाग ने भवन तो नर्सिंग स्कूल का आलीशान बना दिया, लेकिन इस स्कूल में तमाम सुविधाओं की पूर्ति करना विभाग पूरी तरह से भूल चुका है. छात्राएं भीषण गर्मी में जागकर रात गुजारने को मजबूर है. पीने को ठंडा तो दूर गर्म पानी भी कई बार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं (dc nuh inspection at Mandikhera hospital) मिलता.

हॉस्टल में जो कूलर लगाए गए हैं, वह पूरी तरह से खराब पड़े हैं. क्लास रूम में एसी के साथ - साथ वाटर कूलर, आरओ जैसी कोई सुविधा नहीं है. हद तो तब हो गई जब स्कूल में चपरासी, चौकीदार तक नहीं (lack of facilities at Mandikhera hospital) है. लड़कियों को कई बार टॉयलेट से पानी पीने को मजबूर होना पड़ता है तो पेट की भूख मिटाने के लिए लड़कियों को खुद खाना बनाना पड़ता है. भीषण गर्मी में कई बार लड़कियां बीमार भी हुई हैं.

यह हाल उस राज्य के नूंह जिले के नर्सिंग स्कूल का है, जहां से बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ का नारा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है. इतना ही नहीं हरियाणा के स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज को दबंग व इमानदार छवि का माना जाता (lack of facilities in Mandikhera girls hospital) है, लेकिन उनके ही विभाग को चिकित्सा अनुसंधान विभाग के अधिकारी पलीता लगाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे. आपको बता दें कि वर्ष 2002 में नर्सिंग स्कूल अल आफिया मांडीखेड़ा प्रांगण में शुरू हुआ था.

सरकार ने वर्ष 2012 में डीएमईआर के नाम से इस विभाग को स्वास्थ्य विभाग से पूरी तरह से अलग कर दिया. अब इसकी निगरानी डीएमईआर विभाग देख रहा है. नर्सिंग स्कूल में प्रथम वर्ष में 13 और द्वितीय वर्ष में 13 छात्राओं सहित कुल 26 छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. बजट की अगर बात करें तो पिछले काफी समय से 1 रुपए का भी बजट छात्राओं को नहीं मिल पाया है. सुविधाओं की बात तो दूर स्कूल में स्टाफ का भी घोर अभाव है.

छात्राओं का कहना है कि सरकार अगर इस नर्सिंग स्कूल में सुविधाएं नहीं दे सकती तो या तो इसे बंद कर देना चाहिए या फिर गुड़गांव या फरीदाबाद जिलों में चल रहे नर्सिंग स्कूलों में इन छात्राओं को शिफ्ट कर देना चाहिए. इसके अलावा नूंह जिले के ही पुनहाना में नर्सिंग स्कूल का भवन पूरी तरह बनकर तैयार है. उसमें सुविधाएं उपलब्ध कराकर वहां भी इसे शिफ्ट किया जा सकता है. नियमों के मुताबिक एक नर्सिंग स्कूल में 4 टीचर, एक प्रिंसिपल, एक वार्डन, एक हाउसकीपर, तीन कुक, चपरासी, चौकीदार, दो सफाई कर्मचारी, एक क्लर्क, एक कंप्यूटर ऑपरेटर होना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन इस स्कूल में महज सिस्टर ट्विटर के पद पर कमला सिंह के रूप में विभाग ने इसी वर्ष मार्च माह में नियुक्ति की है.

इससे पहले स्वास्थ्य विभाग नूंह में कार्यरत नर्सिंग इंचार्ज निर्मल ढांडा को नर्सिंग स्कूल का अतिरिक्त कार्यभार दिया हुआ था. इस नर्सिंग स्कूल में भीषण गर्मी व कठिन हालातों में छात्राएं पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं. उनका भविष्य पूरी तरह से अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है. उपायुक्त अजय कुमार के अल आफिया अस्पताल प्रांगण में आने की खबर नर्सिंग स्कूल की छात्राओं को लगी तो उन्होंने अपना दुखड़ा उपायुक्त के सामने रो दिया.

इतना ही नहीं उपायुक्त अजय कुमार से छात्राओं ने आग्रह किया कि उनके हॉस्टल व स्कूल की दशा स्वयं जाकर देखी जाए. अजय कुमार ने भी छात्राओं को निराश नहीं किया और काफिले के साथ नर्सिंग स्कूल प्रांगण में पहुंच गए. उपायुक्त अजय कुमार ने वहां पर मौजूद सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र यादव सहित अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि आरओ, वाटर कूलर सहित जो भी डिमांड इन छात्राओं की हैं. उन्हें तत्काल पूरा किया जाए.

इतना ही नहीं उन्होंने दो टूक कहा की नर्सिंग स्कूल की हालत के बारे में वे जल्दी ही एसीएस अनुपमा से बात करेंगे और इस नर्सिंग स्कूल में सभी सुविधाओं को पूरा कराया जाएगा. उपायुक्त अजय कुमार के इस आश्वासन के बाद पिछले काफी समय से परेशान चल रही छात्राओं के चेहरे पर कुछ मुस्कान लौट आई, कुल मिलाकर हरियाणा के नूंह जिले में चिकित्सा अनुसंधान विभाग बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है. शहीद राजा हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नलहड़ की अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है. लगातार मेडिकल कॉलेज नलहड़ का मामला कांग्रेस के तीनों विधायक ही नहीं बल्कि आमजन समय-समय पर मजबूती से सरकार व स्वास्थ्य विभाग के सम्मुख उठाते रहे हैं.

नूंह: दो दशक से अल आफिया सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में चल रहे नर्सिंग स्कूल के हालात बद से बदतर (al afiya general hospital mandikheda) हैं. निदेशक चिकित्सा अनुसंधान विभाग ने भवन तो नर्सिंग स्कूल का आलीशान बना दिया, लेकिन इस स्कूल में तमाम सुविधाओं की पूर्ति करना विभाग पूरी तरह से भूल चुका है. छात्राएं भीषण गर्मी में जागकर रात गुजारने को मजबूर है. पीने को ठंडा तो दूर गर्म पानी भी कई बार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं (dc nuh inspection at Mandikhera hospital) मिलता.

हॉस्टल में जो कूलर लगाए गए हैं, वह पूरी तरह से खराब पड़े हैं. क्लास रूम में एसी के साथ - साथ वाटर कूलर, आरओ जैसी कोई सुविधा नहीं है. हद तो तब हो गई जब स्कूल में चपरासी, चौकीदार तक नहीं (lack of facilities at Mandikhera hospital) है. लड़कियों को कई बार टॉयलेट से पानी पीने को मजबूर होना पड़ता है तो पेट की भूख मिटाने के लिए लड़कियों को खुद खाना बनाना पड़ता है. भीषण गर्मी में कई बार लड़कियां बीमार भी हुई हैं.

यह हाल उस राज्य के नूंह जिले के नर्सिंग स्कूल का है, जहां से बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ का नारा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है. इतना ही नहीं हरियाणा के स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज को दबंग व इमानदार छवि का माना जाता (lack of facilities in Mandikhera girls hospital) है, लेकिन उनके ही विभाग को चिकित्सा अनुसंधान विभाग के अधिकारी पलीता लगाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे. आपको बता दें कि वर्ष 2002 में नर्सिंग स्कूल अल आफिया मांडीखेड़ा प्रांगण में शुरू हुआ था.

सरकार ने वर्ष 2012 में डीएमईआर के नाम से इस विभाग को स्वास्थ्य विभाग से पूरी तरह से अलग कर दिया. अब इसकी निगरानी डीएमईआर विभाग देख रहा है. नर्सिंग स्कूल में प्रथम वर्ष में 13 और द्वितीय वर्ष में 13 छात्राओं सहित कुल 26 छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. बजट की अगर बात करें तो पिछले काफी समय से 1 रुपए का भी बजट छात्राओं को नहीं मिल पाया है. सुविधाओं की बात तो दूर स्कूल में स्टाफ का भी घोर अभाव है.

छात्राओं का कहना है कि सरकार अगर इस नर्सिंग स्कूल में सुविधाएं नहीं दे सकती तो या तो इसे बंद कर देना चाहिए या फिर गुड़गांव या फरीदाबाद जिलों में चल रहे नर्सिंग स्कूलों में इन छात्राओं को शिफ्ट कर देना चाहिए. इसके अलावा नूंह जिले के ही पुनहाना में नर्सिंग स्कूल का भवन पूरी तरह बनकर तैयार है. उसमें सुविधाएं उपलब्ध कराकर वहां भी इसे शिफ्ट किया जा सकता है. नियमों के मुताबिक एक नर्सिंग स्कूल में 4 टीचर, एक प्रिंसिपल, एक वार्डन, एक हाउसकीपर, तीन कुक, चपरासी, चौकीदार, दो सफाई कर्मचारी, एक क्लर्क, एक कंप्यूटर ऑपरेटर होना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन इस स्कूल में महज सिस्टर ट्विटर के पद पर कमला सिंह के रूप में विभाग ने इसी वर्ष मार्च माह में नियुक्ति की है.

इससे पहले स्वास्थ्य विभाग नूंह में कार्यरत नर्सिंग इंचार्ज निर्मल ढांडा को नर्सिंग स्कूल का अतिरिक्त कार्यभार दिया हुआ था. इस नर्सिंग स्कूल में भीषण गर्मी व कठिन हालातों में छात्राएं पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं. उनका भविष्य पूरी तरह से अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है. उपायुक्त अजय कुमार के अल आफिया अस्पताल प्रांगण में आने की खबर नर्सिंग स्कूल की छात्राओं को लगी तो उन्होंने अपना दुखड़ा उपायुक्त के सामने रो दिया.

इतना ही नहीं उपायुक्त अजय कुमार से छात्राओं ने आग्रह किया कि उनके हॉस्टल व स्कूल की दशा स्वयं जाकर देखी जाए. अजय कुमार ने भी छात्राओं को निराश नहीं किया और काफिले के साथ नर्सिंग स्कूल प्रांगण में पहुंच गए. उपायुक्त अजय कुमार ने वहां पर मौजूद सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र यादव सहित अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि आरओ, वाटर कूलर सहित जो भी डिमांड इन छात्राओं की हैं. उन्हें तत्काल पूरा किया जाए.

इतना ही नहीं उन्होंने दो टूक कहा की नर्सिंग स्कूल की हालत के बारे में वे जल्दी ही एसीएस अनुपमा से बात करेंगे और इस नर्सिंग स्कूल में सभी सुविधाओं को पूरा कराया जाएगा. उपायुक्त अजय कुमार के इस आश्वासन के बाद पिछले काफी समय से परेशान चल रही छात्राओं के चेहरे पर कुछ मुस्कान लौट आई, कुल मिलाकर हरियाणा के नूंह जिले में चिकित्सा अनुसंधान विभाग बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है. शहीद राजा हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नलहड़ की अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है. लगातार मेडिकल कॉलेज नलहड़ का मामला कांग्रेस के तीनों विधायक ही नहीं बल्कि आमजन समय-समय पर मजबूती से सरकार व स्वास्थ्य विभाग के सम्मुख उठाते रहे हैं.

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