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हरियाणा में नूंह की महिलाओं में पाई गई सबसे ज्यादा खून की कमी, जानें क्या है मुख्य कारण

नूंह में महिलाओं में खून की कमी की सबसे बड़ी वजह अधिक बच्चे पैदा करना बताया जा रहा है. डॉक्टर्स के मुताबिक नूंह में महिलाओं के पहले बच्चे और दूसरे बच्चे के बीच गैप बिलकुल नहीं है. जबकि कम से कम तीन साल का गेप दूसरा बच्चा पैदा करने में अवश्य होना चाहिए. बैठक में बताया गया कि इसी चिंता को लेकर स्वास्थ्य विभाग हर तीन महीने में बैठक कर हालात का जायजा लेता है.

deficiency of blood in women of nu
नूंह की महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी
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Published : Jan 9, 2020, 5:17 PM IST

नूंहः प्रदेश में नूंह जिले की महिलाओं की सेहत सबसे ज्यादा खराब पाई गई है. डॉक्टर्स के मुताबिक नूंह में रहने वाली महिलाओं में खून की सबसे ज्यादा कमी है. इसका मुख्य कारण परिवार नियोजन की सही जानकारी नहीं होना बताया जा रहा है. महिलाओं के स्वास्थ्य और परिवार नियोजन को लेकर आज नूंह में बैठक की गई. इस बैठक में महिलाओं और ग्रामीणों को फैमिली प्लानिंग को लेकर जागरुक किया गया और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जानकारी दी गई.

हर तीन महीने में होती है बैठक
नूंह में महिलाओं में खून की कमी की सबसे बड़ी वजह अधिक बच्चे पैदा करना बताया जा रहा है. डॉक्टर्स के मुताबिक नूंह में महिलाएं के पहले बच्चे और दूसरे बच्चे के बीच गेप बिलकुल नहीं है. जबकि कम से कम तीन साल का गेप दूसरा बच्चा पैदा करने में अवश्य होना चाहिए. बैठक में बताया गया कि कम बच्चे पैदा हो इसके लिए कॉपरटी, ऑपरेशन, कंडोम सहित कई प्रकार के उपाय भी हैं. इसी चिंता को लेकर स्वास्थ्य विभाग हर तीन महीने में बैठक कर हालात का जायजा लेता है.

नूंह की महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी

बैठक में इन बातों पर हुआ मंथन
डिप्टी सिविल सर्जन एवं फैमिली वेलफेयर इंचार्ज डॉक्टर रेनू शर्मा ने बताया कि महिलाओं में खून की कमी, बच्चों में कम से कम तीन वर्ष का अंतर, नसबंदी ऑपरेशन इत्यादि के साथ - साथ कंडोम का सुरक्षित संबंध बनाने के लिए इस्तेमाल आदि विषयों पर आज बैठक में मंथन हुआ. डॉक्टर शर्मा ने बताया कि नसबंदी के मामले में पुरुषों से महिलाएं कहीं अधिक सामने आती हैं लेकिन सूबे के अन्य जिलों के मुकाबले यहां बहुत कम पुरुष - महिला नसबंदी का ऑपरेशन कराते हैं.

नूंह में सबसे ज्यादा पैदा हो रहे हैं बच्चे- डॉ. रेनू
वहीं बच्चों की पैदाइश दूसरे जिलों के मुकाबले यहां अधिक है. बच्चों में गेप के लिए डिलीवरी के समय कॉपर टी लगती है. जिसकी सीमा 10 साल तक भी होती है. उससे महिला के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. महिला की जांच करने के बाद ये लगाई जाती है. उन्होंने बताया कि इस जांच में अगर कोई कमी मिलती है तो इलाज के बाद कॉपर टी लगवाई जा सकती है.

ये भी पढ़ेंः वीडियो असिस्टेंट थेरास्कोपिक सर्जरी से फेफड़ों के कैंसर का इलाज हुआ आसान

इन जगहों पर सुविधाएं उपलब्ध- डॉ. रेनू
डॉक्टर रेनू ने कहा कि महिला गर्भ धारण करने से बचे. इसके लिए पुरुष - महिला कंडोम विभाग मुफ्त देता है तथा बाजार में भी उपलब्ध हैं. स्वास्थ्य विभाग ने जिले के करीब 58 पैट्रोल पंपों, सार्वजानिक स्थानों, लघु सचिवालय नूंह इत्यादि में कंडोम बॉक्स लगाए हुए हैं. वहां से भी कंडोम प्राप्त कर सकते हैं. कुल मिलाकर नूंह जिले की महिलाओं की सेहत में सुधार के लिए जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं.

चलाए जा रहे हैं जागरुकता अभियान- डॉ. रेनू
डॉक्टर रेनू शर्मा ने कहा कि पीएचसी - सीएचसी या फिर संस्थागत डिलीवरी के लिए स्टाफ कोई बाधा नहीं है. जिले में बहुत से संस्थानों में डिलीवरी हो रही है. जिससे जच्चा - बच्चा दोनों सुरक्षित हैं. स्वास्थ्य विभाग महिलाओं की सेहत में सुधार के लिए लोगों से सहयोग की अपील कर रहा है. उन्होंने कहा है कि इसके लिए नूंह में लगातार जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इससे महिलाओं और पुरुषों को जागरुक किया जा रहा है.

नूंहः प्रदेश में नूंह जिले की महिलाओं की सेहत सबसे ज्यादा खराब पाई गई है. डॉक्टर्स के मुताबिक नूंह में रहने वाली महिलाओं में खून की सबसे ज्यादा कमी है. इसका मुख्य कारण परिवार नियोजन की सही जानकारी नहीं होना बताया जा रहा है. महिलाओं के स्वास्थ्य और परिवार नियोजन को लेकर आज नूंह में बैठक की गई. इस बैठक में महिलाओं और ग्रामीणों को फैमिली प्लानिंग को लेकर जागरुक किया गया और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जानकारी दी गई.

हर तीन महीने में होती है बैठक
नूंह में महिलाओं में खून की कमी की सबसे बड़ी वजह अधिक बच्चे पैदा करना बताया जा रहा है. डॉक्टर्स के मुताबिक नूंह में महिलाएं के पहले बच्चे और दूसरे बच्चे के बीच गेप बिलकुल नहीं है. जबकि कम से कम तीन साल का गेप दूसरा बच्चा पैदा करने में अवश्य होना चाहिए. बैठक में बताया गया कि कम बच्चे पैदा हो इसके लिए कॉपरटी, ऑपरेशन, कंडोम सहित कई प्रकार के उपाय भी हैं. इसी चिंता को लेकर स्वास्थ्य विभाग हर तीन महीने में बैठक कर हालात का जायजा लेता है.

नूंह की महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी

बैठक में इन बातों पर हुआ मंथन
डिप्टी सिविल सर्जन एवं फैमिली वेलफेयर इंचार्ज डॉक्टर रेनू शर्मा ने बताया कि महिलाओं में खून की कमी, बच्चों में कम से कम तीन वर्ष का अंतर, नसबंदी ऑपरेशन इत्यादि के साथ - साथ कंडोम का सुरक्षित संबंध बनाने के लिए इस्तेमाल आदि विषयों पर आज बैठक में मंथन हुआ. डॉक्टर शर्मा ने बताया कि नसबंदी के मामले में पुरुषों से महिलाएं कहीं अधिक सामने आती हैं लेकिन सूबे के अन्य जिलों के मुकाबले यहां बहुत कम पुरुष - महिला नसबंदी का ऑपरेशन कराते हैं.

नूंह में सबसे ज्यादा पैदा हो रहे हैं बच्चे- डॉ. रेनू
वहीं बच्चों की पैदाइश दूसरे जिलों के मुकाबले यहां अधिक है. बच्चों में गेप के लिए डिलीवरी के समय कॉपर टी लगती है. जिसकी सीमा 10 साल तक भी होती है. उससे महिला के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. महिला की जांच करने के बाद ये लगाई जाती है. उन्होंने बताया कि इस जांच में अगर कोई कमी मिलती है तो इलाज के बाद कॉपर टी लगवाई जा सकती है.

ये भी पढ़ेंः वीडियो असिस्टेंट थेरास्कोपिक सर्जरी से फेफड़ों के कैंसर का इलाज हुआ आसान

इन जगहों पर सुविधाएं उपलब्ध- डॉ. रेनू
डॉक्टर रेनू ने कहा कि महिला गर्भ धारण करने से बचे. इसके लिए पुरुष - महिला कंडोम विभाग मुफ्त देता है तथा बाजार में भी उपलब्ध हैं. स्वास्थ्य विभाग ने जिले के करीब 58 पैट्रोल पंपों, सार्वजानिक स्थानों, लघु सचिवालय नूंह इत्यादि में कंडोम बॉक्स लगाए हुए हैं. वहां से भी कंडोम प्राप्त कर सकते हैं. कुल मिलाकर नूंह जिले की महिलाओं की सेहत में सुधार के लिए जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं.

चलाए जा रहे हैं जागरुकता अभियान- डॉ. रेनू
डॉक्टर रेनू शर्मा ने कहा कि पीएचसी - सीएचसी या फिर संस्थागत डिलीवरी के लिए स्टाफ कोई बाधा नहीं है. जिले में बहुत से संस्थानों में डिलीवरी हो रही है. जिससे जच्चा - बच्चा दोनों सुरक्षित हैं. स्वास्थ्य विभाग महिलाओं की सेहत में सुधार के लिए लोगों से सहयोग की अपील कर रहा है. उन्होंने कहा है कि इसके लिए नूंह में लगातार जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इससे महिलाओं और पुरुषों को जागरुक किया जा रहा है.

Intro:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- महिलाओं के स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन को लेकर बैठक
सूबे में सबसे ज्यादा खराब सेहत नूह जिले की महिलाओं की है। महिलाओं में खून की सबसे बड़ी वजह अधिक बच्चे पैदा करना है। दूसरा जो बच्चे पैदा होते हैं , उनमें गेप बिल्कुल नहीं है। जबकि कम से कम तीन साल का गेप दूसरा बच्चा पैदा करने में अवश्य होना चाहिए। कम बच्चे पैदा हो इसके लिए कॉपरटी , ऑपरेशन , कंडोम सहित कई प्रकार के उपाय भी हैं। इसी चिंता को लेकर स्वास्थ्य विभाग हर तीन माह में बैठक कर हालात का जायजा लेता है। डिलीवरी होम , ऑपरेशन थियेटर सहित जो भी उपकरण होते हैं , उसको लेकर भी मंथन कर सुधार की हरसंभव कोशिश होती है। Body:बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में डिप्टी सिविल सर्जन एवं फैमिली वेलफेयर इंचार्ज डॉक्टर रेनू शर्मा ने बताया कि महिलाओं में खून की कमी , बच्चों में कम से कम तीन वर्ष का अंतर , नसबंदी ऑपरेशन इत्यादि के साथ - साथ कंडोम का सुरक्षित संबंध बनाने के लिए इस्तेमाल आदि विषयों पर कई मंथन हुआ। डॉक्टर शर्मा बोली कि नसबंदी के मामले में पुरुषों से महिलाएं कहीं अधिक सामने आती हैं , लेकिन सूबे के अन्य जिलों के मुकाबले यहां बहुत कम पुरुष - महिला नसबंदी का ऑपरेशन कराते हैं। बच्चों की पैदाइश दूसरे जिलों के मुकाबले यहां अधिक है। बच्चों में गेप के लिए डिलीवरी के समय कॉपर टी लगती है। जिसकी सीमा 10 वर्ष तक भी होती है। उससे महिला के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता ,महिला की जांच करने के बाद यह लगाई जाती है। अगर कोई जांच में कमी मिलती है , तो इलाज के बाद कॉपर टी लगवाई जा सकती है। इसके अलावा महिला गर्भ धारण करने से बचे। इसके लिए पुरुष - महिला कंडोम विभाग मुफ्त देता है तथा बाजार में भी उपलब्ध हैं। स्वास्थ्य विभाग ने जिले के करीब 58 पैट्रोल पंपों , सार्वजानिक स्थानों , लघु सचिवालय नूह इत्यादि में कंडोम बॉक्स लगाए हुए हैं। वहां से भी कंडोम प्राप्त कर सकते हैं। कुल मिलाकर नूह जिले की महिलाओं की सेहत में सुधार के लिए जरुरी कदम उठाये जा रहे हैं। डॉक्टर रेनू शर्मा ने कहा कि पीएचसी - सीएचसी या फिर संस्थागत डिलीवरी के लिए स्टाफ कोई बाधा नहीं है। जिले में बहुत से संस्थानों में डिलीवरी हो रही है। जिससे जच्चा - बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। स्वास्थ्य विभाग महिलाओं की सेहत में सुधार के लिए लोगों से सहयोग की अपील कर रहा है। Conclusion:बाइट ;- डॉक्टर रेनू शर्मा डिप्टी सिविल सर्जन नूह
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
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