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नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर कल से करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल, जानें क्या है वजह

गुरुवार को नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना पड़ेगा.

Junior doctors of Nalhad Medical College
Junior doctors of Nalhad Medical College
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Published : Dec 26, 2019, 8:31 PM IST

नूंह: राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं. परेशानी की वजह है एक समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना. गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं. पत्रकारों के सामने जूनियर डॉक्टरों ने इसकी घोषणा करते हुए कॉलेज निदेशक डॉक्टर यामिनी को भी अवगत करा दिया है.

'चंद घंटों में सुलझेगा मामला'
मीडियाकर्मियों के मेडिकल कॉलेज प्रांगण पहुंचने के बाद निदेशक ने कहा कि हड़ताल की नौबत नहीं आने दी जाएगी. एसीएस मेडिकल एजुकेशन के अधिकारियों से बातचीत हुई है. चंद घंटों में ही जूनियर डॉक्टरों के वेतन का मामला सुलझ जाएगा.

नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर कल से करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल, देखें वीडियो

'7वें वेतन आयोग की सिफारिश नहीं हुई लागू'
जानकारी के मुताबिक नल्हड़ कॉलेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है. जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

ये भी पढ़ें- नूंह: उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में शुरू हुई रिपेयरिंग, हालत देख रह जाएंगे हैरान

डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है. कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है. नल्हड़ मेडिकल कॉलेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर, कल्पना चावला जैसे मेडिकल कॉलेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो साल से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है.

'वेतन कम होने के कारण डॉक्टर छोड़ रहे नौकरी'
नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं, लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 महीने में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं. अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड़ मेडिकल कॉलेज चल रहा है, जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं.

क्या स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सुनेंगे इनकी गुहार ?
जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है. जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक से हड़ताल पर चले जाते हैं, तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता. जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वो काम नहीं करेंगे.

नूंह: राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं. परेशानी की वजह है एक समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना. गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं. पत्रकारों के सामने जूनियर डॉक्टरों ने इसकी घोषणा करते हुए कॉलेज निदेशक डॉक्टर यामिनी को भी अवगत करा दिया है.

'चंद घंटों में सुलझेगा मामला'
मीडियाकर्मियों के मेडिकल कॉलेज प्रांगण पहुंचने के बाद निदेशक ने कहा कि हड़ताल की नौबत नहीं आने दी जाएगी. एसीएस मेडिकल एजुकेशन के अधिकारियों से बातचीत हुई है. चंद घंटों में ही जूनियर डॉक्टरों के वेतन का मामला सुलझ जाएगा.

नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर कल से करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल, देखें वीडियो

'7वें वेतन आयोग की सिफारिश नहीं हुई लागू'
जानकारी के मुताबिक नल्हड़ कॉलेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है. जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

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डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है. कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है. नल्हड़ मेडिकल कॉलेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर, कल्पना चावला जैसे मेडिकल कॉलेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो साल से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है.

'वेतन कम होने के कारण डॉक्टर छोड़ रहे नौकरी'
नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं, लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 महीने में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं. अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड़ मेडिकल कॉलेज चल रहा है, जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं.

क्या स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सुनेंगे इनकी गुहार ?
जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है. जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक से हड़ताल पर चले जाते हैं, तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता. जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वो काम नहीं करेंगे.

Intro:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर , स्वास्थ्य सेवाएं हो सकती हैं प्रभावित
राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज नल्हड में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं। परेशानी की वजह है समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना। गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। पत्रकारों के सामने जूनियर डॉक्टरों ने इसकी घोषणा करते हुए कालेज निदेशक डॉक्टर यामिनी को भी अवगत करा दिया है। मीडियाकर्मियों के मेडिकल कालेज प्रांगण पहुंचने के बाद निदेशक ने कहा कि हड़ताल की नौबत नहीं आने दी जाएगी। एसीएस मेडिकल एजुकेशन इत्यादि अधिकारियों से बातचीत हुई है। चंद घंटों में ही जूनियर डॉक्टरों के वेतन का मामला सुलझ जायेगा।
जानकारी के मुताबिक नल्हड कालेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की , लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है। नल्हड मेडिकल कालेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर , कल्पना चावला इत्यादि मेडिकल कालेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है। नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार , झारखंड , मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं , लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 माह में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं। अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड मेडिकल कालेज चल रहा है , जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं। वेतन विसंगतियों के चलते ही डॉक्टर इस संस्थान को अलविदा कह रहे हैं। ये हाल गब्बर के नाम से मशहूर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के महकमे के हैं। जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है। जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से हड़ताल पर चले जाते हैं , तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं , उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वे काम नहीं करेंगे। नल्हड मेडिकल कालेज में डॉक्टर की कमी पहले ही बहुत अधिक है , अगर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की चेतावनी को मेडिकल एजुकेशन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। निदेशक डॉक्टर यामिनी की कोशिश है कि किसी भी तरह जूनियर डॉक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल को रोका जाये , इसलिए उन्होंने चंडीगढ़ में बैठे अधिकारियों से बातचीत की है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सातवें वेतन के हिसाब से जूनियर डॉक्टर को वेतन नहीं मिल रहा है। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर इत्यादि का केस एक साथ विभाग को भेजा गया था , उनको अनुमति मिल गई , लेकिन जूनियर डॉक्टर का मामला हल नहीं हुआ। अब इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा , उनकी कोशिश रहेगी की शुक्रवार से शुरू होने वाली जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को समाप्त कराया जाये। अब देखना है कि शुक्रवार से हड़ताल शुरू होगी या फिर नाराज डॉक्टर को मना लिया जायेगा।
बाइट ;- डॉक्टर यामिनी निदेशक नल्हड मेडिकल कालेज
बाइट ;- डॉक्टर संजीव जूनियर डॉक्टर
बाइट ;- डॉक्टर सोफिया
बाइट;- डॉक्टर इरफ़ान
बाइट ;- डॉक्टर शशिकांत
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Body:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर , स्वास्थ्य सेवाएं हो सकती हैं प्रभावित
राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज नल्हड में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं। परेशानी की वजह है समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना। गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। पत्रकारों के सामने जूनियर डॉक्टरों ने इसकी घोषणा करते हुए कालेज निदेशक डॉक्टर यामिनी को भी अवगत करा दिया है। मीडियाकर्मियों के मेडिकल कालेज प्रांगण पहुंचने के बाद निदेशक ने कहा कि हड़ताल की नौबत नहीं आने दी जाएगी। एसीएस मेडिकल एजुकेशन इत्यादि अधिकारियों से बातचीत हुई है। चंद घंटों में ही जूनियर डॉक्टरों के वेतन का मामला सुलझ जायेगा।
जानकारी के मुताबिक नल्हड कालेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की , लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है। नल्हड मेडिकल कालेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर , कल्पना चावला इत्यादि मेडिकल कालेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है। नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार , झारखंड , मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं , लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 माह में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं। अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड मेडिकल कालेज चल रहा है , जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं। वेतन विसंगतियों के चलते ही डॉक्टर इस संस्थान को अलविदा कह रहे हैं। ये हाल गब्बर के नाम से मशहूर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के महकमे के हैं। जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है। जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से हड़ताल पर चले जाते हैं , तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं , उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वे काम नहीं करेंगे। नल्हड मेडिकल कालेज में डॉक्टर की कमी पहले ही बहुत अधिक है , अगर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की चेतावनी को मेडिकल एजुकेशन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। निदेशक डॉक्टर यामिनी की कोशिश है कि किसी भी तरह जूनियर डॉक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल को रोका जाये , इसलिए उन्होंने चंडीगढ़ में बैठे अधिकारियों से बातचीत की है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सातवें वेतन के हिसाब से जूनियर डॉक्टर को वेतन नहीं मिल रहा है। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर इत्यादि का केस एक साथ विभाग को भेजा गया था , उनको अनुमति मिल गई , लेकिन जूनियर डॉक्टर का मामला हल नहीं हुआ। अब इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा , उनकी कोशिश रहेगी की शुक्रवार से शुरू होने वाली जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को समाप्त कराया जाये। अब देखना है कि शुक्रवार से हड़ताल शुरू होगी या फिर नाराज डॉक्टर को मना लिया जायेगा।
बाइट ;- डॉक्टर यामिनी निदेशक नल्हड मेडिकल कालेज
बाइट ;- डॉक्टर संजीव जूनियर डॉक्टर
बाइट ;- डॉक्टर सोफिया
बाइट;- डॉक्टर इरफ़ान
बाइट ;- डॉक्टर शशिकांत
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Conclusion:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी ;- जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर , स्वास्थ्य सेवाएं हो सकती हैं प्रभावित
राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज नल्हड में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर बेहद परेशान हैं। परेशानी की वजह है समान वेतन पिछले दो सालों से नहीं मिलना। गुस्साए डॉक्टर अब इसी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। पत्रकारों के सामने जूनियर डॉक्टरों ने इसकी घोषणा करते हुए कालेज निदेशक डॉक्टर यामिनी को भी अवगत करा दिया है। मीडियाकर्मियों के मेडिकल कालेज प्रांगण पहुंचने के बाद निदेशक ने कहा कि हड़ताल की नौबत नहीं आने दी जाएगी। एसीएस मेडिकल एजुकेशन इत्यादि अधिकारियों से बातचीत हुई है। चंद घंटों में ही जूनियर डॉक्टरों के वेतन का मामला सुलझ जायेगा।
जानकारी के मुताबिक नल्हड कालेज में पिछले दो साल से जूनियर डॉक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके लिए उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से लेकर कई अन्य अधिकारियों से बात की , लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें 45 हजार बेसिक वेतन के अलावा 15 हजार रुपये मेवात भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर करीब 60 हजार रुपये मासिक वेतन जूनियर डॉक्टर को मिल पा रहा है। नल्हड मेडिकल कालेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि सूबे के खानपुर , कल्पना चावला इत्यादि मेडिकल कालेज में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से 90 हजार रुपये के करीब वेतन मिलता है। नल्हड जैसे ग्रामीण क्षेत्र में बिहार , झारखंड , मध्यप्रदेश सहित देश के दूरदराज राज्यों से डॉक्टर यहां नौकरी करने आते हैं , लेकिन वेतन कम होने के कारण पिछले 6 माह में करीब 60 से अधिक डॉक्टर यहां से छोड़कर जा चुके हैं। अब महज 36 जूनियर डॉक्टर के भरोसे नल्हड मेडिकल कालेज चल रहा है , जबकि 95 जूनियर डॉक्टर के पद यहां स्वीकृत हैं। वेतन विसंगतियों के चलते ही डॉक्टर इस संस्थान को अलविदा कह रहे हैं। ये हाल गब्बर के नाम से मशहूर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के महकमे के हैं। जूनियर डॉक्टरों को अब महज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से ही उम्मीद बची है। जूनियर डॉक्टर अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से हड़ताल पर चले जाते हैं , तो स्वास्थ्य सेवाओं का इस पर बुरा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी अब अपनी जिद पर अड़े हुए हैं , उन्होंने निदेशक डॉक्टर यामिनी से मुलाकात में दो टूक कह दिया कि अब बिना लिखित आश्वासन वे काम नहीं करेंगे। नल्हड मेडिकल कालेज में डॉक्टर की कमी पहले ही बहुत अधिक है , अगर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की चेतावनी को मेडिकल एजुकेशन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। निदेशक डॉक्टर यामिनी की कोशिश है कि किसी भी तरह जूनियर डॉक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल को रोका जाये , इसलिए उन्होंने चंडीगढ़ में बैठे अधिकारियों से बातचीत की है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सातवें वेतन के हिसाब से जूनियर डॉक्टर को वेतन नहीं मिल रहा है। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर इत्यादि का केस एक साथ विभाग को भेजा गया था , उनको अनुमति मिल गई , लेकिन जूनियर डॉक्टर का मामला हल नहीं हुआ। अब इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा , उनकी कोशिश रहेगी की शुक्रवार से शुरू होने वाली जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को समाप्त कराया जाये। अब देखना है कि शुक्रवार से हड़ताल शुरू होगी या फिर नाराज डॉक्टर को मना लिया जायेगा।
बाइट ;- डॉक्टर यामिनी निदेशक नल्हड मेडिकल कालेज
बाइट ;- डॉक्टर संजीव जूनियर डॉक्टर
बाइट ;- डॉक्टर सोफिया
बाइट;- डॉक्टर इरफ़ान
बाइट ;- डॉक्टर शशिकांत
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
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