नूंह: भारत की अध्यक्षता में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में नूंह का हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजियम भी अपनी प्रस्तुति देगा. मार्च महीने में गुरुग्राम में प्रस्तावित जी-20 शिखर सम्मेलन टीम द्वारा नूंह तावडू उपमण्डल के बिलासपुर रोड पर स्थित हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजियम को सूची में शामिल किया गया है. देश के एकमात्र परिवहन म्यूजियम का सम्मेलन में प्राचीन परिवहन साधनों की संस्कृति और विरासत का प्रस्तुतीकरण होगा.
हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजियम के संस्थापक एवं ट्रस्टी तरुण ठकराल ने बताया कि भारत की अध्यक्षता में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन की कुछ बैठकें गुरुग्राम में होंगी. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री, हेरिटेज पर्यटन व सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर सम्मेलन में राज्य की संस्कृति और विरासत से परिचय करवाया जाएग. इसी सूची में देश के एकमात्र हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजियम को भी शामिल किया गया है.
विभिन्न देशों से आने वाले मेहमानों को प्राचीन परिवहन साधनों की संस्कृति और विरासत से अवगत कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि जी-20 शिखर सम्मेलन टीम द्वारा सूची में सुल्तानपुर बर्ड सेंचुरी और सूरजकुंड मेला फरीदाबाद को शामिल होने के बाद विभागीय अधिकारियों ने ट्रांसपोर्ट म्यूजियम का भी प्रस्ताव रखा था. जी-20 देशों के राजदूतों को राज्यों की समृद्ध विरासत और संस्कृति संबंधित अवगत कराने का उद्देश्य पहले से ही सूची में शामिल है.
बता दें कि, आगामी 1 से 4 मार्च तक गुरुग्राम में जी-20 शिखर सम्मेलन प्रस्तावित है. विभिन्न देशों के शिष्टमंडल का हरियाणा में आगमन पर राज्य की संस्कृति और विरासत से परिचय कराया जाएगा. इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट म्यूजियम की भी प्राचीन परिवहन सांस्कृतिक विरासत की झलकियों के साथ-साथ विस्तारित जानकारी साझा की जाएगी. गौर रहे कि देश के पिछड़े जिलों में शामिल नूंह तावडू उपमंडल के बिलासपुर मार्ग पर करीब 90 हजार वर्ग फीट में यह म्यूजियम स्थित है.
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यह देश का ऐसा एकलौता म्यूजियम में जहां पर आपको विंटेज कारें, रेल गाड़ियां, पालकियां, बसें, दो पहिया वाहन, ट्राम और खिलौने इत्यादि देखने को मिलते हैं. म्यूजियम में परिवहन के विभिन्न नमूनों को बहुत ही आकर्षक और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है. इस म्यूजियम का शुभारंभ वर्ष 2013 में किया गया था. यहां पर भारी मात्रा में देश-विदेश से पर्यटक प्राचीन परिवहन विरासत के पहलुओं को जानने के लिए आते रहते हैं. संस्थापक तरुण ठकराल के मुताबिक म्यूजियम का निर्माण करने का मुख्य उद्देश्य आम लोगों को प्राचीन समय से चले आ रहे परिवहन के प्रमुख संसाधनों से रूबरू कराना है.
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