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11 सौ बेटियों के लिए स्कूल में सिर्फ 4 कमरे, अध्यापक भी पूरे नहीं, ऐसे कैसे पढ़ेंगी बेटियां?

साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया था. नूंह के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय में ये नारा दम तोड़ता नजर आ रहा है. देखें रिपोर्ट.

Government Secondary School in Nuh
1100 बेटियों पर मात्र 4 कमरे, ऐसे में बेटियां कैसे पढ़ेंगी और बढ़ेंगी
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Published : Mar 19, 2022, 6:31 PM IST

Updated : Mar 19, 2022, 7:00 PM IST

नूंह: साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया था. जिसके बाद 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का शुभारंभ किया गया था. इस योजना का मकसद था कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना और बेटियों को शिक्षित बनाना था. इसके तहत जिले में कई कार्यक्रम भी चलाये गए. यह कार्यक्रम धरातल में कितने कामयाब हुए. इसको जांचने के ईटीवी भारत की टीम ने नूंह मुख्यालय शहर में स्थित (Government Secondary School in Nuh) राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय का जायजा लिया.

बेटी बचाने-बेटी पढ़ाने का नारा देने वाली भाजपा सरकार के नारे के अलावा समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए मेवात के लोगों ने अपनी बेटियों को शिक्षित करना शुरू कर दिया है. जिससे बेटियां भी परिवार का नाम रोशन कर सके. नूंह मुख्यालय शहर में स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय (Government Senior Secondary Girls School in nuh) में आसपास के गांव और शहर की लड़कियां अच्छे भविष्य के लिए स्कूल जाने लगी है.

11 सौ बेटियों के लिए स्कूल में सिर्फ 4 कमरें, अध्यापक भी पूरे नहीं, ऐसे कैसे पढ़ेंगी बेटियां?

लेकिन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय में छत ना होने के कारण बच्चों को खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढाई करनी पड़ रही है. वहीं विद्यालय में भारी संख्या में बच्चें होने के बावजूद पढ़ाने वाले टीचरों की कमी देखने को मिल रही है. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय में मात्र 8 कमरे हैं. चार कमरें स्कूल के एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के है. वहीं बाकी के चार कमरों में करीब 1100 से लड़किया पढ़ाई करती है.

ये भी पढ़ें-करनाल के सरकारी अस्पताल में तोड़फोड़, हमलावरों ने पुलिसकर्मियों के साथ भी की मारपीट

जिस कारण से लड़कियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल के लेक्चरर दिनेश कुमार ने बताया कि विद्यालय छठावीं से बारहवीं तक का है और करीब विद्यालय 1100 लड़कियां शिक्षा ले रही है. स्कूल में कुल 8 कमरे हैं. उन कमरों में प्रिंसिपल रूम ,मिड डे मिल ,साइंसलेब ,कम्प्यूटर रूम बनाया गया है. वहीं चार कमरों में लड़कियां पढ़ाई कर पाती है और बाकी के बचे बच्चें खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने में मजबूर है. कई बार अधिकारियों को स्कूल की समस्या को लेकर रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.

ये भी पढ़ें- एचटेट अभ्यर्थियों को दिया गया बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन का अंतिम अवसर, जानें पूरी प्रक्रिया

लेकिन अब तक कोई करवाई नहीं की गयी है. जिसकी वजह से लड़कियों को पढ़ाई करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं छात्राओं का कहना है कि स्कूल में कमरे ना होने के सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले पढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं विधालय में टीचरों की भारी कमी है. टीचर ना होने के कारण कई बार तो क्लासेज लगाती ही नहीं है. सरकार जल्द से जल्द इन समस्या का समाधान करे.

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नूंह: साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया था. जिसके बाद 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का शुभारंभ किया गया था. इस योजना का मकसद था कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना और बेटियों को शिक्षित बनाना था. इसके तहत जिले में कई कार्यक्रम भी चलाये गए. यह कार्यक्रम धरातल में कितने कामयाब हुए. इसको जांचने के ईटीवी भारत की टीम ने नूंह मुख्यालय शहर में स्थित (Government Secondary School in Nuh) राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय का जायजा लिया.

बेटी बचाने-बेटी पढ़ाने का नारा देने वाली भाजपा सरकार के नारे के अलावा समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए मेवात के लोगों ने अपनी बेटियों को शिक्षित करना शुरू कर दिया है. जिससे बेटियां भी परिवार का नाम रोशन कर सके. नूंह मुख्यालय शहर में स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय (Government Senior Secondary Girls School in nuh) में आसपास के गांव और शहर की लड़कियां अच्छे भविष्य के लिए स्कूल जाने लगी है.

11 सौ बेटियों के लिए स्कूल में सिर्फ 4 कमरें, अध्यापक भी पूरे नहीं, ऐसे कैसे पढ़ेंगी बेटियां?

लेकिन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय में छत ना होने के कारण बच्चों को खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढाई करनी पड़ रही है. वहीं विद्यालय में भारी संख्या में बच्चें होने के बावजूद पढ़ाने वाले टीचरों की कमी देखने को मिल रही है. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय में मात्र 8 कमरे हैं. चार कमरें स्कूल के एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के है. वहीं बाकी के चार कमरों में करीब 1100 से लड़किया पढ़ाई करती है.

ये भी पढ़ें-करनाल के सरकारी अस्पताल में तोड़फोड़, हमलावरों ने पुलिसकर्मियों के साथ भी की मारपीट

जिस कारण से लड़कियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल के लेक्चरर दिनेश कुमार ने बताया कि विद्यालय छठावीं से बारहवीं तक का है और करीब विद्यालय 1100 लड़कियां शिक्षा ले रही है. स्कूल में कुल 8 कमरे हैं. उन कमरों में प्रिंसिपल रूम ,मिड डे मिल ,साइंसलेब ,कम्प्यूटर रूम बनाया गया है. वहीं चार कमरों में लड़कियां पढ़ाई कर पाती है और बाकी के बचे बच्चें खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने में मजबूर है. कई बार अधिकारियों को स्कूल की समस्या को लेकर रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.

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लेकिन अब तक कोई करवाई नहीं की गयी है. जिसकी वजह से लड़कियों को पढ़ाई करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं छात्राओं का कहना है कि स्कूल में कमरे ना होने के सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले पढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं विधालय में टीचरों की भारी कमी है. टीचर ना होने के कारण कई बार तो क्लासेज लगाती ही नहीं है. सरकार जल्द से जल्द इन समस्या का समाधान करे.

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Last Updated : Mar 19, 2022, 7:00 PM IST
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