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नूंह: अधूरा स्टाफ और अधूरी व्यवस्था दमकल विभाग कैसे बुझाएगा आग - fire station news

नूंह जिले में फायर स्टेशनों की भारी कमी है. न दमकल गाड़ियों का रख रखाव अच्छा है और न ही कोई मजबूत व्यवस्था. राज्य सरकार सूरत अग्निकांड के बाद सतर्क तो दिख रही है, लेकिन अभी भी पर्याप्त व्यवस्था न होने से मुश्किलें बरकरार हैं.

दमकल विभाग
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Published : May 30, 2019, 10:24 PM IST

नूंह: जिले की आबादी करीब 14 लाख है. जिले में नूंह, पुन्हाना, तावडू, फिरोजपुर झिरका शहर हैं. तो पिनगवां-नगीना जैसे कस्बों के अलावा बड़े गांव शामिल हैं. यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में बसती है. लेकिन फसलों से लेकर ईंधन और घरों में आग लगने के बाद संसाधन की कमी की वजह से आग बुझाने में कामयाबी कम ही मिल पाती है.

नूंह में आबादी के अनुसार नहीं है फायर स्टेशन
अगर बात की जाए परयाप्त फायर स्टेशनों की तो नूंह जिले का इसमें काफी बुरा हाल है. जिले की राजधानी कहे जाने वाली बड़कली चौका या नगीना में कोई भी दमकल सेंटर या दमकल गाड़ी मौजूद नहीं है. जहां दमकल सेंटर हैं जैसे की नूंह, तावडू, फिरोजपूर झिरका और पून्हाना तो इनके बीच की दूरी 20 किलोमीटर से ज्यादा है और चिंता का विषय तो ये है कि गाड़ियों में पानी भरने के लिए विभाग के पास फायर इंटेंड नहीं है.

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फायर स्टेशनों में स्टाफ की भारी कमी
आग बुझाने के यंत्रों से लेकर स्टाफ का अभाव है. आबादी के हिसाब से दमकल की गाड़ियां और बाइक कम हैं. कुल आधा दर्जन नियमित कर्मचारी हैं, तो करीब चार दर्जन से अधिक डीसी रेट के कर्मचारी लगाए हुए हैं. यही कारण है कि हर साल दर्जनों लोग और मवेशियों की जान चली जाती है.

बीते साल तंग गलियों में आग बुझाने के लिए दो बाइक दमकल विभाग ने नूंह में भेजी थीं लेकिन इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं. जिले में प्रतिदिन कोई न कोई आग की घटना जरूर होती है.

हरियाणा सरकार सतर्क पर पर्याप्त नहीं है व्यवस्था
हाल ही में हुए सूरत अग्निकांड के बाद अब प्रदेश सरकार सतर्क दिखाई पड़ती है. बढ़ती आबादी, रास्तों और बाजारों में बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए दमकल विभाग ने ऐसे इलाकों में आग से होने वाली भारी तबाही को रोकने के लिए सभी सुविधाओं से लैस बाइक खरीद कर दमकल केंद्रों पर भेज दी हैं. सरकार अग्निशमन सुरक्षा को लेकर सतर्क तो दिखाई पड़ रही है, लेकिन 14 लाख की आबादी वाले नूंह में इतनी कम व्यव्स्था ऊंट के मुंह में जीरे जैसी बात होगी.

नूंह: जिले की आबादी करीब 14 लाख है. जिले में नूंह, पुन्हाना, तावडू, फिरोजपुर झिरका शहर हैं. तो पिनगवां-नगीना जैसे कस्बों के अलावा बड़े गांव शामिल हैं. यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में बसती है. लेकिन फसलों से लेकर ईंधन और घरों में आग लगने के बाद संसाधन की कमी की वजह से आग बुझाने में कामयाबी कम ही मिल पाती है.

नूंह में आबादी के अनुसार नहीं है फायर स्टेशन
अगर बात की जाए परयाप्त फायर स्टेशनों की तो नूंह जिले का इसमें काफी बुरा हाल है. जिले की राजधानी कहे जाने वाली बड़कली चौका या नगीना में कोई भी दमकल सेंटर या दमकल गाड़ी मौजूद नहीं है. जहां दमकल सेंटर हैं जैसे की नूंह, तावडू, फिरोजपूर झिरका और पून्हाना तो इनके बीच की दूरी 20 किलोमीटर से ज्यादा है और चिंता का विषय तो ये है कि गाड़ियों में पानी भरने के लिए विभाग के पास फायर इंटेंड नहीं है.

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फायर स्टेशनों में स्टाफ की भारी कमी
आग बुझाने के यंत्रों से लेकर स्टाफ का अभाव है. आबादी के हिसाब से दमकल की गाड़ियां और बाइक कम हैं. कुल आधा दर्जन नियमित कर्मचारी हैं, तो करीब चार दर्जन से अधिक डीसी रेट के कर्मचारी लगाए हुए हैं. यही कारण है कि हर साल दर्जनों लोग और मवेशियों की जान चली जाती है.

बीते साल तंग गलियों में आग बुझाने के लिए दो बाइक दमकल विभाग ने नूंह में भेजी थीं लेकिन इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं. जिले में प्रतिदिन कोई न कोई आग की घटना जरूर होती है.

हरियाणा सरकार सतर्क पर पर्याप्त नहीं है व्यवस्था
हाल ही में हुए सूरत अग्निकांड के बाद अब प्रदेश सरकार सतर्क दिखाई पड़ती है. बढ़ती आबादी, रास्तों और बाजारों में बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए दमकल विभाग ने ऐसे इलाकों में आग से होने वाली भारी तबाही को रोकने के लिए सभी सुविधाओं से लैस बाइक खरीद कर दमकल केंद्रों पर भेज दी हैं. सरकार अग्निशमन सुरक्षा को लेकर सतर्क तो दिखाई पड़ रही है, लेकिन 14 लाख की आबादी वाले नूंह में इतनी कम व्यव्स्था ऊंट के मुंह में जीरे जैसी बात होगी.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात

स्टोरी ;- दमकल विभाग आग की घटनाओं पर काबू पाने को कितना तैयार

नूंह जिले की आबादी करीब 14 लाख है। जिले में नूंह , पुन्हाना , तावडू , फिरोजपुर झिरका शहर हैं , तो पिनगवां - नगीना जैसे कस्बों के अलावा बड़े गांव शामिल हैं। ज्यादातर आबादी गांवों में बस्ती है , लेकिन फसलों से लेकर ईंधन तथा घरों में आग लगने के बाद संसाधन की कमी की वजह से कामयाबी कम ही मिल पाती है। नूंह जिले में राजधानी कहलाने वाली बड़कली चौक या नगीना में कोई दमकल सेंटर या दमकल गाड़ी नहीं है। जहां दमकल सेंटर नूंह , तावडू , फिरोजपुर झिरका , पुन्हाना में मौजूद हैं। उनमें आपस में दूरी करीब 20 किलोमीटर है। गाड़ियों में पानी भरने के लिए विभाग के पास फायर इंडेंट नहीं है। खरीद कर पानी करीब 12 किलोमीटर से गाड़ियां भरकर लाती हैं। आग बुझाने के यंत्रों से लेकर स्टाफ का घोर अभाव है। आबादी के हिसाब से दमकल गाड़ी , बाइक कम हैं। कुल आधा दर्जन नियमित कर्मचारी हैं , तो करीब चार दर्जन से अधिक डीसी रेट के कर्मचारी लगाए हुए हैं। यही कारण है कि हर साल दर्जनों लोगों - मवेशियों की जान चली जाती है , तो फसलों अलावा लाखों रुपये का नुकसान इलाके के लोगों को होता है। सरकारी मदद आग से नुकसान की घटना के दस - दस वर्ष बाद भी नहीं मिलती। बीते साल तंग गलियों में आग बुझाने के लिए दो बाइक दमकल विभाग ने नूंह में भेजी , लेकिन इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। जिले में प्रतिदिन कोई न कोई आग की घटना जरूर होती है।
बढ़ती आबादी और रास्तों - बाजारों में बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए दमकल विभाग ने ऐसे इलाकों में आग से होने वाली भारी तबाही को रोकने के लिए सभी सुविधाओं से लैस बाइक खरीद कर दमकल केंद्रों पर भेज दी हैं। नूंह जिले के चार दमकल केंद्रों नूंह , तावडू , पुन्हाना , फिरोजपुर झिरका को एक - एक बाइक दे दी गई है। नई सवारी मिलने से दमकल कर्मियों से लेकर लोगों ने सरकार की इस मुहीम को कारगर बताते हुए ,इसकी सराहना की है।
सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक बाइक सभी संसाधनों से लैस है। सायरन , हेलमेट , दो सिलेंडर , दो कर्मचारियों के बैठने की सुविधा से लैस बाइक की कीमत 6 लाख रुपये के करीब बताई जा रही है। सिलेंडर में ए ट्रिपल एफ केमिकल भरा हुआ है , जो आग की लपटों से ऑक्सीजन को कम करके उन्हें उपर उठने से रोकने में मदद करती है। पानी के साथ मिलाकर इस केमिकल से झाग बनाकर इसे इस्तेमाल किया जाता है। इससे समय - धन की बचत न केवल दमकल विभाग को होगी बल्कि अब सूचना मिलते ही तुरंत दमकल कर्मी घटना स्थल पर पहुंच जाएंगे।
आपको बता दें कि नूंह जिले में पहले सभी दमकल केंदों पर खटारा गाड़ियां थी। जिन्हें खड़ी करने के लिए भी विभाग के पास पुख्ता इंतजाम नहीं थे। गाड़ियों को गंतव्य तक पहुंचाने में समय और धन की बर्बादी होती थी। साथ ही कई कर्मचारी गाड़ी पर आग पर काबू पाने के लिए निकलते थे। आग की घटनाओं पर बाइक गाड़ियों से ज्यादा कारगर साबित होगी। इतना जरूर है कि करीब 14 लाख की आबादी वाले नूंह जिले में चार बाइक कम हैं। लोगों ने जिले के दमकल केंद्र को कुछ और बाइक भेजने की गुहार लगाई है।
बाइट;- छतरू खान दमकल अधिकारी नूंह
बाइट;- ग्रामीण
बाइट;- कर्मचारी
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Body:संवाददाता नूंह मेवात

स्टोरी ;- दमकल विभाग आग की घटनाओं पर काबू पाने को कितना तैयार

नूंह जिले की आबादी करीब 14 लाख है। जिले में नूंह , पुन्हाना , तावडू , फिरोजपुर झिरका शहर हैं , तो पिनगवां - नगीना जैसे कस्बों के अलावा बड़े गांव शामिल हैं। ज्यादातर आबादी गांवों में बस्ती है , लेकिन फसलों से लेकर ईंधन तथा घरों में आग लगने के बाद संसाधन की कमी की वजह से कामयाबी कम ही मिल पाती है। नूंह जिले में राजधानी कहलाने वाली बड़कली चौक या नगीना में कोई दमकल सेंटर या दमकल गाड़ी नहीं है। जहां दमकल सेंटर नूंह , तावडू , फिरोजपुर झिरका , पुन्हाना में मौजूद हैं। उनमें आपस में दूरी करीब 20 किलोमीटर है। गाड़ियों में पानी भरने के लिए विभाग के पास फायर इंडेंट नहीं है। खरीद कर पानी करीब 12 किलोमीटर से गाड़ियां भरकर लाती हैं। आग बुझाने के यंत्रों से लेकर स्टाफ का घोर अभाव है। आबादी के हिसाब से दमकल गाड़ी , बाइक कम हैं। कुल आधा दर्जन नियमित कर्मचारी हैं , तो करीब चार दर्जन से अधिक डीसी रेट के कर्मचारी लगाए हुए हैं। यही कारण है कि हर साल दर्जनों लोगों - मवेशियों की जान चली जाती है , तो फसलों अलावा लाखों रुपये का नुकसान इलाके के लोगों को होता है। सरकारी मदद आग से नुकसान की घटना के दस - दस वर्ष बाद भी नहीं मिलती। बीते साल तंग गलियों में आग बुझाने के लिए दो बाइक दमकल विभाग ने नूंह में भेजी , लेकिन इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। जिले में प्रतिदिन कोई न कोई आग की घटना जरूर होती है।
बढ़ती आबादी और रास्तों - बाजारों में बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए दमकल विभाग ने ऐसे इलाकों में आग से होने वाली भारी तबाही को रोकने के लिए सभी सुविधाओं से लैस बाइक खरीद कर दमकल केंद्रों पर भेज दी हैं। नूंह जिले के चार दमकल केंद्रों नूंह , तावडू , पुन्हाना , फिरोजपुर झिरका को एक - एक बाइक दे दी गई है। नई सवारी मिलने से दमकल कर्मियों से लेकर लोगों ने सरकार की इस मुहीम को कारगर बताते हुए ,इसकी सराहना की है।
सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक बाइक सभी संसाधनों से लैस है। सायरन , हेलमेट , दो सिलेंडर , दो कर्मचारियों के बैठने की सुविधा से लैस बाइक की कीमत 6 लाख रुपये के करीब बताई जा रही है। सिलेंडर में ए ट्रिपल एफ केमिकल भरा हुआ है , जो आग की लपटों से ऑक्सीजन को कम करके उन्हें उपर उठने से रोकने में मदद करती है। पानी के साथ मिलाकर इस केमिकल से झाग बनाकर इसे इस्तेमाल किया जाता है। इससे समय - धन की बचत न केवल दमकल विभाग को होगी बल्कि अब सूचना मिलते ही तुरंत दमकल कर्मी घटना स्थल पर पहुंच जाएंगे।
आपको बता दें कि नूंह जिले में पहले सभी दमकल केंदों पर खटारा गाड़ियां थी। जिन्हें खड़ी करने के लिए भी विभाग के पास पुख्ता इंतजाम नहीं थे। गाड़ियों को गंतव्य तक पहुंचाने में समय और धन की बर्बादी होती थी। साथ ही कई कर्मचारी गाड़ी पर आग पर काबू पाने के लिए निकलते थे। आग की घटनाओं पर बाइक गाड़ियों से ज्यादा कारगर साबित होगी। इतना जरूर है कि करीब 14 लाख की आबादी वाले नूंह जिले में चार बाइक कम हैं। लोगों ने जिले के दमकल केंद्र को कुछ और बाइक भेजने की गुहार लगाई है।
बाइट;- छतरू खान दमकल अधिकारी नूंह
बाइट;- ग्रामीण
बाइट;- कर्मचारी
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात

स्टोरी ;- दमकल विभाग आग की घटनाओं पर काबू पाने को कितना तैयार

नूंह जिले की आबादी करीब 14 लाख है। जिले में नूंह , पुन्हाना , तावडू , फिरोजपुर झिरका शहर हैं , तो पिनगवां - नगीना जैसे कस्बों के अलावा बड़े गांव शामिल हैं। ज्यादातर आबादी गांवों में बस्ती है , लेकिन फसलों से लेकर ईंधन तथा घरों में आग लगने के बाद संसाधन की कमी की वजह से कामयाबी कम ही मिल पाती है। नूंह जिले में राजधानी कहलाने वाली बड़कली चौक या नगीना में कोई दमकल सेंटर या दमकल गाड़ी नहीं है। जहां दमकल सेंटर नूंह , तावडू , फिरोजपुर झिरका , पुन्हाना में मौजूद हैं। उनमें आपस में दूरी करीब 20 किलोमीटर है। गाड़ियों में पानी भरने के लिए विभाग के पास फायर इंडेंट नहीं है। खरीद कर पानी करीब 12 किलोमीटर से गाड़ियां भरकर लाती हैं। आग बुझाने के यंत्रों से लेकर स्टाफ का घोर अभाव है। आबादी के हिसाब से दमकल गाड़ी , बाइक कम हैं। कुल आधा दर्जन नियमित कर्मचारी हैं , तो करीब चार दर्जन से अधिक डीसी रेट के कर्मचारी लगाए हुए हैं। यही कारण है कि हर साल दर्जनों लोगों - मवेशियों की जान चली जाती है , तो फसलों अलावा लाखों रुपये का नुकसान इलाके के लोगों को होता है। सरकारी मदद आग से नुकसान की घटना के दस - दस वर्ष बाद भी नहीं मिलती। बीते साल तंग गलियों में आग बुझाने के लिए दो बाइक दमकल विभाग ने नूंह में भेजी , लेकिन इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। जिले में प्रतिदिन कोई न कोई आग की घटना जरूर होती है।
बढ़ती आबादी और रास्तों - बाजारों में बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए दमकल विभाग ने ऐसे इलाकों में आग से होने वाली भारी तबाही को रोकने के लिए सभी सुविधाओं से लैस बाइक खरीद कर दमकल केंद्रों पर भेज दी हैं। नूंह जिले के चार दमकल केंद्रों नूंह , तावडू , पुन्हाना , फिरोजपुर झिरका को एक - एक बाइक दे दी गई है। नई सवारी मिलने से दमकल कर्मियों से लेकर लोगों ने सरकार की इस मुहीम को कारगर बताते हुए ,इसकी सराहना की है।
सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक बाइक सभी संसाधनों से लैस है। सायरन , हेलमेट , दो सिलेंडर , दो कर्मचारियों के बैठने की सुविधा से लैस बाइक की कीमत 6 लाख रुपये के करीब बताई जा रही है। सिलेंडर में ए ट्रिपल एफ केमिकल भरा हुआ है , जो आग की लपटों से ऑक्सीजन को कम करके उन्हें उपर उठने से रोकने में मदद करती है। पानी के साथ मिलाकर इस केमिकल से झाग बनाकर इसे इस्तेमाल किया जाता है। इससे समय - धन की बचत न केवल दमकल विभाग को होगी बल्कि अब सूचना मिलते ही तुरंत दमकल कर्मी घटना स्थल पर पहुंच जाएंगे।
आपको बता दें कि नूंह जिले में पहले सभी दमकल केंदों पर खटारा गाड़ियां थी। जिन्हें खड़ी करने के लिए भी विभाग के पास पुख्ता इंतजाम नहीं थे। गाड़ियों को गंतव्य तक पहुंचाने में समय और धन की बर्बादी होती थी। साथ ही कई कर्मचारी गाड़ी पर आग पर काबू पाने के लिए निकलते थे। आग की घटनाओं पर बाइक गाड़ियों से ज्यादा कारगर साबित होगी। इतना जरूर है कि करीब 14 लाख की आबादी वाले नूंह जिले में चार बाइक कम हैं। लोगों ने जिले के दमकल केंद्र को कुछ और बाइक भेजने की गुहार लगाई है।
बाइट;- छतरू खान दमकल अधिकारी नूंह
बाइट;- ग्रामीण
बाइट;- कर्मचारी
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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