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नूंह: गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल बरोटा के बच्चों का निष्कासन रद्द - nuh news

नूंह के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बारोटा से निष्कासित किये गए 250 बच्चों का निष्कासन रद्द हो गया है. डीसी पंकज कुमार ने कहा है कि निष्कासित बच्चे अपने बरोटा स्कूल में ही पढ़ेंगे और अगर किसी ने गड़बड़ी की तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा. निष्कासित किए गए बच्चों में से 200 लड़के और 50 लड़कियां शामिल हैं. सभी बच्चे 9 से 12वीं के छात्र हैं.

बारोटा माध्यमिक विद्यालय के बच्चों का निष्कासन रद्द
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Published : Sep 13, 2019, 8:59 PM IST

नूंह: राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बारोटा में पढ़ने वाले पड़ोसी गांव उदाका के सैकड़ों बच्चे एक बार फिर से स्कूल जा सकेंगे. शिक्षा विभाग ने इन सभी बच्चों का नाम काट दिया था. जिसके कारण बच्चे स्कूल नहीं जा सकते थे. जिसके बाद स्कूली बच्चों के अभिवावक और एडवोकेट रमजान चौधरी जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले तो अधिकारियों ने इस संबंध में कोई भी कदम उठाने से साफ मना कर दिया. जिसके बाद अभिवावकों ने डीसी पंकज से मिलने के लिए गए. डीसी पंकज ने इस मामले पर कहा कि बच्चे सोमवार से अपने बारोटा स्कूल में ही पढ़ेंगे. अगर किसी ने गड़बड़ी की तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा.


क्या है मामला ?
7 सितंबर को स्कूल की एक छात्रा से छेड़छाड़ की घटना हुई जिसका आरोप एक विशेष समुदाय के लड़कों पर लगा. जिसके बाद बरोटा गांव के लोगों ने स्कूल प्रशासन से मामले पर कार्रवाई की मांग की. स्कूल प्रशासन ने बरोटा गांव के लोगों के विरोध के चलते कई बच्चों का नाम काट दिए.

बारोटा माध्यमिक विद्यालय के बच्चों का निष्कासन रद्द

इसे भी पढ़ें:गुरुग्राम में बच्चे स्कूल तक नहीं बल्कि बच्चों तक पहुंचा स्कूल, ऐसे संवर रहा भविष्य
नाम काटे जाने की खबर जब उदाका गांव के अभिभावकों को लगी तो वो भी विरोध करने स्कूल में आ धमके. जिसके बाद शिक्षा का मंदिर ईंट, पत्थरों और लाठियों की बौछार का गवाह बन गया. दोनों तरफ के कई लोगों को चोटें आई. रोजका मेव पुलिस ने लड़की पक्ष के लोगों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसके बावजूद बरोटा गांव के ग्रामीण स्कूल के गेट पर ताला जड़कर धरने पर बैठ गए. जिसके बाद शिक्षा विभाग के डीईओ सूरजमल के आदेश पर स्कूल के टीचर सहाबुद्दीन का तबादला दूसरे स्कूल में कर दिया साथ ही उनका नाम एफआईआर में जोड़ दिया गया. उसके बाद उदाका गांव के करीब 250 बच्चों का नाम काटकर स्कूल से बाहर कर दिया.


इसी संबंध में उदाका गांव के अभिभावक डीसी से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई. जिसके बाद डीसी ने आदेश दिया कि सभी बच्चे अपने पुराने स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण करेंगे. डीसी ने कहा कि पंचायत स्तर का मामला है तो उसे पंचायत स्तर पर हीं सुलझाने का प्रयास किया जाएगा. इसमें बच्चों के भविष्य पर दाव नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि अगर कोई इसमें व्यवधान उत्पन्न करेगा तो उसपर सख्त कार्रवाई करा जाएगा.

नूंह: राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बारोटा में पढ़ने वाले पड़ोसी गांव उदाका के सैकड़ों बच्चे एक बार फिर से स्कूल जा सकेंगे. शिक्षा विभाग ने इन सभी बच्चों का नाम काट दिया था. जिसके कारण बच्चे स्कूल नहीं जा सकते थे. जिसके बाद स्कूली बच्चों के अभिवावक और एडवोकेट रमजान चौधरी जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले तो अधिकारियों ने इस संबंध में कोई भी कदम उठाने से साफ मना कर दिया. जिसके बाद अभिवावकों ने डीसी पंकज से मिलने के लिए गए. डीसी पंकज ने इस मामले पर कहा कि बच्चे सोमवार से अपने बारोटा स्कूल में ही पढ़ेंगे. अगर किसी ने गड़बड़ी की तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा.


क्या है मामला ?
7 सितंबर को स्कूल की एक छात्रा से छेड़छाड़ की घटना हुई जिसका आरोप एक विशेष समुदाय के लड़कों पर लगा. जिसके बाद बरोटा गांव के लोगों ने स्कूल प्रशासन से मामले पर कार्रवाई की मांग की. स्कूल प्रशासन ने बरोटा गांव के लोगों के विरोध के चलते कई बच्चों का नाम काट दिए.

बारोटा माध्यमिक विद्यालय के बच्चों का निष्कासन रद्द

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नाम काटे जाने की खबर जब उदाका गांव के अभिभावकों को लगी तो वो भी विरोध करने स्कूल में आ धमके. जिसके बाद शिक्षा का मंदिर ईंट, पत्थरों और लाठियों की बौछार का गवाह बन गया. दोनों तरफ के कई लोगों को चोटें आई. रोजका मेव पुलिस ने लड़की पक्ष के लोगों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसके बावजूद बरोटा गांव के ग्रामीण स्कूल के गेट पर ताला जड़कर धरने पर बैठ गए. जिसके बाद शिक्षा विभाग के डीईओ सूरजमल के आदेश पर स्कूल के टीचर सहाबुद्दीन का तबादला दूसरे स्कूल में कर दिया साथ ही उनका नाम एफआईआर में जोड़ दिया गया. उसके बाद उदाका गांव के करीब 250 बच्चों का नाम काटकर स्कूल से बाहर कर दिया.


इसी संबंध में उदाका गांव के अभिभावक डीसी से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई. जिसके बाद डीसी ने आदेश दिया कि सभी बच्चे अपने पुराने स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण करेंगे. डीसी ने कहा कि पंचायत स्तर का मामला है तो उसे पंचायत स्तर पर हीं सुलझाने का प्रयास किया जाएगा. इसमें बच्चों के भविष्य पर दाव नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि अगर कोई इसमें व्यवधान उत्पन्न करेगा तो उसपर सख्त कार्रवाई करा जाएगा.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- उदाका गांव के 250 बच्चों को डीसी नूंह ने दी त्यौहार से बढ़कर ख़ुशी , अब नहीं कटेगा नाम
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बारोटा में पढ़ने वाले पडोसी गांव उदाका के सैकड़ों बच्चों की चहल - पहल का करीब दस दिन बाद स्कूल प्रांगण एक बार फिर ग्वाह बनने जा रहा है। शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमान के कारण जो बच्चे सप्ताह भर से नाम कटने और दूसरे स्कूल में भेजने से मायूस और परेशान थे। शुक्रवार को डीसी पंकज कुमार से मुलाकात के बाद उन्हें ईद - दीपावली जैसी ख़ुशी नसीब हुई। स्कूली बच्चों के अभिभावक अपने साथ मोहमदी बेगम और रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी को लेकर पहले शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले और जब उन्हें निराशा हाथ लगी तो उन्होंने दोपहर बाद डीसी नूंह से लघु सचिवालय स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। डीसी पंकज के कमरे से बाहर निकले बच्चों के चेहरे खिल उठे। डीसी पंकज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बच्चे सोमवार से अपने बारोटा स्कूल में ही जाएंगे। अगर किसी ने गड़बड़ की तो उससे सख्ती से निपटा जायेगा। बारोटा स्कूल प्रशासन ने जिन बच्चों के स्कूल आने पर रोक लगाई थी। उनकी संख्या करीब 250 थी। जिनमें करीब 50 लड़कियां शामिल हैं। सभी बच्चे 9 - 12 वीं कक्षा के छात्र हैं।
आपको बता दें कि गत 7 सितंबर को स्कूल की छात्रा से छेड़छाड़ का आरोप एक विशेष समुदाय के लड़कों पर लगा। स्कूल प्रशासन ने बारोटा गांव के लोगों के विरोध के चलते कई बच्चों के नाम काट दिए। नाम काटे जाने की खबर जब उदाका गांव के अभिभावकों को लगी तो शिक्षा का मंदिर ईंट , पत्थरों , लाठियों की बौछार का ग्वाह बन गया। कई लोगों को दोनों तरफ से चोट आई। रोजका मेव पुलिस ने लड़की पक्ष के लोगों की शिकायत पर न केवल एफआईआर दर्ज की बल्कि आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस सब के बावजूद भी बारोटा गांव के लोगों का मन नहीं भरा। ग्रामीण स्कूल के गेट पर गत सोमवार को ताला जड़कर बैठ गए। उसके दवाब में आकर शिक्षा विभाग के डीईओ सूरजमल के आदेश पर न केवल विशेष समुदाय के टीचर सहाबुद्दीन का तबादला दूसरे स्कूल में कर दिया गया। साथ ही उनका नाम एफआईआर में जोड़ने के अलावा उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए। हद तो तब हो गई जब लड़के - लड़कियों सहित करीब 250 बच्चों को स्कूल से बाहर कर दिया। सप्ताह भर से करीब 250 बच्चे अपने स्कूल नहीं जा पा रहे। बच्चों की आगामी 20 सितंबर से परीक्षा भी होनी है। दोपहर बाद इसी विवाद की वजह से बारोटा चौक पर लगे विशेष समुदाय के खोखे भी जेसीबी की मदद से फेंक दिए। बच्चों ने कहा कि परीक्षा सर पर हैं। उनकी सात दिन से पढाई नहीं हो पा रही। डीसी साहब ने सोमवार से स्कूल जाने का भरोसा दिलाया है और डीईओ नूंह को हिदायत भी दे दी है। रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी ने कहा कि जब कहीं से न्याय नहीं मिला तो आख़िरकार डीसी नूंह से मुलाकात के बाद बच्चों को स्कूल जाने का रास्ता साफ हुआ। उदाका गांव के करीब 250 बच्चे अब किसी नए स्कूल में नहीं बल्कि अपने पुराने स्कूल बारोटा में ही शिक्षा ग्रहण करेंगे। बारोटा गांव में लड़की छेड़छाड़ विवाद के बाद जो नजारा सप्ताह भर से स्कूल में था , अब सोमवार से उसमें पुरानी रौनक लौटने से इंकार नहीं किया जा सकता।
बाइट;- रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी
बाइट;- तसलीमा छात्रा
बाइट;- मुकेश छात्रा
बाइट;- पंकज कुमार डीसी नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- उदाका गांव के 250 बच्चों को डीसी नूंह ने दी त्यौहार से बढ़कर ख़ुशी , अब नहीं कटेगा नाम
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बारोटा में पढ़ने वाले पडोसी गांव उदाका के सैकड़ों बच्चों की चहल - पहल का करीब दस दिन बाद स्कूल प्रांगण एक बार फिर ग्वाह बनने जा रहा है। शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमान के कारण जो बच्चे सप्ताह भर से नाम कटने और दूसरे स्कूल में भेजने से मायूस और परेशान थे। शुक्रवार को डीसी पंकज कुमार से मुलाकात के बाद उन्हें ईद - दीपावली जैसी ख़ुशी नसीब हुई। स्कूली बच्चों के अभिभावक अपने साथ मोहमदी बेगम और रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी को लेकर पहले शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले और जब उन्हें निराशा हाथ लगी तो उन्होंने दोपहर बाद डीसी नूंह से लघु सचिवालय स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। डीसी पंकज के कमरे से बाहर निकले बच्चों के चेहरे खिल उठे। डीसी पंकज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बच्चे सोमवार से अपने बारोटा स्कूल में ही जाएंगे। अगर किसी ने गड़बड़ की तो उससे सख्ती से निपटा जायेगा। बारोटा स्कूल प्रशासन ने जिन बच्चों के स्कूल आने पर रोक लगाई थी। उनकी संख्या करीब 250 थी। जिनमें करीब 50 लड़कियां शामिल हैं। सभी बच्चे 9 - 12 वीं कक्षा के छात्र हैं।
आपको बता दें कि गत 7 सितंबर को स्कूल की छात्रा से छेड़छाड़ का आरोप एक विशेष समुदाय के लड़कों पर लगा। स्कूल प्रशासन ने बारोटा गांव के लोगों के विरोध के चलते कई बच्चों के नाम काट दिए। नाम काटे जाने की खबर जब उदाका गांव के अभिभावकों को लगी तो शिक्षा का मंदिर ईंट , पत्थरों , लाठियों की बौछार का ग्वाह बन गया। कई लोगों को दोनों तरफ से चोट आई। रोजका मेव पुलिस ने लड़की पक्ष के लोगों की शिकायत पर न केवल एफआईआर दर्ज की बल्कि आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस सब के बावजूद भी बारोटा गांव के लोगों का मन नहीं भरा। ग्रामीण स्कूल के गेट पर गत सोमवार को ताला जड़कर बैठ गए। उसके दवाब में आकर शिक्षा विभाग के डीईओ सूरजमल के आदेश पर न केवल विशेष समुदाय के टीचर सहाबुद्दीन का तबादला दूसरे स्कूल में कर दिया गया। साथ ही उनका नाम एफआईआर में जोड़ने के अलावा उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए। हद तो तब हो गई जब लड़के - लड़कियों सहित करीब 250 बच्चों को स्कूल से बाहर कर दिया। सप्ताह भर से करीब 250 बच्चे अपने स्कूल नहीं जा पा रहे। बच्चों की आगामी 20 सितंबर से परीक्षा भी होनी है। दोपहर बाद इसी विवाद की वजह से बारोटा चौक पर लगे विशेष समुदाय के खोखे भी जेसीबी की मदद से फेंक दिए। बच्चों ने कहा कि परीक्षा सर पर हैं। उनकी सात दिन से पढाई नहीं हो पा रही। डीसी साहब ने सोमवार से स्कूल जाने का भरोसा दिलाया है और डीईओ नूंह को हिदायत भी दे दी है। रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी ने कहा कि जब कहीं से न्याय नहीं मिला तो आख़िरकार डीसी नूंह से मुलाकात के बाद बच्चों को स्कूल जाने का रास्ता साफ हुआ। उदाका गांव के करीब 250 बच्चे अब किसी नए स्कूल में नहीं बल्कि अपने पुराने स्कूल बारोटा में ही शिक्षा ग्रहण करेंगे। बारोटा गांव में लड़की छेड़छाड़ विवाद के बाद जो नजारा सप्ताह भर से स्कूल में था , अब सोमवार से उसमें पुरानी रौनक लौटने से इंकार नहीं किया जा सकता।
बाइट;- रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी
बाइट;- तसलीमा छात्रा
बाइट;- मुकेश छात्रा
बाइट;- पंकज कुमार डीसी नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- उदाका गांव के 250 बच्चों को डीसी नूंह ने दी त्यौहार से बढ़कर ख़ुशी , अब नहीं कटेगा नाम
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बारोटा में पढ़ने वाले पडोसी गांव उदाका के सैकड़ों बच्चों की चहल - पहल का करीब दस दिन बाद स्कूल प्रांगण एक बार फिर ग्वाह बनने जा रहा है। शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमान के कारण जो बच्चे सप्ताह भर से नाम कटने और दूसरे स्कूल में भेजने से मायूस और परेशान थे। शुक्रवार को डीसी पंकज कुमार से मुलाकात के बाद उन्हें ईद - दीपावली जैसी ख़ुशी नसीब हुई। स्कूली बच्चों के अभिभावक अपने साथ मोहमदी बेगम और रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी को लेकर पहले शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले और जब उन्हें निराशा हाथ लगी तो उन्होंने दोपहर बाद डीसी नूंह से लघु सचिवालय स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। डीसी पंकज के कमरे से बाहर निकले बच्चों के चेहरे खिल उठे। डीसी पंकज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बच्चे सोमवार से अपने बारोटा स्कूल में ही जाएंगे। अगर किसी ने गड़बड़ की तो उससे सख्ती से निपटा जायेगा। बारोटा स्कूल प्रशासन ने जिन बच्चों के स्कूल आने पर रोक लगाई थी। उनकी संख्या करीब 250 थी। जिनमें करीब 50 लड़कियां शामिल हैं। सभी बच्चे 9 - 12 वीं कक्षा के छात्र हैं।
आपको बता दें कि गत 7 सितंबर को स्कूल की छात्रा से छेड़छाड़ का आरोप एक विशेष समुदाय के लड़कों पर लगा। स्कूल प्रशासन ने बारोटा गांव के लोगों के विरोध के चलते कई बच्चों के नाम काट दिए। नाम काटे जाने की खबर जब उदाका गांव के अभिभावकों को लगी तो शिक्षा का मंदिर ईंट , पत्थरों , लाठियों की बौछार का ग्वाह बन गया। कई लोगों को दोनों तरफ से चोट आई। रोजका मेव पुलिस ने लड़की पक्ष के लोगों की शिकायत पर न केवल एफआईआर दर्ज की बल्कि आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस सब के बावजूद भी बारोटा गांव के लोगों का मन नहीं भरा। ग्रामीण स्कूल के गेट पर गत सोमवार को ताला जड़कर बैठ गए। उसके दवाब में आकर शिक्षा विभाग के डीईओ सूरजमल के आदेश पर न केवल विशेष समुदाय के टीचर सहाबुद्दीन का तबादला दूसरे स्कूल में कर दिया गया। साथ ही उनका नाम एफआईआर में जोड़ने के अलावा उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए। हद तो तब हो गई जब लड़के - लड़कियों सहित करीब 250 बच्चों को स्कूल से बाहर कर दिया। सप्ताह भर से करीब 250 बच्चे अपने स्कूल नहीं जा पा रहे। बच्चों की आगामी 20 सितंबर से परीक्षा भी होनी है। दोपहर बाद इसी विवाद की वजह से बारोटा चौक पर लगे विशेष समुदाय के खोखे भी जेसीबी की मदद से फेंक दिए। बच्चों ने कहा कि परीक्षा सर पर हैं। उनकी सात दिन से पढाई नहीं हो पा रही। डीसी साहब ने सोमवार से स्कूल जाने का भरोसा दिलाया है और डीईओ नूंह को हिदायत भी दे दी है। रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी ने कहा कि जब कहीं से न्याय नहीं मिला तो आख़िरकार डीसी नूंह से मुलाकात के बाद बच्चों को स्कूल जाने का रास्ता साफ हुआ। उदाका गांव के करीब 250 बच्चे अब किसी नए स्कूल में नहीं बल्कि अपने पुराने स्कूल बारोटा में ही शिक्षा ग्रहण करेंगे। बारोटा गांव में लड़की छेड़छाड़ विवाद के बाद जो नजारा सप्ताह भर से स्कूल में था , अब सोमवार से उसमें पुरानी रौनक लौटने से इंकार नहीं किया जा सकता।
बाइट;- रमजान चौधरी एडवोकेट समाजसेवी
बाइट;- तसलीमा छात्रा
बाइट;- मुकेश छात्रा
बाइट;- पंकज कुमार डीसी नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात

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