नूंह: राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बारोटा में पढ़ने वाले पड़ोसी गांव उदाका के सैकड़ों बच्चे एक बार फिर से स्कूल जा सकेंगे. शिक्षा विभाग ने इन सभी बच्चों का नाम काट दिया था. जिसके कारण बच्चे स्कूल नहीं जा सकते थे. जिसके बाद स्कूली बच्चों के अभिवावक और एडवोकेट रमजान चौधरी जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले तो अधिकारियों ने इस संबंध में कोई भी कदम उठाने से साफ मना कर दिया. जिसके बाद अभिवावकों ने डीसी पंकज से मिलने के लिए गए. डीसी पंकज ने इस मामले पर कहा कि बच्चे सोमवार से अपने बारोटा स्कूल में ही पढ़ेंगे. अगर किसी ने गड़बड़ी की तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा.
क्या है मामला ?
7 सितंबर को स्कूल की एक छात्रा से छेड़छाड़ की घटना हुई जिसका आरोप एक विशेष समुदाय के लड़कों पर लगा. जिसके बाद बरोटा गांव के लोगों ने स्कूल प्रशासन से मामले पर कार्रवाई की मांग की. स्कूल प्रशासन ने बरोटा गांव के लोगों के विरोध के चलते कई बच्चों का नाम काट दिए.
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नाम काटे जाने की खबर जब उदाका गांव के अभिभावकों को लगी तो वो भी विरोध करने स्कूल में आ धमके. जिसके बाद शिक्षा का मंदिर ईंट, पत्थरों और लाठियों की बौछार का गवाह बन गया. दोनों तरफ के कई लोगों को चोटें आई. रोजका मेव पुलिस ने लड़की पक्ष के लोगों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसके बावजूद बरोटा गांव के ग्रामीण स्कूल के गेट पर ताला जड़कर धरने पर बैठ गए. जिसके बाद शिक्षा विभाग के डीईओ सूरजमल के आदेश पर स्कूल के टीचर सहाबुद्दीन का तबादला दूसरे स्कूल में कर दिया साथ ही उनका नाम एफआईआर में जोड़ दिया गया. उसके बाद उदाका गांव के करीब 250 बच्चों का नाम काटकर स्कूल से बाहर कर दिया.
इसी संबंध में उदाका गांव के अभिभावक डीसी से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई. जिसके बाद डीसी ने आदेश दिया कि सभी बच्चे अपने पुराने स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण करेंगे. डीसी ने कहा कि पंचायत स्तर का मामला है तो उसे पंचायत स्तर पर हीं सुलझाने का प्रयास किया जाएगा. इसमें बच्चों के भविष्य पर दाव नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि अगर कोई इसमें व्यवधान उत्पन्न करेगा तो उसपर सख्त कार्रवाई करा जाएगा.