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लॉकडाउन की वजह से क्रेशर मशीनों पर पसरा सन्नाटा

क्रेशर बंद होने से नूंह जिले में ही नहीं बल्कि एनसीआर के जिलों में बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई नहीं हो पा रही है. अगर थोड़ा बहुत क्रेशर-रोड़ी मशीन पर पड़ी हुई है, तो वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है.

effect of lockdown on crusher machine
लॉकडाउन की वजह से क्रेशर मशीनों पर पसरा सन्नाटा
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Published : Mar 28, 2020, 7:37 PM IST

नूंह: राजस्थान-हरियाणा की सीमा पर अरावली पर्वत से लगते गांव में लंबे समय से चल रहे क्रेशरों पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. लॉकडाउन की वजह से क्रेशर पर पत्थरों की गाड़ियां नहीं आ रही. जिसके चलते मजदूर खाली रहने लगे हैं.इसके अलावा मजदूर लॉकडाउन की वजह से काम नहीं कर पा रहे हैं और जो मजदूर दूरदराज इलाकों से आकर यहां मजदूरी करते थे वो भी अब घर लौट चुके हैं.

लॉकडाउन की वजह से क्रेशर मशीनों पर पसरा सन्नाटा

क्रेशर बंद होने से नूंह जिले में ही नहीं बल्कि एनसीआर के जिलों में बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई नहीं हो पा रही है. पत्थरों की पिसाई क्रेशर बंद होने की वजह से नहीं हो पा रही है. जिससे रोड़ी, पत्थर की सप्लाई नहीं हो रही है. अगर थोड़ा बहुत क्रेशर-रोड़ी मशीन पर पड़ी हुई है, तो वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है.

ये भी पढ़िए: हरियाणा के निजी स्कूलों में फीस जमा कराने को लेकर लगाई गई रोक

इससे मिस्त्री और बेलदारी करने वाले मजदूरों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है . अभी लॉकडाउन को 4 दिन हुए हैं. अभी भी 17 दिन तक और लॉकडाउन रहेगा. इसके बाद भी अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो लॉकडाउन की सीमा बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता. देश की अर्थव्यवस्था कोरोना की महामारी से पूरी तरह से डामाडोल हो गई है.

नूंह: राजस्थान-हरियाणा की सीमा पर अरावली पर्वत से लगते गांव में लंबे समय से चल रहे क्रेशरों पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. लॉकडाउन की वजह से क्रेशर पर पत्थरों की गाड़ियां नहीं आ रही. जिसके चलते मजदूर खाली रहने लगे हैं.इसके अलावा मजदूर लॉकडाउन की वजह से काम नहीं कर पा रहे हैं और जो मजदूर दूरदराज इलाकों से आकर यहां मजदूरी करते थे वो भी अब घर लौट चुके हैं.

लॉकडाउन की वजह से क्रेशर मशीनों पर पसरा सन्नाटा

क्रेशर बंद होने से नूंह जिले में ही नहीं बल्कि एनसीआर के जिलों में बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई नहीं हो पा रही है. पत्थरों की पिसाई क्रेशर बंद होने की वजह से नहीं हो पा रही है. जिससे रोड़ी, पत्थर की सप्लाई नहीं हो रही है. अगर थोड़ा बहुत क्रेशर-रोड़ी मशीन पर पड़ी हुई है, तो वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है.

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इससे मिस्त्री और बेलदारी करने वाले मजदूरों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है . अभी लॉकडाउन को 4 दिन हुए हैं. अभी भी 17 दिन तक और लॉकडाउन रहेगा. इसके बाद भी अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो लॉकडाउन की सीमा बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता. देश की अर्थव्यवस्था कोरोना की महामारी से पूरी तरह से डामाडोल हो गई है.

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