नूंह: हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को हुई हिंसा के बाद मनोहर सरकार शहर में बुलडोजर कार्रवाई कर रही है. प्रशासन का पीला पंजा चलने की वजह से लोग काफी परेशान हैं. कुछ लोगों ने मीडिया कैमरे के सामने अपना दर्द और सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है. साथ ही दुकानदारों ने सरकार से मांग की है कि जो उनका नुकसान हुआ है सरकार उसकी भरपाई करे. स्थानीय लोगों का कहना है कि मकानों और दुकानों में तोड़फोड़ की जा रही है.
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ईटीवी भारत की टीम से बुजुर्ग महिला बतन और जरीना ने बातचीत की. उन्होंने कहा कि अपने जीवन में आज से पहले इस तरह का झगड़ा न ही देखा था और न ही सुना था. उन्होंने कहा कि जमीन बेचकर दुकान खुलवाई थी. ताकि बेरोजगारी में भी अपना गुजारा किया जा सके. लेकिन इस दंगे के बाद उनकी सारी मेहनत को जमींदोज कर दिया.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां पर सभी समुदायों की दुकानों को जमींदोज किया गया है. हर एक दुकान पर प्रशासन का बुलडोजर चला है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बुलडोजर से सब कुछ तहस-नहस कर दिया है. इतनी ज्यादा महंगाई है क्या करें और क्या अपने परिवार को खिलाएं. उन्होंने कहा कि दुकान में रखा लाखों का सामान मलबे में दब गया है.
कुछ लोगों का कहना था कि सुनील मोटर्स बाइक के गोदाम पर लूट व आगजनी की गई. उसका चौकीदार उस दिन भी हारून खान था और आज भी हारून खान है. हारून खान ने बताया कि घटना के दिन भीड़ को देखकर वह ताला लगाकर चला गया था. लेकिन उन्होंने इस तरह की तस्वीरें इससे पहले इलाके में नहीं देखी थी. कुल मिलाकर नूंह में तोड़फोड़ को लेकर लोगों में गुस्सा है तो नाराजगी भी साफ नजर आती है. आसपास के बाकी लोग भी डरे हुए हैं कहीं उनके घरों और दुकानों पर भी प्रशासन का पीला पंजा न चल जाए. लोगों का कहना है कि पिछले 4 दिनों से लगातार बुलडोजर चलाया जा रहा है.
नूंह जिले के अलग-अलग इलाकों में अब तक सैकड़ों दुकानों व मकानों आदि को तोड़ा जा चुका है और दर्जनों एकड़ सरकारी जमीन को कब्जे से मुक्त कराने का दावा किया जा रहा है. लोगों ने सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि जब सरकारी जमीन पर कब्जा हो रहा था, तब प्रशासन के अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोए हुए थे. आज सरकार को अतिक्रमण हटाने की याद आ रही है. लेकिन इन सबसे अलग जिला प्रशासन अधिकारी अब बुलडोजर कार्रवाई करने में पूरी तरह से व्यस्त नजर आ रहे हैं. एक के बाद एक मकानों व दुकानों पर पीला पंजा चल रहा है और सालों की मेहनत को चंद घंटों में जमींदोज किया जा रहा है.