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लाखों की लागत से बने सब सेंटर की हालत खस्ताहालत, आजतक नहीं हुआ कोई कर्मचारी भर्ती

कोटला गांव की आबादी तकरीबन 6 हजार है और लोगों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा या फिर नल्हड़ मेडिकल कालेज में करीब 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

सफेद हाथी बना कोटला हेल्थ सेंटर
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Published : Mar 24, 2019, 6:09 PM IST

नूंह: कोटला गांव में करीब सात साल पहले लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य विभाग के सब सेंटर में किसी कर्मचारी का पैर तक नहीं पड़ा है. कांग्रेस राज में सब सेंटर का उदघाटन तो कर दिया गया, लेकिन गांव वालों के लिए यह सिर्फ सफेद बनकर रह गया.

सफेद हाथी बना कोटला हेल्थ सेंटर

अरावली की तलहटी में बसे नूंह विधानसभा के ऐतिहासिक कोटला गांव में कांग्रेस सरकार में लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य विभाग के सब सेंटर में किसी कर्मचारी का पैर तक नहीं पड़ा है. वहीं डयूटी तो बहुत दूर की बात है. इस सब सेंटर से ग्रामीणों को कुछ लाभ नहीं मिल पाया.

ग्रामीण, कोटला

लेकिन कुछ शरारती तत्व और बच्चे इस लाखों की कीमत से बने भवन में शौच कर ओडीएफ अभियान की हवा निकाल रहे हैं.तस्वीरों में देख सकते हैं कि कमरों में दवाई, गोली, फर्नीचर की बजाय गंदगी की भरमार है. लोहे का गेट, जंगला, शीशे, दरवाजे, फर्श और दीवार देखरेख के अभाव में जर्जर हो रही है.

ग्रामीण, कोटला

इस गांव की आबादी तकरीबन 6 हजार है और लोगों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा या फिर नल्हड़ मेडिकल कालेज में तकरीबन 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. ग्रामीणों को आने-जाने के लिए अपने साधन के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी और स्टाफ की कमी से जिले के लोग काफी परेशान हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि महिलाओं को डिलिवरी के लिए 15 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाना पड़ता है. स्वास्थ्य सेवा दूर होने के कारण कई बार मौतें भी हो चुकी हैं.

नूंह: कोटला गांव में करीब सात साल पहले लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य विभाग के सब सेंटर में किसी कर्मचारी का पैर तक नहीं पड़ा है. कांग्रेस राज में सब सेंटर का उदघाटन तो कर दिया गया, लेकिन गांव वालों के लिए यह सिर्फ सफेद बनकर रह गया.

सफेद हाथी बना कोटला हेल्थ सेंटर

अरावली की तलहटी में बसे नूंह विधानसभा के ऐतिहासिक कोटला गांव में कांग्रेस सरकार में लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य विभाग के सब सेंटर में किसी कर्मचारी का पैर तक नहीं पड़ा है. वहीं डयूटी तो बहुत दूर की बात है. इस सब सेंटर से ग्रामीणों को कुछ लाभ नहीं मिल पाया.

ग्रामीण, कोटला

लेकिन कुछ शरारती तत्व और बच्चे इस लाखों की कीमत से बने भवन में शौच कर ओडीएफ अभियान की हवा निकाल रहे हैं.तस्वीरों में देख सकते हैं कि कमरों में दवाई, गोली, फर्नीचर की बजाय गंदगी की भरमार है. लोहे का गेट, जंगला, शीशे, दरवाजे, फर्श और दीवार देखरेख के अभाव में जर्जर हो रही है.

ग्रामीण, कोटला

इस गांव की आबादी तकरीबन 6 हजार है और लोगों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा या फिर नल्हड़ मेडिकल कालेज में तकरीबन 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. ग्रामीणों को आने-जाने के लिए अपने साधन के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी और स्टाफ की कमी से जिले के लोग काफी परेशान हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि महिलाओं को डिलिवरी के लिए 15 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाना पड़ता है. स्वास्थ्य सेवा दूर होने के कारण कई बार मौतें भी हो चुकी हैं.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात

स्टोरी :- सात साल से स्वास्थ्य विभाग का सब सेंटर खुद बीमार।

अरावली की तलहटी में बसे नूंह विधानसभा के ऐतिहासिक कोटला गांव में कांग्रेस सरकार में करीब सात साल पहले लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य विभाग के सब सेंटर में किसी कर्मचारी का पैर तक नहीं पड़ा है ,डयूटी तो बहुत दूर की बात है। सब सेंटर का उदघाटन तो कांग्रेस सरकार में कर दिया गया , लेकिन इससे ग्रामीणों को खास लाभ नहीं हुआ। हां इतना जरूर है कि कुछ शरारती तत्व व बच्चे इस लाखों की कीमत से बने भवन में शौच कर ओडीएफ अभियान की हवा निकाल रहे हैं। कमरों में दवाई , गोली , फर्नीचर की बजाय गंदगी की भरंमार है। लोहे का गेट , जंगला ,शीशे , दरवाजे , फर्श , दीवार देखरेख के अभाव में जर्जर हो रही है। गांव की आबादी तक़रीबन 6 हजार है। आसपास के गांव को भी इस सब सेंटर से लाभ देने की योजना थी , लेकिन आसपास के गांव तो दूर कोटला गांव के लोगों को भी यह सेंटर सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है। कोटला गांव में अरावली की चोटी से झरना आज भी बहता है ,तो फिरोजशाह कोटला ने भी इस गांव में मस्जिद और किला दोनों बनवाये थे। ऐतिहासिक गांव कोटला के लोगों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा या फिर नल्हड मेडिकल कालेज में तक़रीबन 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ग्रामीणों को आने - जाने के लिए अपने साधन के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी और स्टाफ की कमी से जिले के लोग खासे परेशान हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के बड़े - बड़े दावे कर रहे हों , लेकिन इस सब सेंटर की तस्वीरों को जरा ध्यान से देखना चाहिए , उसके बाद फिर सोच समझ कर नूंह जिले के कोटला और आसपास के गांवों के लोगों के लिए कोई पुख्ता भरोसा दिलाना चाहिए। ये तो सिर्फ एक सब सेंटर की कहानी है ,जिले में बहुत सारे करीब 50 से अधिक ऐसे सब सेंटर हैं ,जहां कर्मचारी ही नहीं हैं। लोग बेरोजगार घूम रहे हैं ,लेकिन हजारों पद खाली पड़े हुए हैं। सरकार झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाम लगाने की बात तो करती है ,लेकिन पहले अपने गिरेबान में भी झांककर देखना होगा कि लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने संसाधन उपलब्ध कराये हुए हैं या लोग मज़बूरी में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं और यही वजह है कि लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि कोटला सब सेंटर की सुध ली जाये , ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें।

बाइट;- शौकीन कोटला समाजसेवी।
बाइट ;- दीन मोहम्मद ग्रामीण।
बाइट ;-हाजी इसराइल खान ग्रामीण।
बाइट ;- मोहम्मद इसराईल खान ग्रामीण।

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Body:संवाददाता नूंह मेवात

स्टोरी :- सात साल से स्वास्थ्य विभाग का सब सेंटर खुद बीमार।

अरावली की तलहटी में बसे नूंह विधानसभा के ऐतिहासिक कोटला गांव में कांग्रेस सरकार में करीब सात साल पहले लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य विभाग के सब सेंटर में किसी कर्मचारी का पैर तक नहीं पड़ा है ,डयूटी तो बहुत दूर की बात है। सब सेंटर का उदघाटन तो कांग्रेस सरकार में कर दिया गया , लेकिन इससे ग्रामीणों को खास लाभ नहीं हुआ। हां इतना जरूर है कि कुछ शरारती तत्व व बच्चे इस लाखों की कीमत से बने भवन में शौच कर ओडीएफ अभियान की हवा निकाल रहे हैं। कमरों में दवाई , गोली , फर्नीचर की बजाय गंदगी की भरंमार है। लोहे का गेट , जंगला ,शीशे , दरवाजे , फर्श , दीवार देखरेख के अभाव में जर्जर हो रही है। गांव की आबादी तक़रीबन 6 हजार है। आसपास के गांव को भी इस सब सेंटर से लाभ देने की योजना थी , लेकिन आसपास के गांव तो दूर कोटला गांव के लोगों को भी यह सेंटर सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है। कोटला गांव में अरावली की चोटी से झरना आज भी बहता है ,तो फिरोजशाह कोटला ने भी इस गांव में मस्जिद और किला दोनों बनवाये थे। ऐतिहासिक गांव कोटला के लोगों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा या फिर नल्हड मेडिकल कालेज में तक़रीबन 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ग्रामीणों को आने - जाने के लिए अपने साधन के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी और स्टाफ की कमी से जिले के लोग खासे परेशान हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के बड़े - बड़े दावे कर रहे हों , लेकिन इस सब सेंटर की तस्वीरों को जरा ध्यान से देखना चाहिए , उसके बाद फिर सोच समझ कर नूंह जिले के कोटला और आसपास के गांवों के लोगों के लिए कोई पुख्ता भरोसा दिलाना चाहिए। ये तो सिर्फ एक सब सेंटर की कहानी है ,जिले में बहुत सारे करीब 50 से अधिक ऐसे सब सेंटर हैं ,जहां कर्मचारी ही नहीं हैं। लोग बेरोजगार घूम रहे हैं ,लेकिन हजारों पद खाली पड़े हुए हैं। सरकार झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाम लगाने की बात तो करती है ,लेकिन पहले अपने गिरेबान में भी झांककर देखना होगा कि लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने संसाधन उपलब्ध कराये हुए हैं या लोग मज़बूरी में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं और यही वजह है कि लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि कोटला सब सेंटर की सुध ली जाये , ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें।

बाइट;- शौकीन कोटला समाजसेवी।
बाइट ;- दीन मोहम्मद ग्रामीण।
बाइट ;-हाजी इसराइल खान ग्रामीण।
बाइट ;- मोहम्मद इसराईल खान ग्रामीण।

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात

स्टोरी :- सात साल से स्वास्थ्य विभाग का सब सेंटर खुद बीमार।

अरावली की तलहटी में बसे नूंह विधानसभा के ऐतिहासिक कोटला गांव में कांग्रेस सरकार में करीब सात साल पहले लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य विभाग के सब सेंटर में किसी कर्मचारी का पैर तक नहीं पड़ा है ,डयूटी तो बहुत दूर की बात है। सब सेंटर का उदघाटन तो कांग्रेस सरकार में कर दिया गया , लेकिन इससे ग्रामीणों को खास लाभ नहीं हुआ। हां इतना जरूर है कि कुछ शरारती तत्व व बच्चे इस लाखों की कीमत से बने भवन में शौच कर ओडीएफ अभियान की हवा निकाल रहे हैं। कमरों में दवाई , गोली , फर्नीचर की बजाय गंदगी की भरंमार है। लोहे का गेट , जंगला ,शीशे , दरवाजे , फर्श , दीवार देखरेख के अभाव में जर्जर हो रही है। गांव की आबादी तक़रीबन 6 हजार है। आसपास के गांव को भी इस सब सेंटर से लाभ देने की योजना थी , लेकिन आसपास के गांव तो दूर कोटला गांव के लोगों को भी यह सेंटर सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है। कोटला गांव में अरावली की चोटी से झरना आज भी बहता है ,तो फिरोजशाह कोटला ने भी इस गांव में मस्जिद और किला दोनों बनवाये थे। ऐतिहासिक गांव कोटला के लोगों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा या फिर नल्हड मेडिकल कालेज में तक़रीबन 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ग्रामीणों को आने - जाने के लिए अपने साधन के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी और स्टाफ की कमी से जिले के लोग खासे परेशान हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के बड़े - बड़े दावे कर रहे हों , लेकिन इस सब सेंटर की तस्वीरों को जरा ध्यान से देखना चाहिए , उसके बाद फिर सोच समझ कर नूंह जिले के कोटला और आसपास के गांवों के लोगों के लिए कोई पुख्ता भरोसा दिलाना चाहिए। ये तो सिर्फ एक सब सेंटर की कहानी है ,जिले में बहुत सारे करीब 50 से अधिक ऐसे सब सेंटर हैं ,जहां कर्मचारी ही नहीं हैं। लोग बेरोजगार घूम रहे हैं ,लेकिन हजारों पद खाली पड़े हुए हैं। सरकार झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाम लगाने की बात तो करती है ,लेकिन पहले अपने गिरेबान में भी झांककर देखना होगा कि लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने संसाधन उपलब्ध कराये हुए हैं या लोग मज़बूरी में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं और यही वजह है कि लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि कोटला सब सेंटर की सुध ली जाये , ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें।

बाइट;- शौकीन कोटला समाजसेवी।
बाइट ;- दीन मोहम्मद ग्रामीण।
बाइट ;-हाजी इसराइल खान ग्रामीण।
बाइट ;- मोहम्मद इसराईल खान ग्रामीण।

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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