नूंह: अयोध्या भूमि विवाद मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. फैसले को देखते हुए न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के कई हिस्सों में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं. इसके साथ ही हरियाणा के नूंह में धारा 144 लागू कर दी गई है. साथ ही स्कूल और कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस में फैसला
- सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए.
- मुस्लिम पक्ष इस बात का सबूत नहीं दे पाए कि 1857 से पहले विवादित जमीन पर सिर्फ उनका हक था.
- अंग्रेजों के आने से हिंदू पहले राम चबूतरा और सीता रसोई में पूजा करते थे.
- विवादास्पद जमीन के बाहर वाले क्षेत्र पर हिंदुओं का अधिकार रहा है. इस बात के सबूत मिले हैं.
- एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी.
- एएसआई रिपोर्ट में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का जिक्र नहीं है.
- हिंदुओं की आस्था है कि अयोध्या में राम का जन्म हुआ था. इस दावे का किसी ने विरोध नहीं किया.
- एएसआई रिपोर्ट में हिंदू मंदिर तोड़ा गया था या नहीं, यह बिंदु नहीं था.
- सीजेआई ने कहा कि जमीन विवाद का फैसला कानून के आधार पर लिया गया.
- सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि पूजा करने वालों की आस्था और विश्वास को कोर्ट स्वीकार करता है.
- एएसआई रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है.
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को इस मामले में विशेषज्ञता हासिल है.
- निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज किया गया.
- बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनाई थी.
सुप्रीम कोर्ट की बढ़ी सुरक्षा
इस समय सुरक्षा के मद्देनजर पूरी अयोध्या नगरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. फैसले को लेकर प्रशासन जहां मुस्तैद है. इसके साथ ही दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है.
जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच ने की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 सदस्यीय बेंच ने लगातार 40 दिनों तक सुनवाई की थी. जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल थे. बेंच ने मामले की सुनवाई 6 अगस्त से शुरू की और सुनवाई रोजाना चली. जिसके बाद 9 नवंबर को फैसला आया है.
ये भी पढे़ं:-अयोध्या पर फैसलाः पीएम मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने की शांति की अपील