नूंह: जिसके पास जेब में लाखों रुपये होते हैं, आम तौर पर जिंदगी में बड़े-बड़े शौक भी उन्हीं के होते हैं, लेकिन कुछ शौक ऐसे होते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए सिर्फ अमीर होना जरूरी नहीं है. ऐसा ही शख्स थे नूंह के रहने वाले मोहम्मद हनीफ.
हनीफ भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन उनके शौक की चर्चा आज भी दूर-दराज के इलाकों में होती है. चाहे वो 40 किलो वजनी ताला हो, सात चिलम वाला हुक्का हो या फिर लोहे और लकड़ी से बना पलंग.
नूंह जिले के पुन्हाना उपमंडल में लुहिंगाकला गांव है. इस गांव की आबादी करीब 15 हजार है और इसी गांव के रहने वाले ताहिर हुसैन के पूर्वजों ने पलंग खरीदा था. लकड़ी और लोहे से बना, करीब 12 फीट लंबा और 8 फीट चौड़ा. कई दशक पहले इसे करीब 12 हजार रुपये में बनवाया गया था.
शीशम की लकड़ी और लोहे से बने इस पलंग पर 8-10 लोग आराम से सो सकते हैं. इसपर चढ़ने के लिए बाकायदा सीढ़ियां बनाई गई हैं. इस पलंग के अलावा ताहिर ने अपने पूर्वजों की और भी कई चीजें संभाल के रखी हैं. ताहिर ने बताया कि ये पलंग इलाके के साथ-साथ दूर-दराज के क्षेत्रों में खासा लोकप्रिय है, और हर रोज लोग इस पलंग को देखने के लिए आते हैं.
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बिरादरी में शादी व अन्य कार्यक्रमों में इस पलंग की खास तौर पर मांग की जाती है. अपने पूर्वजों की चीजों को ताहिर बड़े संभाल कर रखते हैं. क्योंकि उनके पूर्वज चाहते थे कि उनके ये शौक इतिहास बने. दूर दराज से लोग इस पलंग को देखने के लिए यहां आते हैं.